Haryana Assembly Election 2024: कांग्रेस ने काटा टिकट तो जसबीर के छलके आंसू, समर्थकों पर छोड़ा चुनाव लड़ने का फैसला
हरियाणा के अंबाला शहर विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने टिकट बदल दिए हैं। 2019 में कांग्रेस से टिकट पाने वाले जसबीर मलौर इस बार निर्दलीय उम्मीदवार हैं जबकि निर्मल सिंह को कांग्रेस ने टिकट दिया है। 2019 में निर्मल सिंह बागी होकर आजाद प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़े थे और उन्हें 55 हजार 944 वोट मिले थे। वहीं मलौर को सिर्फ 20 हजार 091 वोट मिले थे।

दीपक बहल,अंबाला। Haryana Vidhansabha Election 2024: विधानसभा चुनाव, अंबाला शहर हलका। कांग्रेस की स्थिति वही है, लेकिन इस बार प्रत्याशियों की जगह बदल गई है। मामला बागियों के चुनाव मैदान में आजाद प्रत्याशियों व कांग्रेस की टिकट पर उतरे प्रत्याशियों का है।
साल 2019 व 2024 में बागी सुर देखने को मिले हैं। साल 2019 में जसबीर मलौर को कांग्रेस से टिकट मिला तो निर्मल सिंह बागी हो गए और आजाद प्रत्याशी के तौर पर चुनाव मैदान में डट गए। अब 2024 में निर्मल सिंह को कांग्रेस से टिकट मिला तो जसबीर मलौर बागी होकर आजाद प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतरे हैं।
2019 का किस्सा सुनाते हुए भावुक हुए मलौर
टिकट पर सिर्फ नाम बदले हैं, लेकिन चेहरे वही पुराने हैं। मलौर अपने समर्थकों से बातचीत के बाद ही चुनाव लड़ना है या नहीं लड़ना है इस पर फैसला लेंगे। इसी को लेकर मलौर ने समर्थकों की बैठक बुलाई और 2019 का किस्सा सुनाते हुए वह भावुक हो गए और आंखों से आंसू छलक आए।
मलौर ने समर्थकों पर फैसला छोड़ दिया और 10 सदस्यीय कमेटी बनाई है। दूसरी ओर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा सहित कांग्रेस के कई नेता मलौर को मनाने की कोशिशों में लगे हैं।
निर्मल सिंह खुद मलौर को मनाने के लिए गए थे, लेकिन अभी तक मलौर का यही कहना है कि समर्थक उनका फैसला लेंगे। हालांकि मलौर ने समर्थकों यह भी कहा कि विधायक उनके लिए बनना अहम नहीं है। समर्थकों का मान सम्मान महत्वपूर्ण है।
सूत्रों का कहना है कि समर्थकों के सामने ऐसे भी संकेत आए हैं, जिसे मलौर को पार्टी के दिग्गज नेताओं का आश्वासन मिलता है और वे अपना नामांकन वापस ले सकते हैं। हालांकि उन्होंने समर्थकों के सामने बात कही है कि वे पूरी तरह तैयार हैं और बूथ स्तर पर योजना बन चुकी है।
निर्मल सिंह को चुनाव में मिले थे 55 हजार वोट
बता दें विधानसभा चुनाव 2019 में मलौर और निर्मल टिकट के दावेदारों में शामिल थे लेकिन टिकट मलौर को मिला। चुनाव लड़ा लेकिन जीत नहीं पाए। ऐसे में निर्मल सिंह बागी हो गए और पार्टी से नाखुश होकर आजाद चुनाव लड़ लिया। निर्मल सिंह को इस चुनाव में 55 हजार 944 वोट मिले थे, जबकि मलौर को 20 हजार 091 वोट ही मिले।
इसी तरह साल 2019 और 2024 में हिम्मत सिंह भी टिकट की दौड़ में थे लेकिन टिकट न मिलने पर पार्टी रूठ गए और अब आजाद नामांकन दाखिल किया है।
हिम्मत सिंह पार्षद रह चुके हैं जबकि 2014 में विधानसभा का चुनाव लड़ा था, जिसमें उनकाे 34 हजार 658 वोट मिले थे। इसी तरह की स्थिति अंबाला छावनी विधानसभा की भी है, जहां पर टिकट न मिलने पर चित्रा सरवारा भी आजाद प्रत्याशी के तौर पर चुनाव मैदान में हैं।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।