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    ऑपरेशन सिंदूर में आतंकी ठिकानों को किया ध्वस्त, अब राष्ट्रपति के साथ उड़ान भरने वाले कमांडिंग ऑफिसर बने अमित गेहानी

    Updated: Wed, 29 Oct 2025 11:55 PM (IST)

    अंबाला में ग्रुप कैप्टन अमित गेहानी ने ऑपरेशन सिंदूर में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसके लिए उन्हें वायुसेना दिवस पर सम्मानित किया गया। राफेल स्क्वाड्रन के कमांडर गेहानी ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु के साथ राफेल में उड़ान भरी, जिससे मुर्मु ऐसा करने वाली पहली राष्ट्रपति बनीं। राफेल 4.5 जेनरेशन का मल्टीरोल फाइटर जेट है, जो कई खूबियों से लैस है।

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    अंबाला एयरबेस पर राष्ट्रपति के साथ उड़ान भरता राफेल। फोटो सोर्स- सोशल मीडिया

    दीपक बहल, अंबाला। ऑपरेशन सिंदूर में जिस तरह से भारत ने अपनी वायु शक्ति दुनिया के सामने रखी, वहीं इस ऑपरेशन में 17 स्क्वाड्रन गोल्डन एरो के कमांडिंग ऑफिसर ग्रुप कैप्टन अमित गेहानी की अहम भूमिका रही। इसमें उन्होंने जहां नेतृत्व किया, वहीं इसे बखूबी अंजाम भी दिया। पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों को ध्वस्त किया, जबकि कई सैन्य ठिकानों पर भी सटीक हमले किए।

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    इसके लिए उन्हें वायुसेना दिवस पर यूनिट साइटेशन से सम्मानित किया गया था। भारतीय वायुसेना में गेहानी का सफर करीब डेढ़ दशक का हो चुका है। इन दिनों वे अंबाला में 17 स्क्वाड्रन गोल्डन एरो की कमान संभाल रहे हैं। इस स्क्वाड्रन के जिम्मे राफेल का संचालन है। उनके करियर और उपलब्धियों को देखते हुए उन्हें इस स्क्वाड्रन की कमान सौंपी गई है।

    इस तरह से चला उनका करियर

    ग्रुप कैप्टन ने साल 2007 में कमीशनिंग हासिल की थी। वे 17 दिसंबर 2005 को फ्लाइंग पायलट बने थे। इसके साथ ही उन्होंने यूके की रायल एयरफोर्स के साथ उन्नत प्रशिक्षण लिया, जबकि संयुक्त अभ्यास में भाग लिया। यहां पर उन्होंने ताइफून जैसे विमान के खिलाफ एसयू-30 एमकेआई जैसे विमानों को उड़ाया। 17 दिसंबर 2018 को वे भारतीय वायुसेना में विंग कमांडर बने थे, जबकि ग्रुप कैप्टन वे साल 2020 में बने। राफेल का संचालन करने वाली 17 स्क्वाड्रन गोल्डन एरो पहली स्क्वाड्रन है।

    राष्ट्रपति को लेकर भरी उड़ान

    डेढ़ दशक के करियर में अमित गेहानी के सामने वह मौका आया, जो इतिहास बन गया है। बुधवार को उन्होंने अंबाला एयरबेस पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु के साथ राफेल विमान में उड़ान भरी। यह उड़ान 33 मिनट की रही। द्रौपदी मुर्मु पहली राष्ट्रपति हैं, जिन्होंने राफेल में उड़ान भरी है। इससे पहले वे सुखोई-30 एमकेआइ लड़ाकू में भी उड़ान भरी थीं। वे दो लड़ाकू विमानों में उड़ान भरने वाली पहली महिला राष्ट्रपति हैं।

    पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी भी आए थे अंबाला एयरबेस

    देश के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी भी अंबाला एयरफोर्स स्टेशन पर कलर प्रेजेंटेशन कार्यक्रम में साल 2016 में शामिल हुए थे। इस दौरान एयरफोर्स स्टेशन में उनके साथ राज्यपाल कप्तान सिंह सोलंकी और सीएम हरियाणा मनोहर लाल भी मौजूद रहे थे। यहां पर जगुआर, मिग-21, सुखोई 30 एमकेआइ और एमआइ-17 हेलीकाप्टर ने आयोजन स्थल के ठीक ऊपर से फ्लाई पास किया। यही नहीं सूर्य किरण एरोबेटिक और सारंग हेलीकाप्टर टीम ने हवा में कलाबाजियां दिखाई थीं।

    सितंबर 2020 में राफेल उतरा था अंबाला एयरबेस पर

    अंबाला एयरबेस पर सितंबर 2020 में फ्रांस से राफेल लड़ाकू जहाज को उतारा गया था। इस दौरान राफेल को भारतीय वायुसेना में शामिल करने के लिए अंबाला एयरबेस पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। इस दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह मौजूद रहे, जबकि फ्रांस की रक्षा मंत्री भी इस दौरान अंबाला एयरबेस पर आईं थीं।

    यह हैं राफेल की खूबियां

    राफेल 4.5 जेनरेशन का मल्टीरोल कांबेट फाइटर जेट है। इसकी टाप स्पीड दो हजार 222 किलोमीटर प्रति घंटा है। इसमें लगी गन एक मिनट में 2500 फायर कर सकती है। इसी तरह इसका राडार सिस्टम बेहतर है। यह 100 किलोमीटर के दायरे में एक साथ 40 टारगेट की पहचान कर सकता है। यह अपने साथ 24 हजार 500 किलोग्राम तक भार उठाकर ले जाने में पूरी तरह से सक्षम है।

    यह 60 घंटे की अतिरिक्त उड़ान भी भर सकता है। यह डबल इंजन वाला फाइटर जेट है। राफेल में तीन तरह की मिसाइलों को लगाया जा सकता है। यह एक बार में एक बार फ्यूल भरने पर लगातार 10 घंटे की उड़ान भर सकता है, जबकि हवा में ही फ्यूल को भर सकता है।