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    वाह रे सिस्टम! अंबाला में 223 वोटर कार्ड पर एक ही फोटो, 9 साल से भटक रही 77 साल की बुजुर्ग की क्या है मांग?

    Updated: Tue, 11 Nov 2025 11:05 AM (IST)

    अंबाला के ढकोला गांव में 77 वर्षीय चरणजीत कौर की तस्वीर 223 वोटर कार्ड पर छपी है, जिनमें पुरुषों के कार्ड भी शामिल हैं। 2015 से यह गलती बरकरार है, जिसे अधिकारियों ने डेटा एंट्री की त्रुटि बताया था। हर चुनाव के साथ यह समस्या बढ़ती गई, पर कोई सुधार नहीं हुआ। अब गांव में यह मजाक बन गया है, लेकिन चरणजीत कौर के लिए यह एक गंभीर मुद्दा है।

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    चरणजीत कौर File Photo

    जागरण संवाददाता, अंबाला। ढकोला गांव की गलियों में जब धूप ढलती है, तो एक दुपट्टा ओढ़े वृद्धा अपने दरवाजे पर बैठी दिखती हैं। चेहरे पर शांत मुस्कान, आंखों में एक थकान जो वर्षों की जद्दोजहद बयान करती है। बच्चे गुजरते हुए ठिठकते हैं, फिर हंसकर कहते हैं- ‘देखो, वोटर आंटी।’ उनका नाम चरणजीत कौर है, उम्र 77 वर्ष।

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    गांव की बुजुर्ग माता, जो अब किसी रिश्ते या पहचान से नहीं, बल्कि ‘223 वोटर वाली आंटी’ के नाम से जानी जाती हैं। यह कोई किसी उपन्यास की कहानी नहीं, बल्कि उस सिस्टम की सच्ची कहानी है जो हर चुनाव से पहले त्रुटि सुधार की कसमें खाता है और फिर एक ही गलती को और गहराई में दर्ज कर देता है।

    223 वोटर कार्ड पर दर्ज है चेहरा

    चरणजीत कौर का चेहरा अब दो बूथों की मतदाता सूची में 223 वोटरों के कार्ड पर दर्ज है। इनमें कई पुरुष मतदाताओं के नाम भी शामिल हैं। गांव की आबादी है महज दो हजार ग्यारह सौ और एक चेहरा 223 बार छप चुका है। वही मुस्कान, वही सिर पर दुपट्टा, वही चेहरे की थकान।

    शुरुआत में मजाक लगी थी अपनी ही परछाई कहानी 2015 की है। चरणजीत कौर को पहली बार पड़ोसी ने बताया, ‘माताजी, आपकी फोटो तो मेरे वोटर कार्ड पर भी है।’ वह हंस दीं। सोचा, किसी ने मजाक किया होगा।

    लेकिन कुछ ही दिनों में गांव के एक-एक व्यक्ति अपने कार्ड लेकर उनके दरवाजे तक पहुंचने लगा। हर कार्ड पर उनका ही चेहरा। तब उन्हें एहसास हुआ कि यह मजाक नहीं, सिस्टम की ऐसी गलती है जो किसी की पहचान तक निगल सकती है। उन्होंने अधिकारियों से सवाल किया तो जवाब मिला - ‘डेटा एंट्री की गलती है, सुधार देंगे।’ पर ‘सुधार देंगे’ शब्द अब नौ साल से उनकी कहानी का सबसे झूठा वाक्य बन चुका है।

    काफी कोशिशों के बाद भी नहीं हुआ सुधार

    हर चुनाव के साथ और बढ़ी गलती, सुधरी कभी नहीं 2019 में विधानसभा चुनाव हुए, लेकिन बुजुर्ग चरणजीत कौर की तस्वीर को लेकर गलती बरकरार रही। 2022 में पंचायत चुनाव आए, तो उनकी तस्वीर 100 अलग-अलग मतदाताओं के नाम के आगे लग चुकी थी। 2024 में जब वोटर लिस्ट फिर अपडेट हुई, तो यह संख्या 223 तक पहुंच गई। यह सब केवल दो बूथों की मतदाता सूची में हुआ।

    जांच भी कभी सिरे नहीं चढ़ी

    अक्टूबर 2022 में जब मामला सुर्खियों में आया, तो खंड एवं विकास पंचायत अधिकारी स्तर पर जांच समिति बनी। समिति ने रिपोर्ट तैयार की, पर उसमें यह उल्लेख तक नहीं था कि दो बूथों में पुरुष वोटरों के कार्डों पर महिला की तस्वीरें कैसे दर्ज हुईं।

    जांच डेटा सुधार के दायरे में सीमित रह गई। हर चुनाव से पहले वोटर लिस्ट अपडेट होती रही, पर चरणजीत कौर की तस्वीर अब जैसे स्थायी छाप बन चुकी है। मिटाने की हर कोशिश पर और गहरी होती हुई।

    पुरुष मतदाताओं के कार्डों पर भी वही तस्वीर

    सबसे विचित्र पहलू यह कि इन कई पुरुष मतदाताओं के नाम के आगे भी चरणजीत कौर की तस्वीर दर्ज है। कई तो मजाक में कहते हैं, ‘हमारी वोटर आइडी पर भी आंटी की फोटो है।’ लेकिन इस मजाक के पीछे छिपी है एक गंभीर चूक, जिसने महिला की निजता, सम्मान और पहचान, इन तीनों को एक साथ कुचल दिया है।

    गांव में मजाक, पर चरणजीत कौर के लिए सबसे बड़ा घाव

    गांव की गलियों में अब यह कहानी बच्चों के लिए मजाक है, लेकिन चरणजीत कौर के लिए यह जख्म है जो हर चुनाव से पहले हरा हो जाता है। वे कहती हैं, ‘मैंने कभी दो वोट नहीं डाले, लेकिन मेरी फोटो ने सैकड़ों लोगों को पहचान दे दी।’ उनकी आवाज में शिकायत नहीं, बस एक थकान है, जैसे किसी ने पहचान छीन ली हो।