800 गज के मकान में 300 गज हरियाली
मैंने संजोया था एक सपना फूलों के शहर में हो घर अपना पंक्तियां 77 वर्षीय प्रो.विज पर सटीक बैठती हैं। वे पिछले 37 साल से घर के आंगन में गुलिस्तान खिला र ...और पढ़ें

अवतार चहल, अंबाला शहर
मैंने संजोया था एक सपना फूलों के शहर में हो घर अपना, पंक्तियां 77 वर्षीय प्रो.विज पर सटीक बैठती हैं। वे पिछले 37 साल से घर के आंगन में गुलिस्तान खिला रहे हैं। उनकी इस मेहनत के लोग इतने कायल हैं कि जब भी मौका मिलता है तो वह अपने बच्चों तक को लेकर उनके आंगन की हरियाली दिखाने के लिए ले आते हैं।
प्रो.वीपी विज जैन कालेज में अंग्रेजी के विभागाध्यक्ष रह चुके हैं। वह जनवरी 2014 में सेवानिवृत्त हुए थे। विज ने बताया कि वह संयुक्त परिवार में रहते हैं। उनकी बेटियों की शादी हो चुकी है। उनके भाई भी उनके साथ ही रह रहे हैं। लेकिन उनके भाइयों को उसके गार्डनिंग के शौक पर कोई एतराज नहीं है। सरकार की ओर से तीन दिन फूलों का शो लगाया जाता है, जहां पर कई जगह से फूल लाए जाते हैं, लेकिन उनका शो डेढ़ माह चलता है। फूलों को छह ऋतुओं के मुताबिक उगाते हैं। इसी को लेकर छह ऋतुओं पर उत्सव भी मनाते हैं। एक हजार हैं घर में गमले
घर में करीबन एक हजार गमले हैं, इसके साथ टोकरियां, ट्रे हैंगिग भी हैं। स्थायी पौधे हैं। गुलदाउदी का फूल सर्दी में सबसे अधिक आता है, जो 15 नवंबर से 15 दिसंबर तक रहता है। इसमें करीबन 30 तरह की वैरायटी हैं। गुलदाउदी के बाद पेटूनिया जो अप्रैल-मई तक चलता है। लेकिन वह फरन, पैंदी, पटूनिया, रेनेन, कुलस, फरिजया, जेरेनियम, डायनथस, चिनचनोची, कलोनचू, डेलिया किस्म के फूल रखे हैं। छह तरह के पाम भी हैं जिसमें एरिका, जामिया, चाइनिस पाम आदि हैं। औषधीय पौधे भी हैं जिनमें अपराजिता, चंपा, चमेली, मोतियां हैं। गुलाब बेल, स्टैंडर्ड के साथ साथ स्पीट पी भी पचास फीट लंबे और साढ़े चार फीट ऊंची जगह पर रखी है। उन्होंने फूलों के साथ-साथ घर में झरना भी बनाया हुआ है। 30 साल से संरक्षित है बोगन बेला
प्रो.विज ने बताया कि उनके पास बोगन बेला की भी भरमार है। इतना ही नहीं उनके पास पिछले 30 साल पुरानी बोगन बेला भी संरक्षित हैं। वह आज भी जिदा है। उन्होंने बताया कि बोगन बेला में इस साल फुटाव शुरू हो गया है। जबकि बोगन बेला इतने लंबे समय तक नहीं रहती। खुद तैयार करते हैं खाद
वह खाद भी खुद तैयार करते हैं। उन्होंने बताया कि वह गमलों के लिये खेतों से मिट्टी लेते हैं। जबकि खाद पेड़ों के पत्तों और गोबर दोनों को मिलाकर तैयार करते हैं। वह नागालैंड से सफेद फूलों के कुछ बाल्ब भी लेकर आये थे, जिन्हें तैयार कर लिया गया है और कुछ समय बाद उगाया जाएगा। उन्होंने बताया कि वह तीसरी मंजिल पर गमले को तैयार करते हैं और छत पर ही ग्रीन हाउस में मेडिटेशन भी करते हैं।

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