पूर्व सीपीएस राम किशन गुर्जर सहित 3 दोषी करार, जेल भेजे
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जागरण संवाददाता, अंबाला शहर : नारायणगढ़ के पूर्व विधायक एवं मुख्य संसदीय सचिव राम किशन गुर्जर की मुश्किलें बढ़ गई हैं। जून 2009 में नारायणगढ़ में हुए पत्रकार पंकज खन्ना आत्महत्या प्रकरण में गुर्जर व उसके सहयोगियों अजीत अग्रवाल व विजय को मंगलवार एडिशनल सेशन जज संजीव आर्य की कोर्ट ने दोषी करार दे दिया। पुलिस ने तीनों दोषियों को गिरफ्तार कर लिया। कोर्ट ने तीनों को जेल भेज दिया। 2 मार्च को सजा का फैसला होगा। सल्फास खाकर अपनी जीवनलीला समाप्त करने वाले पंकज ने अपने सुसाइड नोट में तीनों को मौत का जिम्मेदार ठहराया था। पुलिस ने अपनी जांच में रामकिशन को क्लीन चिट दे दी थी लेकिन परिवार आखिरी दम तक लड़ा। रामकिशन ने हाईकोर्ट में अंबाला की अदालत के उस फैसले को चुनौती दी थी जिसमें उन्हें आत्महत्या के लिए उकसाने की धारा के तहत प्रथम दृष्टया दोषी मानते हुए बतौर अपराधी समन किए थे। सुप्रीम कोर्ट व हाईकोर्ट द्वारा राहत न दिए जाने के बाद दो बार विधायक रहे गुर्जर को अंबाला की कोर्ट में अपने केस की पैरवी करनी पड़ी, वे कसूरवार साबित हुए।
यूं हुआ मामला
-10 जून 2009 को नारायणगढ़ निवासी पंकज खन्ना ने आत्महत्या कर सुसाइड नोट में पूर्व विधायक राम किशन गुर्जर उनके सहयोगी मेकी लाला और अजीत अग्रवाल को अपनी मौत का जिम्मेदार ठहराया था। पुलिस ने मृतक के पिता यशपाल खन्ना की शिकायत पर तीनों के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने का केस दर्ज किया था। पुलिस ने राम किशन गुर्जर को खाना नंबर-2 में रखा। वर्ष 2012 में शिकायतकर्ता की मौत हो गई थी। इकलौता भाई और बाद में पिता की मौत से हताश होने के बावजूद बहन प्रीति खन्ना ने हार नहीं मानी। प्रीति ने चुनौतियों का सामना किया और राम किशन गुर्जर के खिलाफ लड़ाई जारी रखी। पिछले सात साल उसने इंसाफ के लिए लड़ाई लड़ी।
ये है कानून
-कानून के अनुसार यदि कोई इस प्रकार के मामले में दोषी पाया जाता है तो उसे दस साल के कारावास व जुर्माने की सजा हो सकती है। भारतीय जन प्रतिनिधित्व एक्ट 1951 की धारा 8 के तहत कोई भी व्यक्ति सजा या सजा के बाद छह साल तक चुनाव नहीं लड़ सकता। यदि सजा हुई तो जेल से बाहर आने के बाद भी वे छह साल तक चुनाव नहीं लड़ सकेंगे, मतलब 16 साल तक उनके चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध होगा।
अदालत ने किया न्याय
एडवोकेट अनिल कौशिक व उनके सहयोगी संजीव शर्मा के अनुसार अदालत ने केस में न्याय किया। मामले की सही ढंग से पैरवी की गई। वे तमाम सबूत कोर्ट में पेश किए जोकि आरोपियों को दोषी ठहराने के लिए काफी थे। अदालत ने तमाम सबूतों का सही से अध्ययन करते हुए पूर्व विधायक गुर्जर व उसके सहयोगियों को दोषी करार दिया।

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