अनूठे कस्तूरी बिलाव
शरीर पर बड़े-बड़े धब्बे। ये है मालाबार (उत्तरी केरल) के कस्तूरी बिलाव, जो आज से कुछ साल पहले दक्षिण भारत के केरल और कर्नाटक आदि राज्यो मे बड़ी संख्या मे मिलते थे। बीसवी सदी की शुरुआत मे इनकी संख्या मे जबर्दस्त कमी आई।

शरीर पर बड़े-बड़े धब्बे। ये हैं मालाबार (उत्तरी केरल) के कस्तूरी बिलाव, जो आज से कुछ साल पहले दक्षिण भारत के केरल और कर्नाटक आदि राज्यों में बड़ी संख्या में मिलते थे। बीसवीं सदी की शुरुआत में इनकी संख्या में जबर्दस्त कमी आई। इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर ने इन्हें विलुप्तप्राय जीवों की श्रेणी में रखा है। कस्तूरी बिलाव स्वभाव से आक्रामक होते हैं। इन्हें अकेले रहना बेहद पसंद है। ये मांसाहारी होते हैं। छोटे स्तनधारी जीव, सांप, मछलियां, मेंढक, पक्षियों के अंडे आदि को ये बड़े चाव से खाते हैं। ये रात में अधिक सक्रिय होते हैं। इनके एनल ग्लैंड से निकलती है कस्तूरी, जो परफ्यूम, दवा आदि बनाने में इस्तेमाल की जाती है। इनकी खाल भूरी होती है, जिस पर काले धब्बे पाए जाते हैं। लगभग 8-9 किलोग्राम होता है इनका वजन। जंगल की सफाई और काजू की खेती में कमी आने के कारण इनकी संख्या में जबर्दस्त कमी आई है।
जेजे डेस्क
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