Move to Jagran APP

'आरक्षण ने देश को बर्बाद किया' कहने वाले हाईकोर्ट के जज की कुर्सी खतरे में

आरक्षण ने देश को बर्बाद किया' टिप्पणी करने वाले गुजरात हाईकोर्ट के जज जस्टिस जेबी पारडीवाला की कुर्सी खतरे में हैं। राज्यसभा के 58 सांसदों ने सभापति को महाभियोग प्रस्ताव देकर जस्टिस पारडीवाला को हटाने की मांग की है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Sun, 20 Dec 2015 01:52 AM (IST)Updated: Sun, 20 Dec 2015 02:02 AM (IST)

अहमदाबाद। आरक्षण ने देश को बर्बाद किया' टिप्पणी करने वाले गुजरात हाईकोर्ट के जज जस्टिस जेबी पारडीवाला की कुर्सी खतरे में हैं। राज्यसभा के 58 सांसदों ने सभापति को महाभियोग प्रस्ताव देकर जस्टिस पारडीवाला को हटाने की मांग की है। इसके बाद जज ने सरकार के कहने पर विवादित पैराग्राफ फैसले से हटा लिया। लेकिन, इसके बाद भी उनका संकट टला नहीं है।

loksabha election banner

पटेल आंदोलन के नेता हार्दिक पटेल की याचिका पर सुनवाई के दौरान जस्टिस पारडीवाला ने विवादित टिप्पणी की थी। उन्होंने कहा था, alt147यदि मुझे पूछा जाए कि कौन सी दो बातें हैं, जिन्होंने देश को बर्बाद किया। या सही दिशा में देश की प्रगति में बाधा पैदा की। तब मेरा जवाब होगा, पहला-आरक्षण और दूसरा-भ्रष्टाचार। हमारा संविधान बना था, तब आरक्षण दस साल के लिए रखा था। लेकिन दुर्भाग्य से आजादी के 65 साल बाद भी आरक्षण बना हुआ है।' इस पर सभापति हामिद अंसारी के सामने पेश याचिका में सांसदों ने कहा, 'यह दुखद है। जज को अजा-अजजा से जुड़ी नीतियों के संवैधानिक प्रावधानों की जानकारी नहीं है। जज की टिप्पणियों के आधार पर महाभियोग चलाया जा सकता है।'

अब महाभियोग प्रस्ताव का क्या होगा?| वरिष्ठवकील केटीएस तुलसी ने कहा, 'महाभियोग का आवेदन दिया जा चुका है। जब तक जज संसद को लिखकर नहीं देते कि टिप्पणी हटा ली है, तब तक कार्यवाही चलती रहेगी।' संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप का कहना है कि महाभियोग प्रस्ताव दो ही सूरत में खत्म होगा। सांसद प्रस्ताव वापस लें या सभापति जज के लिखित आश्वासन से संतुष्ट हों।'

58 सांसदों ने किए हैं याचिका पर हस्ताक्षर:
आनंदशर्मा, दिग्विजय सिंह, अश्विनी कुमार, बीके हरिप्रसाद, पीएल पूनिया, राजीव शुक्ला, अंबिका सोनी, ऑस्कर फर्नांडीज (सभी कांग्रेस), डी. राजा (भाकपा), केएन बालगोपाल (माकपा), शरद यादव (जदयू), एससी मिश्रा नरेंद्र कुमार कश्यप (बीएसपी), तिरुचि शिवा (डीएमके) डीपी त्रिपाठी (एनसीपी)। राज्यसभा में ऐसे प्रस्ताव पेश करने के लिए कम से कम 50 सांसदों की जरूरी है। लोकसभा में जरूरी संख्या 100 है।

सरकार ने दी थी अर्जी:
गुजरात सरकार की दलील थी, पैराग्राफ-62 में की गई टिप्पणी प्रस्तुत मामले से मेल नहीं खाती। इन्हें हटाया जाए।'' हाईकोर्ट ने अर्जी को मंजूर कर लिया और विवादित पैराग्राफ हटा दिया।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.