निजाम बदले नहीं बदले ऐतिहासिक नौरंग तालाब के रंग
जागरण संवादाता अंबाला शहर : नौरंग राय तालाब का इतिहास महाभारत काल से जुड़ा हुआ माना जाता है। भगवान श्
जागरण संवादाता अंबाला शहर : नौरंग राय तालाब का इतिहास महाभारत काल से जुड़ा हुआ माना जाता है। भगवान श्रीकृष्ण के रथ के घोड़े इसी तालाब पर पानी पीने और विश्राम करने आया करते थे। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार वामन अवतार से भी यह ऐतिहासिक स्थल जुड़ा हुआ है। तालाब के बीचों बीच वामन भगवान और राजा बलि की स्थापित मूर्ति इसका प्रमाण है। तालाब के किनारे बरसों से दशहरे का मेला भी लगता है। वामन उत्सव में भगवान वामन के ¨हडोले इसी तालाब में तैराए जाते हैं। 1982 में तत्कालीन मुख्यमंत्री भजन लाल ने इस तालाब को भव्य स्वरूप देने की घोषणा की, कार सेवा भी शुरू की गई, लेकिन सब अधर में लटक गया। इसके बाद फिर 21वीं शताब्दी में इसका जीर्णोद्धार के लिए प्रयास किए गए लेकिन सिरे नहीं चढ़े। हाल ही में जिलास्तरीय गीता जयंती उत्सव में इसी स्थान पर दीपदान व महा आरती हुई थी बावजूद इसके अभी तक कोई सुधार नहीं हुआ। ऐतिहासिक महत्ता के साथ-साथ इस तालाब पर काली माता का मंदिर भी बना है। हर शनिवार व नवरात्र पर यहां पर भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है बावजूद इसके इस तालाब की ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
बहुत कम लोग जानते हैं
अंबाला शहर में पोलिटेक्निक के पास स्थित यह तालाब शहर का सबसे महत्वपूर्ण व धार्मिक स्थल है। लब्बू राय तालाब, राम राय तलाय तालाब, कलियों और कलाओं का तालाब, धीरे-धीरे जनसंख्या के दबाव के कारण इन तालाबों ने अपना अस्तित्व खो दिया। गर्मी के दिनों में लोगों के लिए पानी की आपूर्ति करने का यह तालाब साधन थे। इसके साथ ही बरसात के दिनों में शहर को पानी से बचाने के लिए इन तालाबों की व्यवस्था कराई गई थी। इन तालाबों में से कलियों और कलाओं का तालाब अब पूरी तरह से विलुप्त हो चुके हैं। इस तालाब पर राजा गुरबक्श ¨सह की यहां समाधि बनी है, जो दया कौर के पति हुआ करते थे। रानी दया कौर अंबाला की महारानी थी। इस तालाब पर आठ नहाने के घाट हैं और बीच में तालाब है।
यह हैं वर्तमान हाल, यह होने चाहिए थे
इस समय हाल यह हैं कि नौरंग राय तालाब गंदगी से अंटा पड़ा है। केवल बावन द्वादशी के दौरान ही प्रशासन को इस तालाब की याद आती है। दिसंबर में मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने इस तालाब के जीर्णोद्धार के लिए साढ़े तीन करोड़ रुपये का बजट भी पास किया था। इतने सबके बावजूद इस तालाब के हाल बेहाल है। हाल यह है कि इस तालाब के घाट के बीच अधर में ही निर्माण कार्य को छोड़ा गया है। इसी कारण निर्माण के बीच छोड़ गए नुकेल सरिए यहां आने वाले भक्तों के लिए कभी भी संकट पैदा कर सकते हैं। नगर निगम ने इस तालाब के पास बाकायदा गंदगी न फेंकने और ऐसा करने पर जुर्माना लगाने का बोर्ड तो जरूर लगाया है लेकिन इस पर अमल करने वाला न तो कोई भक्त है न ही खुद प्रशासन नियमों की अनदेखी करने वालों पर कार्रवाई करने को तैयार है। अलबत्ता सदियों से बेरूखी का शिकार रहा यह ऐतिहासिक तालाब आज भी अपने अस्तित्व को बचाने के लिए जूझ रहा है।
वर्जन..
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ऐतिहासिक धरोहरों को संभालने के बजाय खुद सरकार ही इनकी अनदेखी कर रही है। जब सीएम ने इस तालाब के लिए साढ़े तीन करोड़ रुपये का बजट जारी किया था तो फिर क्यों सरकार प्रशासनिक अधिकारियों को जवाब तलब नहीं करती कि आखिर क्यों इस तालाब पर इतनी गंदगी है। इसके लिए किसी ने किसी अधिकारी की जवाबदेही तय होनी चाहिए, साथ ही जो पैसे दिए गए हैं उनका ब्योरा भी अधिकारियों से मांगा जाना चाहिए कि वह पैसा आखिरकार गया तो गया कहां। यदि पैसा नहीं आया तो फिर उसकी घोषणा क्या महज सुर्खियां बंटोरने के लिए हुई थी।
हरीश, शहरवासी।
वर्जन..
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ऐतिहासिक धरोहर हमें विरासत के रूप में मिलीं हैं। सरकार के साथ-साथ खुद हमें भी इन्हें बनाए और सहेज कर रखने की जरूरत है। मंदिर व सरोवर में आने वाले भक्तजनों को भी खुद इस बात की ओर ध्यान देना होगा कि यहां पर गंदगी न फैलाएं। यदि हम सुधर जाएंगे तो दूसरों से भी अपेक्षा की जा सकती है। प्रशासन के साथ-साथ नगर निगम को भी इस तालाब के सौंदर्यीकरण के लिए कदम उठाने चाहिए ताकि अंबाला शहर को पर्यटक स्थली के रूप में विकसित किया जा सके।
कृपाल ¨सह, शहरवासी।
वर्जन..
नौरंग तालाब न केवल हमारी ऐतिहासिक धरोहर है बल्कि बहुत से धार्मिक मान्यताएं भी इसके साथ जुड़ी हुई हैं। सदियों पुराने इस तालाब की तरफ यदि सरकारें व जिला प्रशासन या अकेला नगर निगम ही ध्यान देता तो इससे आज न केवल सरकारी राजस्व में वृद्धि होती बल्कि आज अंबाला शहर को पर्यटक स्थल के रूप में भी जाना जाता, लेकिन किसी ने इस तरफ ध्यान देना जरूरी नहीं समझा। हाल ही में सीएम ने भी घोषणा की थी लेकिन उसके बाद भी इस तालाब के हाल नहीं सुधरे।
हिमांशु पूंज, शहरवासी।
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