एक बार भी नहीं चली इलेक्ट्रिक दाह संस्कार मशीन
कहने को तो जमाना हाईटेक होता जा रहा है लेकिन पुरानी परंपराएं अभी भी पीछा नहीं छोड़ रही हैं। लोग अभी पुरानी पंरपरा के तहत ही दाह संस्कार कर रहे हैं। जबकि शहर के रामबाग स्थित गोबिदपुरी श्मशान घाट में इलेक्ट्रॉनिक मशीन तक लगा दी गई है। इसे लगाए हुए भी 118 दिन हो चुके हैं और तब से लेकर अब तक 293 लोगों की मौत हो चुकी है लेकिन एक भी दाह संस्कार मशीन में नहीं किया गया।

जागरण संवाददाता, अंबाला शहर : कहने को तो जमाना हाईटेक होता जा रहा है, लेकिन पुरानी परंपराएं अभी भी पीछा नहीं छोड़ रही हैं। लोग अभी पुरानी पंरपरा के तहत ही दाह संस्कार कर रहे हैं। जबकि शहर के रामबाग स्थित गोबिदपुरी श्मशान घाट में इलेक्ट्रॉनिक मशीन तक लगा दी गई है। इसे लगाए हुए भी 118 दिन हो चुके हैं और तब से लेकर अब तक 293 लोगों की मौत हो चुकी है, लेकिन एक भी दाह संस्कार मशीन में नहीं किया गया। यदि ऐसे ही हालात रहे तो लाखों रुपये की लागत से लगाई गई मशीन श्मशान घाट में ही कंडम हो जाएगी।
अंबाला शहर के गोविदपुर श्मशान घाट में एक इलेक्ट्रॉनिक मशीन लगाई गई थी। वर्ष 2020 में 27 नवंबर को उद्घाटन भी किया जा चुका है। मशीन लगाने में लगभग 66 लाख रुपये की लागत आई है। इसे लगाने के लिए स्पेशल एक कमरा तैयार किया गया था, जिसमें मशीन को रखा गया है। इलेक्ट्रिक मशीन पिछले चार माह से श्मशान घाट के एक कमरे में बंद होकर रह गई है। चार महीने से लोग बाहर लकड़ियों पर ही संस्कार कर रहे हैं, परंतु मशीन का इस्तेमाल नहीं किया गया। जबकि पर्यावरण को देखते हुए इसका फायदा होना था। क्योंकि दाह संस्कार के दौरान लकड़ियां जलाने पर काफी धुआं हो जाता है।
----
-लकड़ियों पर खर्च अधिक
इन दिनों एक संस्कार करने के लिए काफी लकड़ियां लगती हैं जिन पर 3100 रुपये तक का खर्च आता है। लेकिन मशीन पर यह खर्च 2500 रुपये ही है। यह मशीन बिजली और गैस दोनों से चलती है। मशीन में गैस का प्रबंध किया जा चुका है, परंतु अभी बिजली का कनेक्शन नहीं हुआ।
---
लोगों को जागरूक कर रही संस्था
खत्री सभा के प्रधान बद्री नाथ सोफत और प्रचार मंत्री प्रमोद मल्होत्रा ने बताया कि पिछले साल इस मशीन को लगाया गया था। इसे लगाए हुए चार माह बीत चुके हैं, परंतु अभी तक इस मशीन के जरिए कोई भी दाह संस्कार नहीं हुआ है। लोग लकड़ियों पर ही दाह संस्कार कर रहे हैं। संस्था लोगों को जागरूक भी करती है, जिसमें बताया जाता है कि बिजली से मशीन चलती है। यह सरकार की ओर से सुविधा है, परंतु लोग इस मशीन से संस्कार करने को तैयार नहीं हो रहे हैं।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।