गुजरात हाईकोर्ट ने आईएएस, आईपीएस अधिकारियों को लिया आडे हाथों, कहा- लापरवाही बर्दाश्त नहीं
अहमदाबाद वडोदरा हिम्मतनगर राजकोट सूरत भावनगर सुरेंद्रनगर में आवारा पशुओं की चपेट में आकर लोगों की मौत की घटना से नाराज उच्च न्यायालय ने सरकार के अधिकारियों से पूछा कि आप लोगों का काम क्या है कागजों में नहीं जमीन पर काम करके बताइए।
अहमदाबाद, राज्य ब्यूरो। गुजरात हाईकोर्ट ने शहरों में आवारा पशुओं के कारण नागरिकों की मौत पर जहां आईएएस अधिकारियों को आडे हाथ लिया वहीं एक डॉ के आत्महत्या मामले में पुलिस अधिकारियों से कहा कि आपको सरकारी वकील नहीं मिलेगा, अपना वकील लाओ और केस लडो।
कागजों में नहीं जमीन पर काम करके बताइए: हाईकोर्ट
गुजरात उच्च न्यायालय गुजरात के शहरों में घूमते आवारा पशुओं को लेकर राज्य सरकार, महानगर पालिका एवं नगर पालिकाओं को मौखिक एवं लिखित आदेश देते हुए नागरिकों को राहत देने की बात कर चुका है।
बीते दो तीन माह में अहमदाबाद, वडोदरा, हिम्मतनगर, राजकोट, सूरत, भावनगर, सुरेंद्रनगर में आवारा पशुओं की चपेट में आकर लोगों की मौत की घटना से नाराज उच्च न्यायालय ने सरकार के अधिकारियों से पूछा कि आप लोगों का काम क्या है, कागजों में नहीं जमीन पर काम करके बताइए। हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद योग्य कार्यवाही नहीं होती है। आवारा पशुओं के कारण नागरिकों की मौत हो यह बहुत दुखद बात है। ऐसी लापरवाही बर्दाश्त नहीं होगी।
शहरों में वास्तविक स्थिति क्या है उस पर महानगर पालिकाएं रिपोर्ट पेश करें। मामले की सुनवाई एक जनहित याचिका पर मुख्य कार्यकारी न्यायाधीश की खंडपीठ कर रही है, तीन साल से भी अधिक समय से हाईकोर्ट की ओर से बार बार जारी अंतरिम आदेशों की अवहेलना से न्यायालय ने अधिकारियों को खरी खोटी सुनाई।
आत्महत्या मामले की न्यायिक जांच की मांग
जामनगर में भाजपा नेता के खिलाफ पुलिस कार्यवाही नहीं होने से परेशान डॉ अतुल चुग ने गत 12 फरवरी को घर पर खुदकशी कर ली थी। उनके पुत्र हितार्थ ने रेंज पुलिस महानिरीक्षक, पुलिस अधीक्षक, पुलिस निरीक्षक को पक्ष बनाते हुए हाईकोर्ट में पिता के आत्महत्या मामले की न्यायिक जांच की मांग की थी।
डॉ चुग ने गुजराती में एक लाइन के सुसाइड नोट में लिखा था कि 'मैं नारनभाई और सांसद राजेश भाई चुडासमा के कारण आत्महत्या कर रहा हूं। इन दोनों ने डॉ चुग से पौने दो करोड रु उधार लिये थे, रुपए वापस मांगने पर वे दोनों उनहें धमकाने लगे थे।
17 फरवरी को जामनगर के वेरावल टाउन पुलिस थाने में नामजद रिपोर्ट दर्ज हुई लेकिन इसके बाद भी कार्यवाही नहीं होने से हितार्थ ने न्यायालय का रुख किया। राज्यसभा सदस्य परिमल नथ्वाणी ने भी इस मामले में न्यायिक जांच की मांग की थी।