स्टेच्यू ऑफ यूनिटी देश को समर्पित, जानें इसकी खासियत
सरदार वल्लभ भाई पटेल की 182 मीटर ऊंची गगनचुंबी प्रतिमा विंध्याचल व सतपुड़ा की पहाड़ियों के बीच विश्व के सामने गर्व से खड़ी नजर आएगी।
अहमदाबाद, शत्रुघ्न शर्मा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बुधवार सुबह देश व दुनिया के समक्ष स्टेच्यू ऑफ यूनिटी के रूप में एक बेजोड़ नमूना पेश करेंगे। अखंड भारत के शिल्पी सरदार वल्लभ भाई पटेल की 182 मीटर ऊंची गगनचुंबी प्रतिमा विंध्याचल व सतपुड़ा की पहाड़ियों के बीच विश्व के सामने गर्व से खड़ी नजर आएगी। यह चीन के स्प्रिंग बुद्वा व न्यूयार्क की स्टेच्यू ऑफ लिबर्टी से भी ऊंची है।
देश के 592 रजवाड़ों का एकीकरण कर आधुनिक भारत का निर्माण करने वाले सरदार पटेल की जयंती 31 अक्टूबर को गुजरात के पर्यटन स्थलों में स्टेच्यू ऑफ यूनिटी के रूप में तकनीक, कला व भव्यता का एक नायाब नमूना जुड़ जाएगा। 182 मीटर ऊंची प्रतिमा के 135 मीटर तक याने प्रतिमा के ह्रदय स्थल पर बनी व्यूइंग गैलरी से नर्मदा बांध को निहार सकेंगे। यहीं से नजर आएगा 35 हजार वर्ग मीटर क्षेत्र में फैले सौ से अधिक प्रजाति के फूलों से बनी वैली ऑफ फ्लावर।
सोमनाथ, द्वारका, रण ऑफ कच्छ, सासण गीर, पोरबंदर गांधीजी के जन्मस्थल व अहमदाबाद के रिवरफ्रंट के बाद गुजरात के पर्यटन स्थलों की सूची में स्टेच्यू ऑफ युनिटी का नाम भी जुड गया है। पर्वतमालाओं के बीच हरी भरी वादियों के साथ खड़ी सरदार की भव्य व दिव्य प्रतिमा 8 किलोमीटर दूर से नजर आ जाएेगी। वडोदरा से चंद किमी की दूरी पर बनी एकता की प्रतीक इस प्रतिमा को प्रधानमंत्री मोदी बुधवार सुबह देश को समर्पित करेंगे। गुजरात के राज्यपाल ओपी कोहली, मध्यप्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, कर्नाटक के राज्यपाल वजुभाई वाला के अलावा गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी, उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल व भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह आदि इस समारोह में शिरकत करेंगे।
मुख्यमंत्री विजय रूपाणी का मानना है कि लौहपुरुष सरदार पटेल देश का गौरव हैं तथा आने वाले 50 साल तक दुनिया में उनकी सबसे ऊंची प्रतिमा होगी। उपमुख्यमंद्त्री नितिन पटेल का कहना है कि सरदार ने देश का एकीकरण कर एक आधुनिक राष्ट्र का निर्माण किया, यह प्रतिमा युवाओं को सदियों तक उनके काम व आदर्श की प्रेरणा देती रहेगी।
सरदार पटेल व प्रतिमा के बारे में उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल कहते हैं कि दुनिया में अब तक हजारों नेता हुए हैं पर सरदार जैसा दूरदर्शी, लोकनायक व द्रढ़ व्यक्तित्व के धनी नहीं हुए। करीब 2332 करोड की लागत से निर्मित 182 मीटर ऊंची प्रतिमा स्टेच्यू ऑफ युनिटी आने वाली पीढ़ी को अखंड भारत के शिल्पी के द्रढ मनोबल का आभास कराती रहेगी। सरदार सफल बैरिस्टर रहे, नगर पालिका से लेकर देश के उपप्रधानमंत्री के पद तक पहुंचे लेकिन सादगी, ईमानदारी व द्रढ मनोबल उनकी पहचान रहे।
182 मीटर ऊंची इस मूर्ति को बनाने में हजारों मजदूर व सैकड़ों इंजीनियर तो महीनों तक जुटे ही साथ ही अमेरिका, चाइना से लेकर भारत के शिल्पकारों ने भारी मेहनत की। सरदार का चेहरा कैसा हो और भावभंगिमा कैसी हो इसे तय करने में काफी समय लग गया।
अब तक चाइना में बुद्व की प्रतिमा सबसे ऊंची 128 मीटर थी, उसके बाद अमेरिका का स्टेच्यू ऑफ लिबर्टी 90 मीटर पर भारत में वह भी नदी के पट में 182 मीटर लंबी प्रतिमा को खड़ा करने का सपना देखना और उसे साकार करना एक बड़ी चुनौती वाला काम था इसे साकार किया। शिल्पकार पद्मश्री राम सुथार व उनके पुत्र अनिल सुथार ने और उनका साथ दिया अमेरिकन आर्किटेक्चर माइकल ग्रेस और टनल एसोसिएट्स कंपनी ने। प्रतिमा की खास बात यह है कि सरदार पटेल की प्रतिमा अपने नाम पर बने 138 मीटर ऊंचे सरदार सरोवर नर्मदा बांध को निहारती नजर आएगी तथा सरदार की आंखों में बांध का द्रश्य नजर आएगा।
