अंबाला में इंसानियत शर्मसार, 6 महीने से कमरे में कैद बुजुर्ग को चूहों ने नोचा; रेस्क्यू के समय शरीर पर चल रहे थे कीड़े
अंबाला में एक खंडहरनुमा मकान में 65 वर्षीय हरि किशन नामक बुजुर्ग को गंभीर हालत में पाया गया। वह पिछले छह महीने से एक कमरे में कैद थे, जहाँ चूहे उनके श ...और पढ़ें
-1765905125202.webp)
खंडहरनुमा मकान में जिंदा इंसान को खाते रहे चूहे, दम तोड़ गए रिश्ते और इंसानियत।
जागरण संवाददाता, अंबाला शहर। इंद्रपुरी इलाके में एक खंडहरनुमा मकान के भीतर मंगलवार को जो दृश्य सामने आया, उसने इंसानियत को शर्मसार कर दिया। घर के भीतर एक ऐसा बुजुर्ग, जो जिंदा था, सांस ले रहा था, लेकिन समाज की नजरों में कब का मर चुका था। शरीर पर कीड़े चल रहे थे और 65 वर्षीय हरि किशन करीब छह महीने से घर के एक कमरे में कैद थे, जहां अंधेरा, गंदगी और चूहे उनके साथी बन चुके थे। अब यही चूहे उसे नोंचने लगे थे।
इंसानियत को शर्मसार कर देने वाली इस घटना का जिसको भी पता चला उसकी रूह कांप गई। मंगलवार दोपहर बाद वंदेमातरम दल की टीम ने इस मकान के भीतर प्रवेश कर बुजुर्ग को रेस्क्यू किया और दो कंबल में लपेटा और अपनी एंबुलेंस से जिला नागरिक अस्पताल में भर्ती करवाया।
यह कहानी सिर्फ एक बुजुर्ग की नहीं है, यह उस समाज का आईना है जहां जिंदा लोग चुपचाप मरने के लिए छोड़ दिए जाते हैं। सवाल यह नहीं है कि हरि किशन कैसे जिंदा बचे, सवाल यह है कि क्या हम सब कहीं न कहीं उनकी इस हालत के जिम्मेदार नहीं हैं।
चूहों ने कुतरी हाथ और पैरों की उंगलियां
सबसे दिल दहला देने वाला सच तब सामने आया जब वंदे मातरम दल की टीम मौके पर पहुंची। चूहों ने उनके हाथों और पैरों की उंगलियां कुतर दी थीं। बताया जा रहा है कि हाथों पर लगा खाना चूहों को आकर्षित करता था और उसी के साथ वे उंगलियों तक को नोंचते चले गए। हरि किशन का शरीर ठंडा पड़ चुका था, बोलने की ताकत खत्म हो चुकी थी और आंखों में डर साफ झलक रहा था।
कोरोना में बुजुर्ग ने खो दिया सब कुछ, बस बची थी खुद की सांस
कोरोना काल ने हरि किशन से सब कुछ छीन लिया। पत्नी, बेटा और बेटी तीनों एक-एक कर दुनिया छोड़ गए। परिवार के खत्म होते ही उनका जीवन भी जैसे वहीं थम गया। पहले कुछ समय तक वह कभी-कभार घर से बाहर निकल आते थे, बैंक से पेंशन भी लेकर आते थे। लेकिन अपनों के बिछड़ने का गम इतना गहरा था कि धीरे-धीरे उन्होंने खुद को दुनिया से काट लिया। पिछले करीब छह महीने से उन्होंने घर का दरवाजा ही नहीं खोला। खोला तो धूप में कुछ देर बैठकर भीतर चले गए।
मल-मूत्र सब कुछ कमरे में ही
समय के साथ हालात भयावह होते चले गए। जिस कमरे में वह रहते थे, वहीं वर्षों से मल-मूत्र पड़ा था। कपड़े इतने गंदे हो चुके थे कि उन्हें छूना तक मुश्किल था। भूख मिटाने के लिए पड़ोसी दरवाजे के बाहर कभी-कभार तरस खाकर रोटी रख जाते थे। वही उनकी जिंदगी की आखिरी डोर थी। हालत ऐसी की शायद नहाए हुए तो कई महीने बीत चुके हों। इसीलिए कपड़ों तक में कीड़े चल रहे थे।
कभी भी टूट सकती हैं सांस
मंगलवार दोपहर करीब साढ़े तीन बजे वंदे मातरम दल के कीरतपाल सिंह झांडी, अध्यक्ष भरत, गुरदीप, गौरव, रामचंद्र, टिंकू तिलकधारी और अंजली प्रजापत ने उस बंद दरवाजे पर दस्तक दी, जिसके पीछे एक इंसान मौत से लड़ रहा था। टीम ने अस्पताल पहुंचाया। अस्पताल में हालत इतनी नाजुक है कि सांसें कभी भी टूट सकती हैं। उन्हें ग्लूकोज चढ़ाई गई है, आक्सीजन पर रखा गया है। ईसीजी सामान्य है, लेकिन शरीर बेहद कमजोर है। अभी तक उनके कपड़े भी बदले नहीं जा सके हैं।
लोगों का सताने लगा था संक्रमण का डर इसीलिए देनी बंद कर दी रोटी
स्थानीय लोगों का कहना है कि घर से बदबू आने लगी थी और संक्रमण का डर उन्हें सताने लगा था। रिश्तेदारों को कई बार फोन किए गए, लेकिन कोई भी उन्हें देखने तक नहीं आया। एक जिंदा इंसान, रिश्तों की लापरवाही और समाज की बेरुखी के बीच दम तोड़ता रहा। सोमवार रात हितेष नाम के युवक ने वंदे मातरम दल को सूचना दी थी और खुद खिचड़ी बनाकर हरि किशन को अपने हाथों से खिलाया था। लेकिन मंगलवार तक हालत और बिगड़ चुकी थी। सूचना मिलने पर पुलिस भी मौके पर पहुंची। टीम ने घर पर नए ताले लगवाकर चाबी पुलिस को सौंप दी और मिथुन वर्मा को भी जानकारी दी।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।