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    ऑपरेशन सिंदूर का अनुभव...सरहद पार ही ड्रोन हो जाएगा जाम; सेना ने बनाया विशेष उपकरण

    Updated: Tue, 30 Sep 2025 02:00 AM (IST)

    अंबाला में सेना ने सीमा पार से आने वाले ड्रोन को निष्क्रिय करने की नई तकनीक का प्रदर्शन किया। ऑपरेशन सिंदूर के अनुभव के बाद सेना स्वदेशी ड्रोन का उत्पादन कर रही है जो दुश्मन के ठिकानों को नष्ट करने और आपदा राहत में सहायक होंगे। सेना में ड्रोन इकाइयां स्थापित की जा रही हैं और सैनिकों को विशेष प्रशिक्षण दिया जा रहा है।

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    नारायणगढ़ में फील्ड फायरिंग रेंज में ड्रोन प्रदर्शन के दौरान शामिल सेना के अधिकारी व जवान। (जागरण)

    दीपक बहल, अंबाला। सीमा पार से कोई ड्रोन देश की ओर आता है तो उसे उसी की सीमा में जाम कर दिया जाएगा। इस ड्रोन को संचालित करने वाले का नियंत्रण हट जाएगा। वह अपनी सीमा में ही गिर जाएगा या फिर धमाके के साथ फट जाएगा।

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    ऑपरेशन सिंदूर के दौरान मिले अनुभव के बाद अब सेना ने यह तकनीक भी हासिल कर ली है। सीमाओं पर पर अब तक सेना के जवान सहित अन्य उपकरणों की तैनाती होती रही है, जबकि अब साथ में ड्रोन भी तैनात किए जा रहे हैं।

    सेना की विभिन्न इकाइयों में इस तकनीक से मशीनों और ड्रोन का निर्माण हो रहा है। सेना ने सोमवार को स्वनिर्मित ड्रोन की प्रदर्शनी नारायणगढ़ फायरिंग रेंज क्षेत्र में लगाई। इसमें दिखाया गया कि ड्रोन से भविष्य के युद्ध में सेना कैसे दुश्मनों के ठिकानों को ध्वस्त कर देगी।

    जिन ड्रोन का प्रदर्शन किया, वे अपने साथ पांच किलो विस्फोटक ले जाने में सक्षम हैं। जवानों ने ड्रोन उड़ाए और इनके साथ लगाए गए विस्फोटकों को टारगेट पर हमला कराया। यह प्रदर्शन ऐसा था कि एक बार लगा कि युद्ध का माहौल है।

    एक के बाद एक टारगेट ड्रोन के माध्यम से हिट किए गए। इस दौरान वह आधुनिक हथियार भी दिखाए गए, जिनसे दुश्मनों के ठिकानों को नष्ट किया जा सकता है।

    इसके अलावा कुछ ऐसे उपकरण भी दिखाये गए, जिनके माध्यम से दुश्मनों द्वारा उड़ाये जाने वाले ड्रोन को तुरंत पकड़ा जा सकता है और इसे नष्ट किया जा सकता है।

    पश्चिमी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ, लेफ्टिनेंट जनरल मनोज कुमार कटियार, पीवीएसएम, यूवाईएसएम, एवीएसएम फायरिंग रेंज में मौजूद रहे और विभिन्न ड्रोन के प्रदर्शन को देखा।

    उन्होंने सैनिकों की व्यावसायिकता और तकनीकी अनुकूलनशीलता की सराहना की। उन्होंने कहा कि सेना कमांडर ने भविष्य के युद्ध में ड्रोन की भूमिका और युद्ध के विभिन्न क्षेत्रों में उनके उपयोग की आवश्यकता पर जोर दिया।

    इस प्रदर्शन का उद्देश्य ड्रोन के नए प्रयोग को शामिल करते हुए अभ्यास के माध्यम से इसे बेहतर बनाना रहा। इसमें लगातार सुधार की भी आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि दुश्मन के ड्रोन सिस्टम का प्रभावी ढंग से मुकाबला करने की भी आवश्यकता है।

    साथ ही साथ काउंटर ड्रोन सिस्टम के विकास की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भी ये सिस्टम बहुत प्रभावी रहे थे और भारतीय सेना ने दुश्मन की हवाई प्रणालियों का प्रभावी ढंग से मुकाबला किया था।

    सुसाइड ड्रोन का भी हुआ प्रदर्शन

    इस दौरान सेना द्वारा ऐसे ड्रोन भी दिखाये गए, जो सुसाइड ड्रोन हैं। यह वे ड्रोन हैं, जिनको विस्फोटकों से लैस कर भेजा जाता है। यह दुश्मन के ठिकाने पर सीधे जाकर हिट करते हैं और वहीं पर नष्ट हो जाते हैं। ऐसे ड्रोन भी हैं, जो टारगेट हिट करने के बाद वापस आते हैं।

    विदेशी पर निर्भरता होगी कम

    सेना के अधिकारियों ने बताया कि ड्रोन का उत्पादन सेना की इकाइयों में ही किया जा रहा है। यह ड्रोन काफी कम कीमत पर तैयार हो रहे हैं और इनकी क्वालिटी और मारक क्षमता भी काफी बेहतर है।

    विदेश से जो ड्रोन मंगवाए जाते हैं वह काफी महंगे होते हैं। देश में ही तैयार होने वाले ड्रोन से विदेश पर निर्भरता खत्म हो जाएगी।

    युद्ध के साथ आपदा में भी काम आएंगे ड्रोन

    जो ड्रोन स्वदेशी तकनीक से बनाए जा रहे हैं वे आपदा में भी काम आएंगे। आपदा के दौरान यदि कहीं पर राहत सामग्री भेजनी हैं और वहां तक जाना संभव नहीं है, ऐसे में यह ड्रोन लाभदायक होंगे। इन ड्रोन के माध्यम से राहत सामग्री को भेजा जा सकता है, जबकि लोगों को ढूंढ़ने में मददगार होंगे और फंसे हुए लोगों को निकाला जा सकेगा।

    सेना में होंगी ड्रोन इकाइयां

    सेना में अब ड्रोन इकाइयां तैयार की जा रही हैं। इसमें 30 सैनिक होते हैं। इनको विशेष तौर पर ड्रोन चलाने के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है। एक ऐसा स्ट्रक्चर बनाया जा रहा है जिसमें चुनिंदा सैनिकों को सिर्फ ड्रोन संचालन का प्रशिक्षण दिया जाएगा।

    अटैक ड्रोन के साथ सर्विलांस ड्रोन का प्रशिक्षण भी जवानों को दिया जाएगा। सेना की हर ऑपरेशनल इकाई में आधे से अधिक सैनिक ड्रोन संचालन में दक्ष किए जा रहे हैं। 2027 तक ऑपरेशनल इकाई के हर सैनिक को यह प्रशिक्षण दे दिया जाएगा।

    भारतीय सेना में नई तरह की बटालियन और ब्रिगेड का गठन किया जा रहा है। यह निर्णय भविष्य के युद्ध को देखते लिया गया है। ऐसे युद्ध के लिए सेना को ऐसे हथियार और प्रशिक्षण उपलब्ध कराया जा रहा है, ताकि वह हमेशा दुश्मन से एक कदम आगे रहे। ऑपरेशन सिंदूर से अनुभव लेते हुए सेना अब भविष्य के युद्ध के लिए तैयार हो रही है।