दशकों से अनिल विज की राजनीतिक दिनचर्या का केंद्र रहा अंबाला का ये टी-प्वाइंट, होता है जनता की समस्याओं का 'इंस्टेंट' समाधान
अंबाला में अनिल विज का टी-प्वाइंट चार दशकों से राजनीतिक गतिविधियों का केंद्र रहा है। यहाँ, चाय की चुस्कियों के साथ, लोग प्रदेश की राजनीति पर चर्चा करत ...और पढ़ें
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अंबाला में अनिल विज के टी-प्वाइंट पर चार दशकों से चाय पर चर्चा होती है (फोटो: जागरण)
जागरण संवाददाता, अंबाला। छावनी का सदर बाजार चौक। इसे अब सदर टी-प्वाइंट के नाम से जाना जाता है। दशकों से परिवहन मंत्री अनिल विज की अनोखी और अटूट राजनीतिक दिनचर्या का केंद्र है।
लगभग चार दशकों से विज रोजाना साथियों के यहां बैठते हैं। चाय की चुस्कियों के साथ जिले और प्रदेश की राजनीति पर गहन चर्चा होती है।
यह टी-प्वाइंट केवल एक चाय की दुकान नहीं, बल्कि विज के लिए जनता की अदालत और सीधे संवाद का मंच भी बन गया है। मंत्री यहां आने वाले आम लोगों की समस्याएं सुनते हैं और अक्सर मौके पर ही अधिकारियों को फोन लगाकर समाधान करवाते हैं।
यह जगह हल्के-फुल्के व्यंग्यों और चुटकुलों का केंद्र भी है, जहां विज को कभी-कभार गीत गुनगुनाते हुए भी देखा गया है। यहीं से वह विपक्ष और राजनीतिक विरोधियों पर तीखे राजनीतिक बाण भी छोड़ते हैं।
बॉलीवुड के कलाकार हों, या फिर बड़ी हस्तियां उनसे मिलने के लिए इसी टी-प्वाइंट पर पहुंचते रहे हैं। उनके टी-प्वाइंट पर पहुंचने से पहले ही सभी सदस्य जमा हो जाते हैं।
इस समूह को जोड़ने के लिए सदर टी-प्वाइंट नाम से एक वाट्सएप ग्रुप भी बना हुआ है। यह टी-प्वाइंट केवल एक बैठक स्थल नहीं, बल्कि अनिल विज की सहज, बेबाक और जन-केंद्रित राजनीति का जीता-जागता प्रतीक है।
पार्क रोड पर एक छोटा सा टी स्टाल। इसे चाय-चौपाल के नाम से भी जाना जाता है। यहां सुबह चार दशकों से गुड मार्निंग क्लब के लगभग 20 बुजुर्ग और अनेक प्रबुद्ध नागरिक यहां सुबह-सवेरे सैर के बाद चाय की चुस्कियों के साथ सुख-दुख और देश-प्रदेश के हालात पर चर्चा करते सुने जा सकते हैं।
चाय की चुस्कियों के साथ बिना किसी संकोच के हर मुख से मुखर राय निकलती है। कभी धर्म और समाज से जुड़ता विषय होता है तो कभी राजनीति, देश-दुनिया की घटनाएं, पुरानी यादें। चुटकुले और हल्की-फुल्की हंसी-मजाक माहौल को खुशनुमा बना देते हैं।
यहां बैठने वाले लोग न केवल चाय पीते हैं, बल्कि एक-दूसरे के सुख-दुख के साथी भी बन चुके हैं। यही कारण है कि यह टी-स्टाल अब केवल चाय पीने की जगह नहीं, बल्कि सामाजिक भाईचारे का केंद्र बन चुका है।
इस चाय चौपाल से जुड़े कई लोग करीब 40 वर्षों से लगातार यहां आ रहे हैं। समय बदला, लोग बदले, लेकिन चाय पर चर्चा की परंपरा आज भी उतनी ही मजबूत है। आने वालों का मानना है कि यहां सुबह न केवल मानसिक तनाव दूर करती है, बल्कि दिन की सकारात्मक शुरुआत भी देती है।
मॉडल टाउन में यह दुकान चाय पीने के साथ-साथ बल्कि सामाजिक संवाद और आपसी रिश्तों का केंद्र बन चुकी हैं। सुबह के समय यहां चाय की भाप के साथ परिवार, कारोबार और समाज से जुड़े सुख-दुख की बातें भी वातावरण में उड़ान भरती नजर आती हैं।
करीब तीन घंटे इन दुकानों पर एक अलग ही नजारा होता है। व्यापारी वर्ग दिन की शुरुआत चाय की चुस्की के साथ करता है। कारोबार की योजनाएं, बाजार के हालात और व्यक्तिगत अनुभव साझा होते हैं।
दोपहर होते-होते यहां छात्रों का जमावड़ा लग जाता है, जो पढ़ाई, करियर और भविष्य के सपनों पर चर्चा करते दिखते हैं। शाम ढलते ही युवाओं की मौजूदगी माहौल को और जीवंत बना देती है।
खास बात यह है कि यहां आने वाले कई लोग खुद अपनी कुर्सियां और मेज तक लेकर पहुंचते हैं। रवि अस्पताल के पास पेड़ों की छाव में गर्मी हो या सर्दी हर मौसम में चाय पीने वालों वालों की संख्या कम ही नहीं होती।
चाय सिर्फ थकान मिटाने का जरिया नहीं, बल्कि रिश्तों को जोड़ने वाली डोर की भूमिका में भी आ गई है। चाय के बढ़ते क्रेज को देखते हुए शहर जहां चाय सुट्टा बार सहित कई नामी चाय ब्रांड्स ने अपनी फ्रेंचाइजी खोल ली है।
इसके बावजूद आज भी पारंपरिक चाय की दुकानों पर अलग ही भीड़ नजर आती है। चाय पीने का अंदाज़ भी निराला है कोई स्टाइलिश कप में चाय की चुस्की लेता है तो कोई घर से लाया हुआ नाश्ता निकाल लेता है, जो कई दिनों तक साथ चलता है। यह दृश्य अपने आप में सामूहिकता और अपनापन दर्शाता है।

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