Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck

    पाटीदार नेता हार्दिक पटेल ने खटखटाया गुजरात हाइकोर्ट का दरवाजा, जानें क्‍या है मामला

    By Babita KashyapEdited By:
    Updated: Wed, 16 Feb 2022 10:28 AM (IST)

    आरक्षण आंदोलन ( Reservation Movement) के दौरान विधायक के कार्यालय में तोड़फोड़ व आगजनी के मामले में निचली अदालत के फैसले के खिलाफ पाटीदार नेता हार्दिक पटेल (Hardik Patel) ने हाईकोर्ट (Gujarat High Court) का दरवाजा खटखटाया है। हार्दिक सरकार के मंत्री के खिलाफ विधानसभा चुनाव लड़ना चाहते हैं।

    Hero Image
    हार्दिक पटेल ने आरक्षण आंदोलन निचली अदालत के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।

    अहमदाबाद, जागरण संवाददाता। पाटीदार नेता हार्दिक पटेल (Hardik Patel) ने आरक्षण आंदोलन (Reservation Movement) के दौरान विधायक के कार्यालय में तोड़फोड़ व आगजनी के मामले में निचली अदालत के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट (Gujarat High Court) का दरवाजा खटखटाया है। हार्दिक साल के अंत में सरकार के मंत्री के खिलाफ विधानसभा चुनाव लड़ना चाहते हैं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    गुजरात उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल कर हार्दिक के वकील ने अदालत से विसनगर की 2015 की घटना को लेकर निचली अदालत की ओर से दोषी माने जाने को निरस्त करने की मांग की गई है। न्यायाधीश बी एन कारिया इस मामले की सुनवाई 28 फरवरी को करेंगे। आरक्षण आंदोलन के दौरान भाजपा विधायक के कार्यालय में तोड़फोड़ व आगजनी मामले में विसनगर सत्र अदालत ने हार्दिक को जुलाई 2018 में दो साल की सजा सुनाई थी, बाद में हार्दिक कांग्रेस में शामिल होकर कार्यकारी अध्यक्ष बन गये।

    पिछले लोकसभा चुनाव से पहले भी हार्दिक की ओर से ऐसी ही याचिका दाखिल की गई थी। हाईकोर्ट ने सजा के अमल पर रोक लगा दी थी। हार्दिक इस मामले में दोषमुक्ति की मांग कर रहे हैं। चूंकि जनप्रतिनिधी कानून के अनुसार दो साल या इससे अधिक की सजा होने पर कोई भी व्यक्ति विधानसभा व लोकसभा का चुनाव नहीं लड़ सकता है। हार्दिक आगामी विधानसभा चुनाव मोरबी सीट पर प्रदेश के श्रम एवं रोजगार राज्यमंत्री ब्रजेश मेरजा के खिलाफ लड़ना चाहते हैं। मेरजा 2017 में कांग्रेस के टिकट पर विधायक चुने गये थे लेकिन बाद में दल बदलकर भाजपा के साथ जाकर मंत्री बन गये थे। 

    फायर सेफ्टी बगैर स्कूल-अस्पताल पर प्रतिबंध

    कोरोना संक्रमण घटने के साथ ही राज्य सरकार ने प्री प्राइमरी स्कूल भी खोलने फैसला कर लिया लेकिन फायर सेफ्टी बगैर संचालित स्कूल व अस्पतालों पर अदालत ने कई तरह के प्रतिबंध लगाए हैं। सरकार के महाधिवक्ता कमल त्रिवेदी ने हाईकोर्ट को बताया कि राज्य में 71 स्कूल तथा 229 अस्पतालों के पास फायर सेफ्टी उपकरण व एनओसी नहीं है। उन्होंने अदालत को विशवास दिलाया कि ऐसे स्कूल के पास सरकार फायर फाइटर्स को खड़ा रखेगी ताकि किसी तरह की अनहोनी ना हो। हाईकोर्ट ने अपने निर्देश में कहा कि फायर सेफ्टी एनओसी बिना संचालित स्कूलों में आफलाइन कक्षाएं शुरु नहीं करें तथा ऐसे अस्पताल केवल ओपीडी ही संचालित कर सकेंगे। इन अस्पतालों में मरीज की भर्ती व आपरेशन नहीं होंगे। अदालत ने सरकार से कहा कि बच्चों की जिंदगी कीमती है, यदि कोई हादसा हो जाता है तो उसकी जिम्मेदारी कौन लेगा।