राफेल के बाद अब अंबाला में सेना की ड्रोन शक्ति, तीन घंटे टारगेट पर दागे बम; जानें खासियत?
अंबाला में भारतीय थल सेना ने ड्रोन शक्ति का प्रदर्शन किया जिसमें दिखाया गया कि कैसे ड्रोन युद्ध में पाकिस्तान को घुटनों पर लाया जा सकता है। नारायणगढ़ फील्ड फायरिंग रेंज में हुए इस प्रदर्शन में ड्रोन से अटैक और टोह लेने का प्रदर्शन शामिल था। पश्चिमी कमान के जनरल मनोज कुमार कटियार ने जवानों का हौसला बढ़ाया। इस दौरान स्वदेशी ड्रोन की प्रदर्शनी भी लगाई गई।

दीपक बहल, अंबाला। पांच साल पहले जहां अंबाला एयरबेस को राफेल की ताकत मिली, वहीं अब भारतीय थल सेना ने ड्रोन शक्ति का प्रदर्शन भविष्य के युद्ध का नजारा पेश किया और बताया कि ड्रोन युद्ध में कैसे ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान को कुछ ही घंटों में घुटनों पर ला दिया था।
सोमवार को सेना की पश्चिमी कमान द्वारा नारायणगढ़ फील्ड फायरिंग रेंज में ड्रोन शक्ति का जबरदस्त प्रदर्शन किया।
इस दौरान ड्रोन से अटैक सहित टोह लेना आदि का प्रदर्शन हुआ। क्षेत्र में सेना की गाड़ियों की हलचल देखते हुए क्षेत्र के लोग भी हैरान रह गए कि आखिर इतनी मूवमेंट क्यों हो रही है। इस दौरान टारगेट हिट करते हुए जो धमाके हुए वह काफी दूर तक सुनाई दिए।
करीब तीन घंटे तक यह प्रदर्शन चला, जिसमें सेना ने ड्रोन वारफेयर का एक ट्रेलर दिखा दिया। इस दौरान पश्चिमी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ, लेफ्टिनेंट जनरल मनोज कुमार कटियार, पीवीएसएम, यूवाईएसएम, एवीएसएम फायरिंग रेंज में मौजूद रहे और उन्होंने इस प्रदर्शन को सराहा व जवानों का हौसला बढ़ाया।
सुबह ही शुरू हो गया था प्रदर्शन
नारायणगढ़ फील्ड रेंज में सेना ने ड्रोन वारफेयर का प्रदर्शन करने के लिए पूरी तैयारी कर ली थी। सेना के जवान अपने उपकरण, टैंक, गाड़ियां, असलहे के साथ रेंज पर पहुंच चुके थे।
सुबह जैसे ही ड्रोन प्रदर्शन शुरू हुआ तो कुछ देर के बाद धमकाें की आवाज से आसपास के लोगों को भी एक बार तो डरा दिया। धमाकों की आवाज काफी दूर तक सुनाई दी।
इस दाैरान अधिकारियों ने ब्रीफ किया कि कैसे जवानों द्वारा ड्रोन को उड़ाया जा रहा है और कैसे कंट्रोल के माध्यम से उनको टारगेट तक पहुंचाकर हिट किया जाता है।
इस दौरान कंट्रोल और अन्य जवानों के बीच तकनीकी जानकारी साझा की और टारगेट को खत्म किया गया।
इस तरह के ड्रोन सेना करती है इस्तेमाल
सेना द्वारा कई आधुनिक ड्रोन का इस्तेमाल किया जाता है। इस में हेरोन मार्क-वन और टू शामिल है। इसके अलावा सर्चर मार्क-टू, दृष्टि-10, नैनो ड्रोन, एमआर20 आदि ड्रोन शामिल हैं।
इसके अलावा सेना द्वारा नैनो ड्रोन भी इस्तेमाल किए जाते हैं। यह ड्रोन अटैक कर वापस आने वाले, सुसाइड ड्रोन, लॉजिस्टिक, टोही यानी जानकारी हासिल करने आदि के लिए इस्तेमाल होते हैं।
स्वदेशी ड्रोन की प्रदर्शन भी लगाई
इस मौके पर सेना द्वारा स्वदेशी ड्रोन की प्रदर्शनी भी लगाई गई। इसमें बताया कि कौन सा ड्रोन क्या मारक क्षमता रखता है। हर ड्रोन की उड़ान की दूरी अलग-अलग रही, जबकि पांच किलो या इससे अधिक का विस्फोटक यह ड्रोन ले जा सकने में सक्षम हैं।
इसके अलावा नैनो ड्रोन भी दिखाये गए, जिनका इस्तेमाल किसी क्षेत्र विशेष की जानकारी हासिल करने के लिए किया जाता है। इसी तरह हर ड्रोन के साथ अलग-अलग असलहा लगता है, वह भी इस दौरान दिखाया गया।
ड्रोन निर्माण करने वाली कंपनियां भी हुईं शामिल
सेना के इस प्रदर्शन के दौरान उन कंपनियों ने भी भागीदारी की, जो ड्रोन निर्माण के क्षेत्र में हैं। इन कंपनियों ने भी अपने ड्रोन यहां पर दिखाये। इन ड्रोन के माध्यम से इन कंपनियों ने बताया कि कैसे भविष्य के लिए सेना को ड्रोन वारफेयर के लिए तैयार किया जा रहा है।
यह भी बताया गया कि आने वाले समय में ड्रोन तकनीक को और विकसित किया जाएगा, जबकि इसमें कई ऐसे फीचर जोड़े जा सकते हैं, जिससे भारतीय सेना अपने दुश्मनों पर हर समय बढ़त में रहेगी।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।