Haryana News: जानबूझकर ऋण न चुकाने वाले कर्जदारों की खैर नहीं, कानूनी शिकंजा कसने की तैयारी
हरियाणा में सहकारी बैंकाें से ऋण लेने के बाद इसे जानबूझकर नहीं चुका रहे कर्जदारों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की तैयारी है। हरियाणा राज्य सहकारी कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक के सदस्यों को एफडी करानी होगी। पायलट प्रोजेक्ट गुरुग्राम फरीदाबाद रेवाड़ी झज्जर सिरसा और सोनीपत में शुरू हुआ है।

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़: हरियाणा में सहकारी बैंकाें से ऋण लेने के बाद इसे जानबूझकर नहीं चुका रहे कर्जदारों (विलफुल डिफाल्टर) के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की तैयारी है। सहकारी बैंकों के हजारों कर्जदार ऐसे हैं जो क्षमता होने पर भी बैंकों से लिए ऋण का भुगतान नहीं कर रहे।
इन्हें बैंकों ने विलफुल डिफाल्टर घोषित किया हुआ है। मुंबई से पंचकूला पहुंचे राष्ट्रीय सहकारी कृषि और ग्रामीण विकास बैंक संघ लिमिटेड के प्रबंध निदेशक केके रविंदरन ने शुक्रवार को हरियाणा राज्य सहकारी कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक के अधिकारियों के साथ बैठक में बकाया ऋणों की वसूली में तेजी लाने के निर्देश दिए।
एक्शन प्लान तैयार करने को कहा
विल्फुल डिफाल्टर्स की सूची सरकार को उपलब्ध करवाई जाएगी ताकि उन पर कानूनी शिकंजा कसते हुए उन्हें ऋण चुकाने के लिए बाध्य किया जा सके। जिला स्तर पर स्थित डीपी कार्ड बैंकों के अलग-अलग डेवलपमेंट एक्शन प्लान तैयार करने को कहा गया है। हरियाणा राज्य सहकारी कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक को फिक्सड-डिपोजिट के माध्यम से धन राशि प्राप्त करके अधिकाधिक नए सदस्यों को जोड़ा जाएगा। बैंक सदस्यों की एक न्यूनतम राशि की एफडी (सावधि जमा) कराई जाएगी ताकि प्रत्येक सदस्य की सक्रिय सहभागिता बनी रहे।
प्रोजेक्ट सफल रहा तो पूरे हरियाणा में किया जाएगा लागू
हरियाणा राज्य सहकारी कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक छह जिलों गुरुग्राम, फरीदाबाद, रेवाड़ी, झज्जर, सिरसा और सोनीपत में अपने सदस्यों को एफडी कराने के लिए प्रेरित कर रहा है। पायलट प्रोजेक्ट सफल रहा तो इसे पूरे हरियाणा में लागू किया जाएगा। प्रबंध निदेशक ने बताया कि केंद्र सरकार बैंकों को अधिक धन उपलब्ध कराएगी ताकि किसानों को ज्यादा मात्रा में दीर्घकालीन ऋण दिए जा सकें।
समय पर ऋण अदा करने वाले को 50 प्रतिशत छूट
राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) द्वारा एक टीम बनाई गई है जो फील्ड में जाकर सहकारी बैंकों की कार्यप्रणाली की वित्तीय स्थिति, ऋण वितरण एवं ऋण वसूली व क्षेत्रवार किसानों की जरूरतों का विश्लेषण कर अपनी रिपोर्ट देगी।
सहकारी बैंकों को कृषि ऋण व परंपरागत ऋणों के अलावा स्टोरेज, टूरिज्म, रूरल हाऊस व कर्मचारियों के लिए भी ऋण उपलब्ध करवाने के निर्देश दिए गए हैं। अतिदेय ऋणी सदस्यों के लिए एकमुश्त निपटान योजना (ओटीएस) लागू की गई है। समय पर ऋण अदा करने वाले सदस्यों को भी ब्याज में 50 प्रतिशत छूट दी जाएगी।
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