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    सामने आया दुनिया का सबसे छोटा इंजन

    By Babita kashyapEdited By:
    Updated: Thu, 05 May 2016 03:44 PM (IST)

    वैज्ञानिकों ने दुनिया के सबसे छोटे इंजन को विकसित करने में सफलता हासिल की है। छोटे आकार के कारण इसे नैनों इंजन भी कहा जा सकता है।

    लंदन। ब्रिटिश वैज्ञानिकों ने दुनिया का सबसे छोटा इंजन विकसित करने में सफलता हासिल की है। इसका आकार मीटर के एक अरबवें हिस्से जितना है। इसे नैनो इंजन कहा जा सकता है। यह प्रकाश से ऊर्जा प्राप्त करता है। इससे पानी में चलने, आसपास के वातावरण का पता लगाने, सेल्स में दाखिल होकर बीमारियों से ल़डने में सक्षम नैनो मशीनें बनाई जा सकेंगी।

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    ऐसे किया निर्माण

    इस अनूठे इंजन का निर्माण सोने के छोटे आवेशित कणों को तापमान के अनुकूल पॉलीमर के साथ बांधकर किया जाता है। पॉलीमर जेल के रूप में होते हैं। एक निश्चित तापमान पर नैनो इंजन को लेजर से गर्म करने पर सेकंड के कुछ हिस्सों में बडी मात्रा में इलास्टिक एनर्जी (किसी भी ढांचे के खत्म होने पर पैदा होने वाली संभावित ऊर्जा) संग्रहीत हो जाती है। तापमान के कारण पॉलीमर की परत से पानी का अंश खत्म होते ही इसका आकार भी बदल जाता है। इस परिस्थिति में सोने के अतिसूक्ष्म कण आपस में मजबूती से जु़ड जाते हैं। उपकरण के ठंडा होने पर पॉलीमर फिर से पानी ग्रहण करता है, जिसके कारण वह फैलता है। इससे सोने के अतिसूक्ष्म कणों पर स्प्रिंग की तर्ज पर बहुत तेज धक्का लगता है।

    कैंब्रिज विश्वविद्यालय के शोधकर्ता ताओ दिंग ने बताया कि यह प्रक्रिया एक धमाके की तरह होती है। सोने के सूक्ष्म कणों के चारों ओर च़ढे पॉलीमर के लेप में पानी की उपस्थिति से एक सेकंड के दस लाखवें हिस्से में सोने के सैक़डों कण हवा में उछलने लगते हैं। इस इंजन को प्रकाश की मदद से नैनोस्केल पर ऊर्जा दी जा सकेगी। यह ऊर्जा इंजन को चलाएगी। विशेषज्ञों के मुताबिक, पर्यावरण के अनुकूल होने के अलावा यह काफी कम खर्चीला है।

    साभार- नई दुनिया