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    बाल्यावस्था से किशोरावस्था एक नया युग

    By Edited By:
    Updated: Sat, 14 Sep 2013 11:56 AM (IST)

    लड़कियों के जीवन में प्यूबर्टी (शारीरिक विकास) एक महत्वपूर्ण पड़ाव होता है। यह वह समय है जब लड़कियां शारीरिक एवं मानसिक रूप से परिपक्व बनती हैं। इस समय लड़कियों की लंबाई का 25 प्रतिशत, हड्डियों की मजबूती का 40 प्रतिशत व प्रजनन क्षमता व मानसिक परिपक्वता का संपूर्ण विकास होता है। जाहिर है कि प्यूबर्टी स्वस्थ जीवन का आधार है। इस समय आन

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    लड़कियों के जीवन में प्यूबर्टी (शारीरिक विकास) एक महत्वपूर्ण पड़ाव होता है। यह वह समय है जब लड़कियां शारीरिक एवं मानसिक रूप से परिपक्व बनती हैं। इस समय लड़कियों की लंबाई का 25 प्रतिशत, हड्डियों की मजबूती का 40 प्रतिशत व प्रजनन क्षमता व मानसिक परिपक्वता का संपूर्ण विकास होता है। जाहिर है कि प्यूबर्टी स्वस्थ जीवन का आधार है। इस समय आने वाली छोटी समस्याएं भी लड़कियों के स्वास्थ्य पर दूरगामी दुष्प्रभाव डालती हैं। हार्मोन के बदलाव से लड़कियों पर मानसिक प्रभाव भी पड़ते हैं, जिससे उनमें चिड़चिड़ाहट व एकाग्रता की कमी हो सकती है। इसी समय लड़कियों को अपने कॅरियर व पढ़ाई पर अत्यधिक मेहनत करनी पड़ती है। शोध में पाया गया है कि प्यूबर्टी संबंधी समस्याएं प्राय: लड़कियों को अपनी क्षमता के अनुरूप प्रदर्शन करने में अवरुद्ध करती हैं। अत: प्यूबर्टी के समय लड़कियों पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता होती है।

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    क्या होती है प्यूबर्टी

    प्यूबर्टी की प्रक्रिया आमतौर पर 10 वर्ष से आरंभ होकर चार-पांच साल में पूरी होती है। प्यूबर्टी का पहला लक्षण सीने का विकास है, जिसके साथ लड़कियों की लंबाई तेजी से बढ़ती है। सीने के विकास के लगभग दो वर्ष बाद मासिक धर्म आरंभ होता है। पहले दो वर्ष में अपरिपक्वता के कारण मासिक अनियमित हो सकतता है। मासिक शुरू होने के बाद लड़कियों की लंबाई में सिर्फ पांच से आठ सेंटीमीटर की वृद्धि होती है। लड़कियों की हड्डियों में अधिकतम विकास 12 से 18 वर्ष की आयु तक होता है। इस समय हड्डियों का उचित विकास न होना ही आगे चलकर ऑस्टियोपोरोसिस (हड्डियों की कमजोरी) का महत्वपूर्ण कारण है।

    कैसे करें बेटी की मदद

    लड़कियों को प्यूबर्टी के संबंध में जानकारी देना आवश्यक है, जिससे वो इन बदलावों के लिए तैयार रहें। उससे खुलकर बात करने से वो आने वाली समस्याओं को आपको बताने में हिचकिचाएगी नहीं। लड़कियों की लंबाई का विशेष ध्यान दें, क्योंकि सीने के विकास के बाद लगभग 20 सेंटीमीटर व मासिक धर्म के बाद पांच सेंटीमीटर ही लंबाई बढ़ती है। हड्डियों के विकास के लिए नियमित कैल्शियम, विटामिन डी का सेवन एवं शारीरिक गतिविधियां कराएं। उन्हें प्रतिदिन दो गिलास दूध पिलाना व 30 से 45 मिनट तक शारीरिक गतिविधि कराना आवश्यक है। इस समय लड़कियों को मानसिक सहयोग की भी अत्यधिक आवश्यकता होती है। उन्हें प्रतिदिन पर्याप्त समय दें व उनकी चिड़चिड़ाहट पर क्रोधित न हों।

    कब करें चिंता

    प्यूबर्टी यदि समय से पहले या देर से हो तो वो चिंता का विषय है। यदि सीने का विकास आठ वर्ष से पहले व मासिक धर्म 10 वर्ष के पहले आरंभ हो रहा हो तो यह किसी बीमारी का लक्षण हो सकता है। इसी प्रकार 14 वर्ष की आयु तक कोई विकास न होना भी बीमारी का लक्षण है। शुरुआत के दो वर्ष में मासिक धर्म अनियमित हो सकता है। इसके बाद मासिक धर्म में अनियमितता पर ध्यान देना आवश्यक है। मासिक धर्म के समय थोड़ा दर्द होना सामान्य है, पर तेज दर्द जो स्कूल व दैनिक कार्र्यो में अवरोध उत्पन्न करे, किसी गंभीर रोग का कारण हो सकता है। इसी प्रकार मासिक के आरंभ में कम लंबाई छोटे कद की तरफ इशारा करती है। चेहरे पर अवांछित बालों का विकास, मासिक के समय अत्यधिक ब्लीडिंग होना, बार-बार मुंहासे होना एवं बालों का गिरना हार्मोनल बीमारियों का लक्षण हो सकता है।

    क्या करें

    यदि समस्याएं हों तो

    प्यूबर्टी से संबंधित समस्याओं पर ध्यान देना अति आवश्यक है। शारीरिक विकास जल्दी ( आठ वर्ष के पूर्व) या देर से (14 वर्ष के बाद) होने पर, मासिक धर्म के दौरान तीव्र दर्द या ब्लीडिंग होने पर, अवांछित बालों के विकास पर डॉक्टर से मिलना आवश्यक है। इससे समय पर इन समस्याओं को आसानी से हल किया जा सकता है। इस समय लड़कियों को सहयोग व प्यार दें, जिससे वो इस कठिन दौर से आसानी से निकल सकें।

    प्यूबर्टी के समय लिए गए इन छोटे कदमों से हम लड़कियों के लिए सफल एवं सुदृढ़ भविष्य बना सकते हैं।

    (डॉ. यूथिका बाजपेयी, बाल-किशोर व स्त्रीरोग विशेषज्ञ)

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