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    विदेश जाने की यह कैसी सनक? हरियाणा के युवाओं ने तीन साल में गंवाए 1700 करोड़, डंकी रूट बना बर्बादी की वजह

    By DEEPAK BEHALEdited By: Prince Sharma
    Updated: Tue, 28 Oct 2025 09:13 AM (IST)

    हरियाणा के युवाओं में विदेश जाने की सनक ने उन्हें भारी आर्थिक नुकसान पहुंचाया है। पिछले तीन वर्षों में, लगभग 1700 करोड़ रुपये 'डंकी रूट' के माध्यम से अवैध प्रवास की कोशिश में बर्बाद हो गए। यह रूट युवाओं के लिए बर्बादी का कारण बन रहा है, क्योंकि वे अपनी जीवन भर की जमा पूंजी खो रहे हैं और शोषण के शिकार हो रहे हैं।

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    जागरण फोटो

    दीपक बहल, अंबाला। विदेश में कमाने का सपना किसी भी सूरत में पूरा करने के चक्कर में युवा जान-माल का नुकसान उठा रहे हैं। तीन साल में करीब 1700 करोड़ रुपये गवां चुके हैं। कई घर बर्बाद हो गए हैं। करीब तीन वर्ष पहले सरकार ने एसआइटी का गठन किया और पिछले वर्ष नया कानून भी बनाया। इस वर्ष अब तक प्रदेश के लगभग 600 लोगों को अमेरिका ने डिपोर्ट किया जा चुका है।

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    इनमें से अधिकतर वे लोग हैं, जिन्होंने दूसरे देशों का वीजा लगवाया और फिर डोंकरों के माध्यम से अमेरिका गए। रविवार को 54 लोगों को डिपोर्ट किया गया है। एसआईटी इनसे पूछताछ कर डोंकरों के नेटवर्क तक पहुंचेगी।जो लोग अब आए हैं, इनमें कई लोग ऐसे हैं, जो लंबे समय से अमेरिका में रह रहे थे। अभी तक पुलिस इन लोगों में किसी ने शिकायत नहीं दी है।

    राज्य सरकार ने वरिष्ठ आइपीएस अधिकारी शिबास कबिराज के नेतृत्व में स्पेशनल इन्वेस्टिगेशन टीम (एसआइटी) का गठन किया था। उन्होंने सभी जिलों में विदेश भेजने वाले एजेंटों पर नजर रखने के आदेश दिए हैं। सितंबर 2025 तक 3455 मामले दर्ज हुए हैं। इनमें 3053 एजेंट भी गिरफ्तार हुए हैं। इनसे 52 करोड़ 06 लाख 22 हजार 164 रुपये बरामद हुए हैं।

    विदेश में भी रह रहे ठग, जारी किया जाएगा लुकआउट नोटिस

    जिस तरह से मामले सामने आ रहे हैं, उससे विदेश में भी यह कबूतरबाज बैठे हैं। इस खेल के देशी-विदेशी नेटवर्क को तोड़ने के लिए एसआइटी ने कमर कस ली है। लोगों की जीवन भर की कमाई ठगकर ठग विदेश भाग चुके हैं।

    अब इनकाे लाने के लिये लुकआउट सर्कुलर (एलओसी) जारी कराया जाएगा। पासपोर्ट रद कराने, इनको भारत लाने के लिए भी पासपोर्ट कार्यालय और दूतावास से संपर्क साधा जाएगा।

    करनाल में सबसे अधिक 208 मामले हुए दर्ज

    कोरोना काल में जब विदेश की जेलों से भारतीयों को रिहा किया गया तो देश लौटने के बाद अपनी पीड़ा बताई। ऐसे मामले सामने आए जिसमें स्वजन सोच रहे थे कि बच्चे विदेश में हैं, जबकि उनसे बात भी नहीं हो पा रही थी। अंबाला में ऐसे 56 मुकदमे दर्ज किए गए थे। इसी प्रकार कुरुक्षेत्र में 100, पानीपत में 31, करनाल में 208, यमुनानगर में 9, कैथल में 58, सोनीपत में चार, जींद में 10, गुरुग्राम में दो व फतेहाबाद में दो केस दर्ज किए गए।। इनके अलावा भिवानी, दादरी, सिरसा1, हिसार में एक-एक केस दर्ज किए गए थे।

    डंकी रूट की यूं रखी जाती हैं नींव

    जो लोग सीधे रूट से अमेरिका नहीं पहुंच पाते, वे एजेंटों के माध्यम से डंकी रूट का सफर चुनने को मजबूर हो जाते हैं। इनकी नींव जाने से पहले ही तय कर दी जाती है कि वे किस वीजा पर कौन से देश में जाएंगे। स्टडी वीजा के मामले में पहले ही दूसरे देश के किसी कॉलेज में दाखिला दिलाया जाता है और बाकायदा फीस जमा करवाई जाती है।

    उनके रहने का भी प्रबंध किया जाता है। इसी तरह से टूरिस्ट वीजा पर भी सारी व्यवस्था की जाती है। बाद में इनको बताया जाता है कि किस डोंकर के माध्यम से अमेरिका तक जाने का सफर होगा। इस सफर में महीनों लग जाते हैं। जो भी देश बीच में आते हैं उनको वहां से अवैध रूप से आगे के लिए निकाला जाता है।

