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    'ऋषभदेव को सभी धर्मो ने अपना प्रवर्तक माना'

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    Updated: Sat, 14 Mar 2015 08:04 PM (IST)

    संवाद सहयोगी, मुलाना : एसएस जैन सभा मुलाना में युगपुरूष उप प्रवर्तक सुभाष मुनि, प्रबुद्ध प्रवचक सुधी ...और पढ़ें

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    संवाद सहयोगी, मुलाना : एसएस जैन सभा मुलाना में युगपुरूष उप प्रवर्तक सुभाष मुनि, प्रबुद्ध प्रवचक सुधीर मुनि व साध्वी डॉ. अर्चना के सानिध्य में जैन धर्म के प्रथम तीर्थकर भगवान आदिनाथ ऋषभदेव स्वामी जी का जन्म एवं दीक्षा कल्याण बडे़ हर्षोउल्लास से मनाया गया। इस मौके पर प्रवचन भूषण सुधीर मुनि ने ऋषभ देव के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा की भगवान ऋषभ देव जी को सभी धर्म व दर्शन अपना आध प्रवर्तक स्वीकार करते है। सनातन परंपरा उन्हें भगवान शिव व ब्रह्मा का अवतार मानती हैं, मुस्लिम परंपरा उन्हें आदम बाबा के रूप में, बौद्ध धर्म उन्हें प्रथम बुद्ध के रूप में, ईसाई परंपरा उन्हें प्रथम काईस्ट व जैन परंपरा उन्हें अपना प्रथम तीर्थंकर के रूप में मानते हैं।

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    उन्होंने कहा कि संसार को ऋषभ देव जी ने ही कृषि लेखन, व्यापार -वाणिज्य आदि शिल्पों की शिक्षा दी, इससे पुर्व मानव जीवन कल्पवृक्षों पर जीवन यापन करते थे। साध्वी डा.अर्चना ने कहा की ऋषभ देव जी के प्रथम पुत्र चक्त्रवर्ती भरत के नाम पर ही आर्यव्रत का नाम भारतवर्ष प्रसिद्ध हुआ । इनकी पुत्री सुंदरी ने दुनिया को अंक गणित का ग्यान दिया । दुसरे पुत्र बाहुबली ने दुनिया को तमाम ज्योतिष विधाओं से अवगत कराया । उन्होंने बताया कि ऋषभ देव जी ने संसारिक मोह त्याग कर असिमित ग्यान प्राप्त कर दुनिया को बाट दिया । एक हजार वर्ष के तप के बाद उन्हें ग्यान प्राप्त हुआ, जिसके उपरात उन्होंने सत्य अहिंसा का मंगल उपदेश देकर मानव जाति का कल्याण किया । इस अवसर पर उप प्रवर्तक सुभाष मुनि जी ने सक्राति का पावन नाम सुनाकर लोगों को भगवान की शिक्षाओं से अवगत कराया । उन्होंने श्रद्धालुओं में प्रभावनाएं भी बाटी। मौके पर उपस्थित संगत मंगल पाठ सुन निहाल हो गई। इस दौरान श्यामलाल जैन, श्रीपाल जैन, राजीव बंसल, यशपाल मलिक, भुषण गोयल व सतीश जैन उपस्थित रहे।