250 करोड़ के प्रोजेक्ट संभालने वाली कंपनी ने खड़ा किया दुनिया का सबसे बड़ा कॉरपोरेट हब, कुछ ऐसा रहा सफर
Surat Diamond Bourse दुनिया का सबसे बड़ा कॉरपोरेट हब बनने जा रहा है। इस प्रोजेक्ट को पूरा करने वाली कंपनी के सामने कई तरह की चुनौतियां आईं थी जिसके बारे में कंपनी के एमडी और चेयरमैन प्रह्लादभाई पटेल ने एक इंटरव्यू के दौरान बताया। प्रह्लादभाई पटेल ने कहा कि सूरत डायमंड बोर्स प्रोजेक्ट उनके लिए एक ड्रीम प्रोजेक्ट जैसा था।

सूरत, किशन प्रजापति। दुनिया के सबसे बड़े कॉरपोरेट यानी सूरत डायमंड बोर्स की 66 लाख वर्ग फुट में फैली इमारत लगभग बनकर तैयार है। इसे पीएसपी प्रोजेक्ट लिमिटेड ने बनाया है। लिमिटेड कंपनी के एमडी और चेयरमैन प्रह्लादभाई पटेल ने बताया कि इस प्रोजेक्ट के पूरे होने तक उनके सामने कई चुनौतियां आईं, लेकिन हर एक चुनौती ने उनको हिम्मत दी और आखिर में यह प्रोजेक्ट अपने आखिरी पड़ाव की ओर है।
प्रह्लादभाई पटेल ने इस तरह पूरा किया प्रोजेक्ट
फिलहाल, सूरत के डायमंड एक्सचेंज में विभिन्न हीरा व्यापारियों के कार्यालयों में फर्नीचर आदि का काम चल रहा है। ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि जून या जुलाई के आसपास डायमंड एक्सचेंज खुल जाएगा। इस प्रोजेक्ट का टेंडर लेने वाली कंपनी PSP प्रोजेक्ट लिमिटेड के चेयरमैन प्रह्लादभाई पटेल ने एक इंटरव्यू में बताया कि आखिर कैसे उन्होंने इस प्रोजेक्ट को पूरा किया।
कैसे मिला Diamond Bursa Project?
PSP प्रोजेक्ट लिमिटेड के चेयरमैन और एमडी प्रह्लादभाई पटेल ने कहा कि सूरत डायमंड बोर्स प्रोजेक्ट उनके लिए एक ड्रीम प्रोजेक्ट जैसा था, क्योंकि आज तक उनकी कंपनी ने 250 करोड़ रुपये से ऊपर का कोई प्रोजेक्ट नहीं किया था और उस बीच इस प्रोजेक्ट की चर्चा होने लगी। प्रह्लादभाई ने बताया कि जब उन्हें इस प्रोजेक्ट के बारे में पता चला, तो उन्होंने किसी तरह से इस प्रोजेक्ट के लिए लोगों से मिलने की कोशिश की, लेकिन यहां उन्हें थोड़ी-सी परेशानी हुई।
प्रोजेक्ट लेने की होड़ में कई बड़ी कंपनियां
दरअसल, उन्हें पता चला कि इस प्रोजेक्ट में बड़ी-बड़ी कंपनियां जैसे Tata Lamp;T और Shapoorji Pallonji काम कर रही हैं और उन्हें इसमें कोई मौका नहीं दिया गया, क्योंकि उनकी कंपनी को इसके योग्य नहीं मानी जा रही थी। हालांकि, इस मौके पर उन्होंने हिम्मत जुटाकर किसी तरह कमेटी के लोगों से मुलाकात की।
बेहतरीन प्रेजेंटेशन पर टिका प्रोजेक्ट
प्रह्लादभाई पटेल ने बताया कि उन्होंने कमेटी के लोगों से कहा कि उन्हें एक मौका दिया जाए, जिसके बाद कमेटी के लोग उनपर हंसने लगे कि जिसने 250 करोड़ रुपये से ज्यादा का काम नहीं किया, वो इस प्रोजेक्ट को कैसे संभालेगा। इसके जवाब में प्रह्लादभाई पटेल ने कहा, "मैं एक प्रेजेंटेशन तैयार करके आप सभी के सामने आऊंगा, जिसमें मैं बताऊंगा कि मैं इस प्रोजेक्ट पर कैसे काम करूंगा और मेरी क्या योजना होगी।" इस बात कमेटी के सभी सदस्य मान गए।
