दिन में दो बार डूब जाता है अरब सागर में बना यह शिव मंदिर
वडोदरा। आज महाशिवरात्रि है और इस दिन भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने के लिए विशेष आराधना की जाती है। ...और पढ़ें

वडोदरा। आज महाशिवरात्रि है और इस दिन भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने के लिए विशेष आराधना की जाती है। हिंदू धर्म में तैतीस करोड़ देवी-देवताओं का उल्लेख है, जिसमें सबसे ज्यादा आराधना देवों के देव महादेव की ही होती है। इसी क्रम में हम बात कर रहे हैं गुजरात में स्थित एक अनोखे मंदिर की।
यूं तो भारत में भगवान शिव के हजारों मंदिर हैं। लेकिन, गुजरात में वडोदरा से 85 किमी दूर स्थित जंबूसर तहसील के कावी-कंबोई गांव का यह मंदिर अलग ही विशेषता रखता है।
दिन में दो बार चला जाता है अरब सागर की गोद में
स्तंभेश्वर नाम का यह मंदिर दिन में दो बार सुबह और शाम को पल भर के लिए ओझल हो जाता है और कुछ देर बाद अपने उसी जगह वापिस भी जाता है। ऐसा ज्वारभाटा उठने के कारण होता है। इसके चलते आप मंदिर के शिवलिंग के दर्शन तभी कर सकते हैं, जब समुद्र में ज्वार कम हो। क्योंकि ज्वार के समय शिवलिंग पूरी तरह से जलमग्न हो जाता है और मंदिर तक कोई नहीं पहुंच सकता। यह प्रक्रिया सदियों से चली आ रही है। मंदिर अरब सागर के मध्य कैम्बे तट पर स्थित है।
इस मंदिर की खोज लगभग 150 साल पहले हुई। मंदिर में स्थित शिवलिंग का आकार 4 फुट ऊंचा और दो फुट के व्यास वाला है। इस प्राचीन मंदिर के पीछे अरब सागर का सुंदर नजारा नजर आता है। यहां आने वाले श्रद्धालुओं के लिए खासतौर से परचे बांटे जाते हैं, जिसमें ज्वार-भाटा आने का समय लिखा होता है, ऐसा इसलिए किया जाता है जिससे यहां आने वाले श्रद्धालुओं को परेशानियों का सामना न करना पड़े।

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