प्राइवेट में नहीं खाने होंगे धक्के मुफ्त में सरकारी अस्पताल में ही होगा बायोप्सी
यदि आपके शरीर में कोई गांठ बन चुकी है और इसे कैंसर या अन्य बीमारी समझकर टेस्ट कराना चाहते हैं तो सरकारी अस्पताल में यह सुविधा मुफ्त है। छावनी नागरिक अ ...और पढ़ें

उमेश भार्गव, अंबाला शहर
यदि आपके शरीर में कोई गांठ बन चुकी है और इसे कैंसर या अन्य बीमारी समझकर टेस्ट कराना चाहते हैं तो सरकारी अस्पताल में यह सुविधा मुफ्त है। छावनी नागरिक अस्पताल में जहां इस सुविधा को शुरू कर दिया गया है वहीं जिला नागरिक अस्पताल में इसके लिए एक लाख रुपये ट्रांसफर कर दिए गए हैं। इतना ही नहीं अब इस टेस्ट के लिए रेजेंट्स मंगवाने के आर्डर भी जिला नागरिक अस्पताल की ओर से कर दिए गए हैं। ऐसे में जल्द ही वहां भी यह सुविधा मिलेगी।
दरअसल अब जिला नागरिक अस्पताल में बायोप्सी होने लगेगा। फिलहाल यह टेस्ट प्राइवेट अस्पताल या प्राइवेट लैब में ही होता है। इसमें शरीर के किसी भी हिस्से की गांठ या ऑपरेशन से निकाले गए शरीर के किसी भी त्वचा के हिस्से की जांच की जाती है। मूलत: इस जांच से कैंसर का पता लगाया जाता है। छावनी नागरिक अस्पताल में औसतन हर माह 50 टेस्ट हो रहे हैं जबकि जिला नागरिक अस्पताल में औसतन हर माह 70 केस ऐसे आते हैं लेकिन बायोप्सी की सुविधा नहीं होने के कारण मरीजों को बाहर से टेस्ट कराने पड़ते हैं।
क्या है बायोप्सी और किसको मिलेगा लाभ
अंबाला के आसपास पंचकूला सरकारी अस्पताल को छोड़कर किसी भी जिले में बायोप्सी की सुविधा नहीं है। इसीलिए कुरुक्षेत्र, कैथल, अंबाला यहां तक की यमुनानगर के मरीजों को भी लाभ होगा। बायोप्सी में शरीर से कोशिकाएं या ऊतक निकाला जाता है। क्षति या रोग की जांच करने के लिए पैथोलॉजिस्ट माइक्रोस्काप से कोशिकाएं या ऊतक देखता है। पैथोलॉजिस्ट उनपर अन्य परीक्षण भी कर सकता है। बायोप्सी शरीर के सभी हिस्सों पर की जा सकती है। ज्यादातर मामलों में, बायोप्सी एकमात्र ऐसा परीक्षण होता है जो निश्चित रूप से बता सकता है कि संदेहास्पद भाग में कैंसर है या नहीं। लेकिन बायोप्सी कई अन्य कारणों से भी किए जाते हैं। नीडल बायोप्सी त्वचा में सुई डालकर समस्या वाले स्थान से गांठ या चमड़ी के ऊपर उठे हुए हिस्से को निकाला जाता है। कई प्रकार की बायोप्सी में सर्जरी की जरूरत पड़ सकती है।
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छावनी नागरिक अस्पताल में यह सुविधा शुरू हो चुकी है। औसतन 50 केस तक हर माह बायोप्सी के आ रहे हैं। इसके लिए पैथोलॉजिस्ट का होना जरूरी है। लगभग ज्यादातर आपरेशन में बायोप्सी की जरूरत होती है।
डॉ. शालिनी एमडी पैथोलॉजिस्ट, अतिरिक्त एसएमओ। फोटो: 18
मैं जब यहां आया तो मैंने देखा कि तीन-तीन पैथोलॉजिस्ट होने के बाद भी बायोप्सी की सुविधा मरीजों को नहीं मिल रही। मैंने छावनी अस्पताल में इसे शुरू करने के आदेश दे दिए। वहीं जिला नागरिक अस्पताल में भी इसे करने के लिए एक लाख रुपये ट्रांसफर कर दिए गए हैं। जल्द ही वहां भी यह सुविधा शुरू हो जाएगी।
डॉ. संत लाल, सिविल सर्जन।

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