कुंडली-मिलान, विवाह और संतान पर हुआ मंथन
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जागरण संवाददाता, अंबाला : बीपीएस जैन स्कूल में आयोजित राष्ट्रीय ज्योतिष मेले के दूसरे एवं अंतिम दिन कुंडली मिलान, विवाह और संतान आदि विषयों पर मंथन हुआ। इससे पूर्व मुख्य द्वार पर आग लगने से अफरातफरी मच गई। सार्ट सर्किट के कारण घटी इस घटना में बिजली के उपकरण जल गए। गनीमत रही कि कोई जानी नुकसान नहीं हुआ।
शुरुआती सत्र में ज्योतिषाचार्य अरुण बंसल ने बताया कि शादी करते हुए वर-वधू के बीच 36 में से 18 गुणों को मिलना सर्वोत्तम माना जाता है। 15 गुण मिलना भी अच्छी मै¨चग है। लेकिन यदि दोनों के 12-13 गुण मिलते हैं तो लड़ाई-झगड़े अधिक रहेंगे। इसके विपरीत यदि दोनों में केवल दो-तीन गुण ही मिलते हैं और ऐसे युवक-युवती की शादी करा देते हैं तो झगड़े होने की संभावनाएं बेहद कम रह जाती हैं। क्योंकि दोनों एक दूसरे से आपेक्षाएं ही नहीं करेंगे। इसके विपरीत यदि 25-26 से अधिक गुण मिलेंगे तो भी ज्यादा झगड़े होने लगते हैं और यह तलाक तक का कारण बन जाते हैं।
इस दौरान शरद त्रिपाठी ने नाड़ी दोष पर विचार रखे। उन्होंने कहा कि सप्तम भाव का सूर्य सबसे खतरनाक माना गया है ऐसी सोच है। लेकिन सप्तम भाव में ¨सह लग्न राशि वाले जातक को दिक्कत नहीं आती। ऐसे जातक के लिए पत्नी कमाने वाली होती है और पति घर चलाता है। उन्होंने बताया कि ज्योतिष से घटना के प्रभाव को कम किया जा सकता है उसे रोका नहीं जा सकता। इसीलिए ऐसे में घटना को होने देना चाहिए। उन्होंने बताया कि यदि कुंडली में धन हानि है तो ज्योतिषाचार्य जातक को घर खरीदने या अन्य उपयोगी सामान खरीदने के लिए कह दे जिससे भारी धन का चला जाए। इससे धन की हानि तो हो जाएगी लेकिन उसका धन सही जगह लग जाएगा। इसी तरह अन्य घटनाओं पर समय और स्थान के हिसाब से जातक को सुझाव दें।
कार्यक्रम के अंतिम सत्र में विशाल मल्होत्रा फिल्मी कलाकार और जिला सत्र न्यायधीश दीपक गुप्ता ने विशेष अतिथि के रूप में शिरकत की। दीपक गुप्ता ने कहा कि कर्म और भाग्य ताले की दो चाबी हैं। यदि दोनों चाबी तभी फल मिलेगा। ज्योतिष कुंडली देखकर यह तो बता देगा कि बच्चा डाक्टर बनेगा लेकिन डाक्टर बनने के लिए कर्म करना पड़ेगा। इसीलिए कर्म और भाग्य दोनों साथ होने जरूरी है। फिल्मी कलाकार विशाल ने कार्यक्रम के आयोजन और उन्हें निमंत्रण देने के लिए सभी का धन्यवाद किया। कार्यक्रम में देशभर से करीब 500 ज्योतिषाचार्यों ने हिस्सा लिया और विभिन्न मुद्दों और मिथ्या पर मंथन कर तर्क सहित उनके कारक और कारणों व निवारण के सरल तरीके बताए।
आंशिक मांगलिक होने पर अमांगलिक के साथ करा सकते हैं शादी
ज्योतिष मेले में मंगल दोष व इसके भ्रमों पर भी विचार डाला गया। ज्योतिषाचार्यो ने बताया कि मंगलिक मिलान में केवल सातवें घर का मंगल ही दोष देता है बाकि घरों 12वें, एक, चार और आठवें घर में मंगल दोष ज्यादा प्रभावशाली नहीं होता। इसके आंशिक मांगलिक भी कह देते हैं। ऐसे जातक की आंशिक मांगलिक व अमांगलिक जातक या मांगलिक से भी शादी हो जा सकती है।
मंगल दोष से ज्यादा शनि दोष, दो-तीन शादियों का कारक
विद्वानों ने बताया कि मंगल से भी ज्यादा प्रभावशाली शनि ग्रह है। शनि यदि सातवें भाव में हो तो वह दो या इससे अधिक शादी के योग बनता है। मंगल यदि 10वें भाव में हो तो लेट शादी के योग बनाता है या फिर 30 साल की आयु तक झगड़े कराता है। इसके बाद शांति कराता है। यदि लग्न में शनि में हो तो सन्यास योग बनाता है। खास तौर पर यदि शनि उच्च का हो। पांचवें भाव में शनि साथी की मारक बन जाता है। संतान पक्ष पर ललित शर्मा ने बताया कि पितृ दोष यदि जन्मकुंडली में है तो संतान नहीं होती या देर से होती है या होकर मृत्यु हो जाती है। इसके लिए पितृदोष शांति करानी चाहिए। पितृ दोष राहू-शनि के पंचम भाव पर दुष्प्रभाव से बनता है।
कार्यक्रम स्थल पर लगी आग
इससे पहले सुबह के समय करीब तीन बजे बीपीएस जैन के मुख्य प्रवेश द्वार पर आग की लपटें उठती दिखाई देने लगी। इससे पहले की आग भड़कती मौके पर मौजूद लोगों की इस पर नजर पड़ गई और बड़ा हादसा टल गया। यह आग सार्ट सर्किट के कारण लगी। इसी कारण मीटर जलकर राख हो गया साथ ही साथ आसपास की वाय¨रग जल गई। हालांकि कोई जानी नुकसान होने से टल गया।
पत्नी को रखें हमेशा बायं हाथ की तरफ
मध्यप्रदेश से आए ज्योतिषाचार्य हरिओम ने बताया कि सप्तम भाव जीवन में सारे सुख देता है। उन्होंने बताया कि पत्नी को हमेशा बायं हाथ की तरफ रखें जीवन मंगलमय रहेगा। इससे खर्चे भी कम होंगे। उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि यदि बाजार में पत्नी बायं हाथ की तरफ चलेगी तो कम कष्ट और खर्च कराकर वापस लौट आएगी लेकिन यदि दायं हाथ की तरफ होगी तो खर्चे भी ज्यादा कराएगी और दुकानें के दर्शन भी अधिक कराएगी। वहीं सुभेष ने बताया कि पृथ्वी पर जब भी पैर रखें तो क्षमा मांग कर रखेंगे। क्योंकि पृथ्वी सभी की जननी है। उदाहरण देकर उन्होंने बताया कि भगवान विष्णु ने कभी पृथ्वी पर पांव नहीं रखे। क्योंकि वह पृथ्वी को जननी मानते हैं। वह गुरुड़ पर रहते हैं या फिर समुद्र में शेषनाग पर। जब भगवान पृथ्वी को इतना सम्मान देते हैं तो क्यों न हम भी पृथ्वी का सम्मान दें। इससे आधे से ज्यादा कष्ट कट जाएंगे। मंगल की शांति के लिए उन्होंने हनुमान चालिसा का पाठ सरल उपाए भी बताया।

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