Chandigarh News: हरियाणा में शादी के बाद भी दूसरे प्रदेशों की एससी-बीसी महिलाओं को नहीं मिलेगा आरक्षण
हरियाणा में अन्य प्रदेश की अनुसूचित जाति (एससी) और पिछड़ा वर्ग (बीसी) की महिलाओं को आरक्षण सहित किसी अन्य सरकारी योजना का लाभ नहीं दिया जा रहा है। भले ही उन्होंने हरियाणा में शादी क्यों न कर ली हो।
चंडीगढ़, जागरण संवाददाता : हरियाणा में अन्य प्रदेश की अनुसूचित जाति (एससी) और पिछड़ा वर्ग (बीसी) की महिलाओं को आरक्षण सहित किसी अन्य सरकारी योजना का लाभ नहीं दिया जा रहा है। भले ही, उन्होंने हरियाणा में शादी क्यों न कर ली हो। न ही भविष्य में सरकार की ओर से नियमों में छूट देने या बदलाव करने की कोई योजना है। यही व्यवस्था उन लोगों के लिए भी है, जो हरियाणा के हैं, मगर दूसरे राज्यों में रहते हैं। हरियाणा सरकार अपने राज्य में सिर्फ उन्हीं लोगों को आरक्षण का लाभ देगी, जिनके पास डोमिसाइल (रिहायश प्रमाण पत्र) है।
सत्र में अतारांकित सवाल में यह मुद्दा उठाया था
प्रदेश सरकार उस व्यक्ति को डोमिसाइल जारी करती है, जो यहां पिछले 15 साल से नियमित रह रहा है। हालांकि कांग्रेस इसके लिए पांच साल से रहने का नियम लागू करने की मांग लंबे समय से कर रही है। बादली के कांग्रेस विधायक कुलदीप वत्स ने विधानसभा के शीतकालीन सत्र में अतारांकित सवाल में यह मुद्दा उठाया था। सरकार से पूछा था, क्या यह तथ्य है कि बाहरी प्रदेशों की अनुसूचित जातियों-पिछड़े वर्गों से संबंधित महिलाओं को हरियाणा में विवाह करने के बावजूद आरक्षण तथा किसी सरकारी योजना का लाभ नहीं दिया जा रहा है? वह भी तब, जबकि उनके नाम विभिन्न प्रमाणपत्रों जैसे जाति, निवास स्थान तथा परिवार पहचान पत्र में भी सरकार द्वारा सम्मिलित किए जा रहे हैं। यदि हां तो इसका क्या कारण है? क्या ऐसी महिलाओं को आरक्षण का लाभ देने का कोई प्रस्ताव सरकार के विचाराधीन है?
विवाह के बाद भी व्यक्ति एससी, बीसी का नहीं मनाया जाएगा
मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने जवाब में बताया है कि कोई भी व्यक्ति जो जन्म से अनुसूचित जाति-जनजाति का नहीं है, केवल इसलिए अनुसूचित जाति-जनजाति का सदस्य नहीं माना जाएगा क्योंकि उसने उस जाति-जनजाति के महिला या पुरुष से विवाह किया है। हालांकि अगर अनुसूचित जाति-जनजाति का महिला-पुरुष अगर दूसरी जाति में शादी करते हैं तो भी उनकी मूल जाति नहीं बदलेगी। यानी कि वह अनुसूचित जाति-जनजाति के सदस्य बने रहेंगे। मुख्यमंत्री ने सदन में बताया कि अनुसूचित जाति एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग ने 13 सितंबर, 1984 को अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के अभ्यर्थियों एवं दूसरे राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के प्रवासियों के दावों के सत्यापन के संबंध में निर्देश जारी किए थे।
इसमें स्पष्ट किया गया है कि अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति के व्यक्ति के अपने मूल राज्य से दूसरे राज्य में प्रवास करने की स्थिति में उसका अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति के रूप में दर्जा नहीं खोएगा। इसके बावजूद वह अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति के लिए अनुदेय रियायत-लाभ का हकदार अपने मूल राज्य में ही होगा न कि उस राज्य में जहां वह प्रवासित हुआ है। इसके अलावा सामान्य प्रशासन विभाग ने भी जाति प्रमाणपत्र जारी करने के संबंध में सरल पोर्टल पर विगत 22 मार्च को हिदायतें जारी की हैं।
दूसरे राज्य में जाकर नहीं ले सकते आरक्षण का लाभ
नियमों के तहत अगर कोई व्यक्ति दूसरे राज्य में प्रवास करता है तो वह केवल उस राज्य में ही अधिसूचित जाति के लाभ लेने का दावा कर सकता है, जहां से वह मूल रूप से संबंध रखता है। दूसरे राज्य में उसे अधिसूचित वर्ग के लिए आरक्षित सुविधाओं का लाभ नहीं दिया जा सकता। विवाह के माध्यम से दावा करने वाले व्यक्ति का जाति प्रमाण पत्र भी नहीं बदलेगा। किसी व्यक्ति की जाति एक राज्य से दूसरे राज्य में प्रवास के बाद भी नहीं बदलती है और न ही किसी व्यक्ति के किसी अन्य जाति के व्यक्ति से विवाह के बाद बदलती है।
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