सरदार सरोवर नर्मदा निगम के अध्यक्ष व गुजरात के हाइवे व कैनालमेन पद्मश्री एस एस राठौड की देखरेख में स्टेच्यू ऑफ युनिटी एक रिकार्ड समय करीब 44 माह में बनकर तैयार हो गई। जबकि अमरीका की स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के निर्माण में 5 साल का वक्त लगा। वहीं, चाइना में बुद्ध की 420 फीट ऊंची यह प्रतिमा करीब 90 साल में बनी थी।
19 हजार 700 वर्ग मीटर में फैले इस प्रोजेक्ट के साथ करीब 17 किलोमीटर लंबे तट पर फूलों की घाटी तैयार की गई है, जो पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र होगी। पर्यटक लिफ्ट के जरिए सरदार के ह्रदय तक पहुंच सकेंगे, 135 मीटर लंबी गैलेरी से एक साथ दो सौ पर्यटक प्रतिमा को निहार सकेंगे। प्रतिमा के निर्माण में 70000 टन सीमेंट,22500 टन स्टील व 1700 मैट्रिक टन तांबा लगा है। प्रतिमा भूकंप रोधी है जो 6,5 तीव्रता के भूकंप को सहन कर सकती है तथा 220 किमी प्रति घंटा की तेज हवाओं को सहन कर सकती है। चार धातुओं से मिलकर बनी इस प्रतिमा को जंग छू भी नहीं सकेगा, इसके निर्माण में 85 प्रतिशत तांबा का उपयोग किया गया है।
प्रतिमा के साथ यहां रहने के लिए 250 टेंट का एकभव्य शहर बसाया गया है जहां प्रधानमंत्री मोदी भी कुछ वक्त बिताएंगे। मोदी बुधवार रात को ही यहां पहुंचे, बुधवार सुबह वे केवडिया समारोह स्थल पहुंचेंगे। स्टेच्यु ऑफ युनिटी का निर्माण राष्ट्रीय एकता ट्रसट के माध्यम से हुआ है, पर्यटकों के लिए वडोदरा, केवडिया व टेंट सिटी से प्रतिमा स्थल तक विशेष बसों की व्यवस्था की गई है।
प्रधानमंत्री मोदी जब दुनिया को सबसे ऊंची 182 मीटर की प्रतिमा समर्पित करेंगे। उससे पहले हेलीकॉप्टर से प्रतिमा पर पुष्पवर्षा की जाएगी तथा सेना के हेलीकॉप्टर फ्लाय पास्ट करते हुए तिरंगा बनाएंगे। वहीं मोदी सरदार के पैरों पर जलाभिषेक व द्वीप प्रज्ज्वलन के साथ नर्मदा, गणेश व स्वस्ति मंत्रों के साथ समारोह का उद्घाटन करेंगे।
स्टेच्यू ऑफ यूनिटी के उद्धाटन से पहले ही विवाद भी उत्पन्न हो गया है। नर्मदा व दक्षिण गुजरात के आदिवासी समाज ने प्रतिमा स्थल साधु बेट पर अपना दावा जताया है। उधर. विधायक छोटूभाई वसावा ने आदिवासियों की कीमत पर प्रतिमा के निर्माण का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि सरकार अपने प्रचार व पाटीदार मतबैंक के लिए यह सब कर रही है जबकि आदिवासियों को इससे कोई लाभ होने वाला नहीं है। पूर्व सीएम शंकरसिंह वाघेला ने भी भाजपा की केंद्र व गुजरात सरकार पर सरदार का उपयेाग पब्लिसिटी के लिए करने का आरोप लगाया है। वाघेला व विधायक सी के राउलजी ने सरदार पटेल स्मारक पर देश के उन रजवाडे व राजाओं के नाम का उल्लेख करने की मांग की है, जिन्होंने अखंड भारत के निर्माण के लिए अपनी रियासतें सौंप दी।
कांग्रेस की ओर से मोर्चासंभाला नेता विपक्ष परेश धनाणी ने, उनका कहना है कि भाजपा सरदार पटेल के नाम का राजनीतिक उपयोग कर रही है। सरदार वर्षों तक कांग्रेस के अध्यक्ष रहे, सरकार में उपप्रधानमंत्री रहे लेकिन भाजपा उनके नाम पर अपना वोट बैंक साधने का प्रयास कर रही है। इसके जवाब में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष जीतू वाघाणी ने कहा कि कांग्रेस ने हमेशा सरदार का अपमान किया,उन्हें भारत रत्न देने में भी वर्षों तक अड़ंगा लगाया। गुजरात में सरदार की दिव्य व भव्य प्रतिमा का निर्माण हुआ है, पर्यटन से अधिक यह गुजरात व देश के लिए गौरव की बात है। नर्मदा बांध के पास एक पवित्र स्थल पर एक अनुठी क्रति का निर्माण हुआ है।