कोलकाता के मायापुर की 'बिष्णुप्रिया और लक्ष्मीप्रिया' आएंगी वंतारा, होगी आजीवन देखभाल; क्यों लिया गया यह फैसला?
इस्कॉन मायापुर के हाथियों को गुजरात मे जामनगर स्थित वनतारा में आजीवन देखभाल और सहायता मिलेगी। कोलकाता के मायापुर की बिष्णुप्रिया और लक्ष्मीप्रिया वंतारा आएंगी जिनकी आजीवन विशेष देखभाल की जाएगी।वंतारा बिष्णुप्रिया और लक्ष्मीप्रिया का स्थाई घर बनने जा रहा है। इसे इस तरह बनाया गया है कि यहां रहने वाले हाथियों को यह अपने प्राकृतिक आवास की तरह लगे।

जामनगर, गुजरात। गुजरात के जामनगर में स्थित वंतारा एक पशुओं के बचाव, रखरखाव और उनके पुनर्वास के लिए काम करने वाला संगठन है। इसकी स्थापना अनंत अंबानी ने की है। कोलकाता के पास मायापुर से लाए गए दो हाथियों का स्वागत करने के लिए वंतारा तैयार है। इन दो हाथियों (cow elephants) में एक 18 वर्षीय बिष्णुप्रिया और दूसरी 26 साल की लक्ष्मीप्रिया हैं।
क्यों लिया गया दोनों हाथियों को वंतारा लाने का निर्णय?
मायापुर से इन्हें लाने का निर्णय एक दुखद घटना के बाद लिया गया है। पिछले साल अप्रैल में हुई दुर्घटना में बिष्णुप्रिया ने अपने महावत पर जानलेवा हमला कर दिया था। इसके बाद से ही दोनों हाथियों की विशेष देखभाल और उन्हें अधिक सुविधाजनक वातावरण देने की जरूरत महसूस की गई।
इस्कॉन के साथ वंतारा द्वारा शुरू की गई इस स्थानांतरण परियोजना को त्रिपुरा हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट द्वारा अनुमोदन प्राप्त हो चुका है, जिसका उद्देश्य संकट में फंसे वन्यजीवों को सुरक्षित और तनाव से मुक्त वातावरण प्रदान करना है।
वंतारा बनेगा बिष्णुप्रिया और लक्ष्मीप्रिया का स्थाई घर
वंतारा बिष्णुप्रिया और लक्ष्मीप्रिया का स्थाई घर बनने जा रहा है। इसे इस तरह बनाया गया है कि यहां रहने वाले हाथियों को यह अपने प्राकृतिक आवास की तरह लगे। यहां हाथियों को किसी जंजीर में नहीं बांधकर रखा जाता जंजीर मुक्त वातावरण में विशेषज्ञ चिकित्सकों की देखभाल में हाथियों को रखा जाता है।
'पेटा' ने भी की थी वकालत
इस्कॉन मायापुर साल 2007 से ही लक्ष्मीप्रिया और 2010 से बिष्णुप्रिया को अपने यहां रख रहा है। इस दौरान मंदिरों के अनुष्ठानों और तीज त्योहारों के प्रसंगों पर उनका उपयोग किया जाता रहा है। पशु संरक्षण संगठन के रूप में काम करने वाले पीपल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (पेटा) ने भी हाथियों को एक विश्वस्नीय जगह पर हाथियों की देखभाल हो सके, ऐसी जगह छोड़ने की वकालत की थी।
क्या बोलीं मायापुर में हाथियों की प्रबंधक देव दासी?
मायापुर में इस्कॉन मंदिर की वरिष्ठ सदस्य और महावत व हाथियों की प्रबंधक श्रीमती देवी दासी ने बताया कि 'इस्कॉन में हमारी मान्यता के अनुसार चाहे मनुष्य हों या वन्यजीव सभी के शरीर में एक ही 'आध्यात्मिक आत्मा' है। हम प्रजातियों या जातियों में कोई भेदभाव नहीं करते। ईश्वर के बनाए सभी जीवों में आत्मा एक ही 'आध्यात्मिक प्रकृति' की होती हैं और दया व सम्मान की हकदार होती हैं।'
उन्होंने कहा कि 'मुझे विश्वास है कि बिष्णुप्रिया और लक्ष्मीप्रिया वंतारा में वहां के माहौल के अनुसार खुद को ढाल लेंगी और जल्द ही नए दोस्त बनाएंगी। साथ ही वहां हाथियों को मिलने वाले उन्मुक्त प्राकृतिक वातावरण में आनंद की अनुभूति करेंगी।'
शारीरिक ही नहीं, मानसिक स्वास्थ्य पर भी विशेष ध्यान
वंतारा में बचाए गए हाथियों की देखभाल उनके शारीरिक स्वास्थ्य का ही नहीं, बल्कि उनके मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ का भी ख्याल रखा जाता है। विशेषज्ञ पशु चिकित्सक और पशु मनोचिकित्सक समस्याओं का का समाधान करने के लिए मनोवैज्ञानिक मूल्यांकन करते हैं। वंतारा में हाथियों का अस्पताल भी है, जहां अत्याधुनिक सुविधाएं मौजूद हैं।
हाथियों के शारीरिक, मानसिक स्वास्थ्य के साथ भावनात्मक देखभाल करने के लिए वंतारा हमेशा अपनी प्रतिबद्धता से कार्य कर रहा है। हाथियों के जीवन की बेहतर गुणवत्ता के लिए वंतारा अपनी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
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