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    Farmer Protest: किसान संगठनों के समर्थन में उतरी आम आदमी पार्टी, AAP प्रधान बोले- MSP के वादों को लेकर दिल्ली जाना चाहते हैं किसान

    By Jagran News Edited By: Shoyeb Ahmed
    Updated: Sun, 11 Feb 2024 05:06 AM (IST)

    दिल्ली कूच की तैयारी में जुटे किसान संगठनों को आम आदमी पार्टी (आप) ने समर्थन देते हुए हरियाणा आप के प्रधान डॉ. सुशील गुप्ता ने कहा कि केंद्र सरकार को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के वादे की याद दिलाने के लिए किसान दिल्ली जाना चाहते हैं। परंतु किसानों के दिल्ली कूच को कुचलने के लिए प्रदेश सरकार ने तैयारी कर ली है।

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    किसान संगठनों के समर्थन में बोले आप पार्टी के प्रदेश प्रधान डॉ. सुशील गुप्ता (फाइल फोटो)

    राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। दिल्ली कूच की तैयारी में जुटे किसान संगठनों को आम आदमी पार्टी (आप) ने समर्थन दिया है। हरियाणा आप के प्रधान डॉ. सुशील गुप्ता ने कहा कि केंद्र सरकार को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के वादे की याद दिलाने के लिए किसान दिल्ली जाना चाहते हैं।

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    परंतु किसानों के दिल्ली कूच को कुचलने की तैयारी प्रदेश सरकार ने कर ली है। वहीं, तृतीय श्रेणी पदों की भर्ती का मामला फिर हाई कोर्ट पहुंचने पर वरिष्ठ उपाध्यक्ष अनुराग ढांडा ने सवाल उठाए हैं।

    शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने का अधिकार सभी को

    सुशील गुप्ता ने कहा कि लोकतंत्र में शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने का अधिकार सभी को है। जब भी किसानों ने अपने हकों के लिए आवाज उठाई है, सरकार ने उन्हें दबाने का काम किया है। किसान आंदोलन में भी प्रदेश सरकार ने किसानों को रोकने की पूरी कोशिश की थी, लेकिन विफल रही।

    लंबे आंदोलन के बाद केंद्र सरकार ने तीनों काले कानून वापस लेते हुए वादा किया था कि फसलों पर एमएसपी लागू करेंगे। अभी तक सरकार ने अपना वादा पूरा नहीं किया।

    ढांडा ने सरकार को घेरा

    वहीं, हरियाणा आप के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट अनुराग ढांडा ने ग्रुप सी पदों की भर्ती का मामला फिर से हाई कोर्ट पहुंचने पर प्रदेश सरकार को घेरा। उन्होंने कहा कि युवाओं के रोजगार और नई भर्तियों को मजाक बना दिया गया है। हाई कोर्ट ने पांच फरवरी को हरियाणा सरकार को इजाजत दी कि वह ग्रुप सी की भर्तियों को करा सके और युवाओं को नौकरी दे सके।

    लेकिन सरकार ने गलत तरीके से मेरिट लिस्ट बनाकर, गलत तरीके से युवाओं को रोजगार की जद से बाहर रख कर उस छूट का फायदा उठाया। नतीजन एक बार फिर इन भर्तियों पर कोर्ट की तलवार लटक रही है। जिन युवाओं के नंबर ज्यादा हैं, वे लिस्ट से बाहर हैं और जिनके नंबर कम हैं, उनका नाम लिस्ट में है। सरकार बताए कि जिन युवाओं के ज्यादा नंबर थे, वे भर्ती से बाहर कैसे हो गए और जिन अभ्यर्थियों के नंबर कम थे, वे अंदर कैसे हो गए।