Gujarat: फर्जी बीमा दावे के मामले में CBI अदालत ने 5 आरोपियों को सुनाई पांच साल की सजा, 23.5 लाख का जुर्माना भी लगा
Gujarat News केंद्रीय जांच ब्यूरों अदालत ने मंगलवार को धोखाधड़ी को लेकर बीमा दावे के एक मामले में सुनवाई की। इस दौरान अदालत ने मामले में पांच आरोपियों ...और पढ़ें

एएनआई, अहमदाबाद (गुजरात)। अहमदाबाद में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) अदालत ने धोखाधड़ी वाले बीमा दावे के एक मामले में पांच आरोपियों को पांच साल की कैद और जुर्माने की सजा सुनाई है। न्यूज एजेंसी की एक प्रेस नोट में ये जानकारी सामने आई है।
प्रेस नोट में कहा गया है कि अहमदाबाद स्थित सीबीआई मामलों के विशेष न्यायाधीश ने 30 दिसंबर को धोखाधड़ी वाले बीमा दावे से संबंधित एक मामले में पांच आरोपियों दिनेश पुरुषोत्तमदास पटेल, संजय आर चित्रे, मनन डी पटेल, शिशुपाल राजपूत और अमर सिंह बियालभाई को कुल 23.5 लाख रुपये के जुर्माने के साथ पांच साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई।
एजेंसी ने 30 जनवरी को तत्कालीन वरिष्ठ मंडल प्रबंधक, न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी लिमिटेड (एनआईएसीएल), नवसारी (गुजरात) और अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया था।
जारी प्रेस नोट के अनुसार, यह आरोप लगाया गया कि तत्कालीन लोक सेवकों ने निजी व्यक्तियों के साथ आपराधिक षड्यंत्र किया और जाली दस्तावेजों के आधार पर बीमा दावों को मंजूरी दी, जिससे न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी लिमिटेड को नुकसान हुआ।
जांच के दौरान, यह पता चला कि उक्त आरोपी वरिष्ठ मंडल प्रबंधक ने आपराधिक षड्यंत्र रचा और निजी व्यक्तियों के साथ मिलीभगत करके जाली दस्तावेजों के आधार पर बीमा दावों को मंजूरी दी, जिससे 1999-2000 की अवधि के दौरान एक पॉलिसी में न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी लिमिटेड को 4,89,488 रुपये की हानि हुई।
आरोपी व्यक्तियों के बीच रची गई आपराधिक साजिश के अनुसार, मनन पटेल और दिनेश पटेल ने बीमा कंपनी के साथ अपने रसायन का बीमा कराया था और नुकसान के संबंध में फर्जी कागजात की व्यवस्था की और बीमा कंपनी के पास दावा दायर किया।
एसआर चित्रे ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर दावे का आकलन किया और दुर्घटना को वास्तविक दिखाने वाली तस्वीरों का प्रबंध किया, जबकि आरोपी अमर सिंह बियालभाई, तत्कालीन एएसआई/थाना-गोधरा तालुका के अंतर्गत मेहलोल चौकी प्रभारी (एएसआई, थाना-जम्बूखेड़ा, जिला-पंचमहल के पद पर तैनात) ने फर्जी एफआईआर दर्ज की और यह साबित करने के लिए फर्जी पंचनामा तैयार किया कि नुकसान वास्तव में हुआ था।
प्रेस रिलीज में कहा गया है कि आरोपी शिशुपाल, वसूली एजेंट ने बैंक के माध्यम से वसूली राशि का प्रबंध किया ताकि पूरा लेनदेन वास्तविक लगे।
प्रेस नोट में कहा गया है कि जांच पूरी होने के बाद सीबीआई ने 24 जून, 2005 को आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया। मुकदमे के दौरान अभियोजन पक्ष के 25 गवाहों की जांच की गई और आरोपियों के खिलाफ आरोपों के समर्थन में 228 दस्तावेजों/प्रमाणों का सहारा लिया गया।
प्रेस नोट में कहा गया है कि सुनवाई के बाद अदालत ने उपरोक्त आरोपियों को दोषी ठहराया और सरकारी सेवक एसए परमार को छोड़कर सभी को दोषी करार दिया, जिनकी सुनवाई के दौरान मृत्यु हो गई, इसलिए उनके खिलाफ आरोप समाप्त हो गए।
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