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    Gujarat: कौन हैं विपुल चौधरी जिन्हें एसीबी ने पांच सौ करोड़ रुपये के घोटाले में किया गिरफ्तार

    By Sachin Kumar MishraEdited By:
    Updated: Thu, 15 Sep 2022 09:06 PM (IST)

    Gujarat विपुल चौधरी 1995 में पहली बार भाजपा के टिकट से विधायक चुने गए थे। उन्होंने केशुभाई की सरकार को गिराने वाले शंकर सिंह वाघेला का साथ दिया था। वह उत्तर गुजरात में अर्बुदा सेना बनाकर विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे थे।

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    कौन हैं विपुल चौधरी जिन्हें एसीबी ने पांच सौ करोड़ रुपये के घोटाले में किया गिरफ्तार। फाइल फोटो

    अहमदाबाद, जागरण संवाददादा। Gujarat News: गुजरात (Gujarat) के पूर्व गृह राज्य मंत्री विपुल चौधरी (Vipul Choudhary) और उनके चार्टर्ड अकाउंटेंट (CA) शैलेष परीख को भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) ने गिरफ्तार किया है। इन पर दूध सागर डेयरी मेहसाणा का चेयरमैन रहते करोड़ों रुपये की हेराफेरी करने का आरोप है। इसमें अब तक 500 करोड़ रुपये के भ्रष्टाचार के 31 मामले सामने आ चुके हैं। एसीबी ने मनी लांड्रिंग की भी आशंका जताई है। इस मामले की जांच में अब ईडी भी शामिल हो सकती है।

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    केशुभाई की सरकार को गिराने वाले शंकर सिंह वाघेला का दिया था साथ 

    विपुल चौधरी 1995 में पहली बार भाजपा (BJP) के टिकट से विधायक चुने गए और केशुभाई पटेल की सरकार में मंत्री बने। 1996 में उन्होंने केशुभाई की सरकार को गिराने वाले शंकर सिंह वाघेला का साथ दिया और वाघेला की राष्ट्रीय जनता पार्टी में चले गए। बाद में कांग्रेस के समर्थन से बनी वाघेला सरकार में वह गृह राज्य मंत्री बने। हालांकि, वाघेला से मतभेद होने के चलते वह उनसे भी अलग हो गए। बीते कुछ माह से वह उत्तर गुजरात में अर्बुदा सेना बनाकर विधानसभा चुनाव (Gujarat Assembly Election 2022) लड़ने की तैयारी कर रहे थे।

    इसलिए हुई गिरफ्तारी

    एसीबी (ACB) के संयुक्त निदेशक मकरंद चौहाण ने बताया कि मेहसाणा दूध सागर डेयरी का चेयरमैन रहते विपुल चौधरी ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर वित्तीय अनियमितताएं कीं। उन्होंने पत्नी गीताबेन, पुत्र पवन चौधरी और चार्टर्ड अकाउंटेंट शैलेष परीख के नाम से कंपनियां बनाकर मिल्क कूलर और सूत की बोरियों की खरीद की। पूर्व में इसकी जांच सहकारी रजिस्ट्रार द्वारा की जा चुकी है। जिला कोआपरेटिव रजिस्ट्रार ने डेयरी के स्पेशल आडिट का आदेश दिया था। इसके विरोध में चौधरी ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। लेकिन, 2018 में हाई कोर्ट ने भी आडिट करने का आदेश दिया। दो टीमें बनाकर डेयरी का आडिट कराया गया, जिसमें वित्तीय अनियमितताएं सामने आ गईं। बाद में यह मामला एसीबी को सौंप दिया गया था। 

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