    पिछले वर्ष बनाया था कानून

    सरकार ने साल 2024 में विदेश भेजने में धोखाधड़ी के खिलाफ हरियाणा ट्रैवल एजेंट पंजीकरण और विनियमन विधेयक बनाया है। इसे विधानसभा में 28 फरवरी 2024 को पारित किया गया था। इसके तहत मानव तस्करी करने, जाली दस्तावेज तैयार करने या धोखाधड़ी में दोषी पाए जाने पर ट्रैवल एजेंट को कम से कम तीन साल से लेकर अधिकतम दस साल की कैद हो सकती है।

    इसी तरह दो से पांच लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया जाएगा। किसी व्यक्ति या एजेंसी को ट्रैवल एजेंट के रूप में काम करने के लिए सरकार से रजिस्ट्रेशन कराना होगा, जिसकी वैधता तीन साल की होगी, जिसके बाद रिन्यू करवाना होगा। धोखाधड़ी से अर्जित की गई ट्रैवल एजेंट की संपत्ति को जब्त भी किया जाएगा।

    अमेरिका से भारत डिपोर्ट की गई जसवीर

    फतेहाबाद के गांव साधनवास की 41 वर्षीय जसवीर कौर को रविवार को अमेरिका से भारत डिपोर्ट कर दिया गया। अभी 21 वर्षीय बेटा सिमरत सिंह अभी भी अमेरिका के एक कैंप में बंद है। जसवीर कौर और उनका बेटा सिमरत मई 2024 में कनाडा गए थे। करीब एक महीने तक कनाडा में रहने के बाद डंकी के रास्ते अमेरिका में प्रवेश किया।

    वहां एक रेस्टोरेंट में काम करने लगे। दोनों ने अमेरिकी नागरिकता के लिए आवेदन भी कर दिया था, लेकिन कुछ महीनों बाद अमेरिकी प्रशासन ने उन्हें पकड़ लिया। इसी वर्ष जुलाई में जसवीर कौर और उनके बेटे को गिरफ्तार कर एक कैंप में भेज दिया गया। जसवीर कौर का पति अवतार सिंह गांव में ही खेतीबाड़ी का काम करता है। उसके पास दो एकड़ जमीन थी। पत्नी व बेटे को अमेरिका भेजने के लिए डेढ़ एकड़ जमीन, आभूषण और मवेशी बेचकर करीब 70 लाख रुपये खर्च किए थे।

    कर्जदार हुए परिवार, नहीं मुंह खोलने को तैयार

    संगोही निवासी युवक रजत पाल ने अमेरिका तक का सफर साझा किया। बताया कि 26 मई को अमेरिका के लिए करनाल से रवाना हुए थे। वह दुबई के बाद पनामा के जंगल से होते हुए अलग अलग रास्तों से मैक्सिको के बाद अमेरिका बार्डर पार कर लिया। इसके बाद उन्हें वहां पकड़ लिया गया था। पनामा और कोलंबिया के बीच घने जंगल को पार करना सबसे बड़ी चुनौती होती है। जो लोग इस रास्ते से निकलने की कोशिश करते हैं, उन्हें कई दिनों तक भूख और प्यास झेलनी पड़ती है। कई लोग रास्ता भटक जाते हैं, बीमार पड़ जाते हैं या डूब जाते हैं।

    रजत के भाई विशाल ने बताया कि उन्होंने एजेंट को 45 लाख रुपये दिए थे तो यह कहा था कि उसे रास्ते में कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए। लेकिन रास्ते में एक बार रजत को डोंकर ने अपहरण कर लिया था।

    धमकी दी थी कि रुपये नहीं दिए तो उसकी अंगुली काट देंगे। एजेंट के माध्यम से करीब चार लाख रुपये देने पर उसे छोड़ा गया था। उसे अमेरिका भेजने पर 60 लाख रुपये से ज्यादा खर्च हुए हैं। इसके लिए प्लाट व एक दुकान बेचा, मकान पर 10 लाख रुपये का लोन लिया, कुछ रिश्तेदारों व कुछ दोस्तों से उधार लिया था।

    प्रतिष्ठा का हवाला देते स्वजन, नहीं आते सामने

    शनिवार को डिपोर्ट होने वाले हरियाणा के 54 लोग और उनके स्वजन परिवार सामाजिक प्रतिष्ठा का हवाला कुछ नहीं बोल रहे। ये परिवार 45 से 75 लाख तक खर्च कर कर्जदार हो चुके हैं। कुछ की आर्थिक स्थिति बेहतर होने से उन्हें इस बात की खुशी भी है कि उनके परिवार का सदस्य सकुशल लौट आया है। दूसरी ओर, इन युवकों को विदेश भेजने वाले एजेंट सक्रिय हो गए हैं। परिवार से संपर्क साध रहे हैं और सगे-संबंधियों के माध्यम से पंचायत भी कर रहे हैं। ताकि उनके खिलाफ ठगी का मामला दर्ज न करा दें। रुपये को लेनदेन को लेकर मोलभाव शुरू हो गया।