प्रेजेंटेशन में छा गए प्रह्लादभाई पटेल
प्रह्लाद ने कहा कि उन्होंने प्रेजेंटेशन तैयार किया जिसमें बताया, "मेरा जो सबसे बड़ा 250 करोड़ रुपये का प्रोजेक्ट था, वो नारायणपुरा हाउसिंग कॉलोनी में हुआ था। यह कॉलोनी 18 लाख स्क्वायर फीट में फैली थी, जिसे पूरा करने में 18 महीने लग गए थे।" प्रह्लाद ने उनसे कहा कि आपका प्रोजेक्ट 66 लाख वर्ग फुट है, तो इसे 22-22-22 लाख वर्ग फुट के तीन भागों में बांटा जाएगा और तीनों वर्ग की निगरानी वो खुद करेंगे।
उन्होंने अपने दिमाग में बैठा लिया था कि कमेटी के लिए जो एक प्रोजेक्ट है, वो उनके लिए तीन प्रोजेक्ट के बराबर है और इसी तरह से प्रोजेक्ट को पूरा किया जाएगा।
प्रह्लादभाई पटेल के आत्मविश्वास ने दिलाया ड्रीम प्रोजेक्ट
प्रह्लाद ने कमेटी के सदस्यों से कहा कि अगर मैं आपका 22 लाख स्क्वायर फीट का ढांचा 24 महीने में पूरा कर दूं, तो मैं 36 महीने में इस प्रोजेक्ट को कंप्लीट कर दूंगा।
प्रह्लाद ने इंटरव्यू के दौरान बताया कि जब उन्होंने अपना आईडिया कमेटी के सामने पेश किया, तो सभी सदस्यों को इनका कॉन्फिडेंस काफी पसंद आया और उन्हें यकीन हो गया कि मैं आसानी से इस प्रोजेक्ट को पूरा कर लूंगा। सभी कंपनियों से बातचीत करने के बाद इस प्रोजेक्ट को पूरा करने का टेंडर मुझे सौंपा गया। आखिरकार कमेटी ने मेरे साथ डील कर ली।
इस परियोजना में क्या-क्या चुनौतियां थीं?
प्रह्लादभाई पटेल ने इंटरव्यू में बताया कि सबसे बड़ी चुनौती यह थी कि जिसने लंबे समय से 250 करोड़ के प्रोजेक्ट पर काम नहीं किया है, अब उसे अचानक 1,575 करोड़ का प्रोजेक्ट मिला है। उन्होंने कहा, "मैंने एक इंजीनियर के तौर पर अपनी शुरुआत की और फिर कंपनी का मालिक बन गया, इसलिए मैं निर्माण की कार्यप्रणाली, निर्माण की समस्याओं को हल करना बहुत अच्छी तरह से जानता हूं। ऐसे में, मैं किसी भी प्रोजेक्ट के लिए गहराई तक सोचता हूं कि उसमें क्या समस्या आ सकती है और क्या करने में आसानी होगी।"
समय सीमा में पूरा करना सबसे बड़ी चुनौती
इस प्रोजेक्ट के बारे में बताते हुए प्रह्लादभाई पटेल ने इंटरव्यू में कहा कि इस परियोजना को तीन साल की समय सीमा के अंदर ही पूरा करना था, जो अपने आप में एक बड़ी चुनौती थी। जब उनका ड्रीम प्रोजेक्ट आधा खत्म हो चुका था, तभी अचानक देश में कोविड की लहर फैल गई।
मात्र 30 महीने में तैयार किया पूरा प्रोजेक्ट
इंटरव्यू में प्रह्लादभाई से पूछा गया कि उन्होंने समय सीमा के अंदर ही प्रोजेक्ट को कैसे पूरा कर लिया, तो उन्होंने बताया कि यूं तो प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए समय सीमा 36 महीने थे, लेकिन बाद में उनसे कहा गया कि यह वह इस चुनौती को स्वीकार करना चाहते हैं, तो इस प्रोजेक्ट को मात्र 30 महीने के अंदर पूरा करना होगा। इस चुनौती को स्वीकार करते हुए प्रह्लादभाई पटेल ने प्रोजेक्ट को समय सीमा के अंदर ही पूरा कर लिया।
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