आखिर रेस्ट हाउस से हुई पुलिस अधिकारी की विदाई, देने होंगे रेलवे को ढाई लाख रुपये
जागरण प्रभाव कटिग देंगे स्कैन करके - छावनी रेलवे स्टेशन पर रेस्ट हाउस में दो साल ...और पढ़ें

जागरण प्रभाव, कटिग देंगे स्कैन करके - छावनी रेलवे स्टेशन पर रेस्ट हाउस में दो साल से पुलिस अधिकारी ने कर रखा था कब्जा, खाली कराने के लिए अफसरों के छूटे पसीने - रेलवे पुलिस के आलाधिकारियों के दखल के बाद रेस्ट हाउस हुआ खाली, रेलवे अफसरों ने ली राहत जागरण संवाददाता, अंबाला : अंबाला छावनी रेलवे स्टेशन परिसर में बने रेस्ट हाउस के कमरा नंबर दो को राजकीय रेलवे पुलिस (जीआरपी) के अधिकारी को खाली करना पड़ा। रेलवे अफसरों के पसीने छूट गए, लेकिन दो साल तक अधिकारी ने कब्जा रखा। मामला जब रेलवे पुलिस के आलाधिकारियों तक पहुंचा तो उनके दखल के बाद रेस्ट हाउस खाली करना पड़ा। रेलवे ने करीब ढाई लाख रुपये की रिकवरी निकाल दी है जो अब सरकारी खजाने में जमा करानी होगी। अब रिकवरी लेने के लिए रेलवे ने अधिकारी के साथ पत्राचार किया है।
बता दें कि दैनिक जागरण ने रेस्ट हाउस पर पुलिस अधिकारी का कब्जा, डीआरएम ने रसोई पर लगवाया ताला शीर्षक से मामला उजागर किया था। दरअसल कोरोना काल में रेलवे पुलिस अधिकारी को अस्थायी रूप से रेस्ट हाउस का कमरा नंबर दो दिया गया था। कमरे के साथ-साथ अन्य कर्मी रसोई को भी इस्तेमाल करने लगे जो रेल अधिकारी को रास नहीं आई। रेलवे अधिकारियों ने जीआरपी के अधिकारी को पत्र लिखकर कमरा खाली करने की बात कही, लेकिन मार्च 2022 तक 2 लाख 24 हजार रुपये की रिकवरी निकालने के बावजूद कमरा खाली नहीं हुआ। हाल ही में डीआरएम जीएम सिंह अधिकारियों के साथ निरीक्षण करते हुए रेस्ट हाउस पहुंच गए तो डाइनिग टेबल पर कर्मचारी टमाटर-प्याज काट रहे थे। इसको लेकर डीआरएम खफा हो गए और रेलवे पुलिस अधिकारी से भी जवाब तलब किया। अधिकारी को बताया गया कि इस रेस्ट हाउस की रेलवे को समय-समय पर जरूरत पड़ती रहती है, क्योंकि दूसरे मंडल या स्टेशन से आने वाले रेल अधिकारी भी अस्थायी रूप ये यहां रूकते हैं। इसके बाद मामला रेलवे पुलिस की एसपी और आइजी तक पहुंचा। इसके बाद आलाधिकारियों ने भी दखल दिया जिसके बाद रेस्ट हाउस खाली हो गया। इस तरह से कमरे का किराया 100 से बढ़कर पहुंचा 350 रुपये
11 जून, 2020 से 20 जून, 2020 तक दस दिन का किराया इस कमरे का प्रतिदिन 100 रुपये के हिसाब से 1000 रुपये निकाला गया था। 21 जून से 8 जुलाई, 2020 तक 18 दिन का किराया 150 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से 2700 रुपये निकाला गया। इसके बावजूद जब पुलिस अधिकारी ने कमरा खाली नहीं किया तो 9 जुलाई 2020 से 22 मार्च, 2022 तक 622 दिन के 350 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से 2 लाख 17 हजार 700 रुपये किराया निकाल दिया गया है। रेलवे अब कमरा खाली कराने के साथ-साथ निकाले गए किराये की भी डिमांड कर रहा है।

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