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अच्छी खबर! अब हिंदी, अंग्रेजी और गुजराती भाषा का हो सकेगा ब्रेल में अनुवाद

महिला कॉलेज में प्रोफेसर डॉ. निकिशा ने एक ऐसी तकनीक विकसित की है जिससे हिंदी अंग्रेजी और गुजराती भाषा का ब्रेल में अनुवाद करके दृष्टिबाधित लोग आसानी से पढ़ सकते हैं।

By Babita kashyapEdited By: Published: Mon, 16 Sep 2019 12:02 PM (IST)Updated: Mon, 16 Sep 2019 12:02 PM (IST)
अच्छी खबर! अब हिंदी, अंग्रेजी और गुजराती भाषा का हो सकेगा ब्रेल में अनुवाद
अच्छी खबर! अब हिंदी, अंग्रेजी और गुजराती भाषा का हो सकेगा ब्रेल में अनुवाद

सूरत, एएनआइ। गुजरात के एक प्रोफेसर ने दृष्टिबाधित लोगों के लिए एक ऐसी तकनीक विकसित की गयी है है जिसकी सहायता से हिंदी, अंग्रेजी और गुजराती भाषा का ब्रेल में अनुवाद करके सफलतापूर्वक पढ़ा जा सकता है। इस मॉडल को प्रोफेसर निकिशा जरीवाला ने बनाया है, यह हिंदी, अंग्रेजी और गुजराती भाषा को आसानी से ब्रेल में बदल देगा जिससे दृष्टिबाधित लोग इसे आसानी से पढ़ पाएंगे और आसानी से संवाद करने और सामान्य शिक्षा पाने में सक्षम होंगे। ये मॉडल न केवल पाठ बल्कि मॉडल चित्र और गणितीय समीकरण को भी रूपांतरित करेगा, एक महिला कॉलेज में प्रोफेसर के पद पर कार्यरत डॉ. निकिशा ने इस मॉडल को विकसित करने के लिए दिन-रात मेहनत की है। इस मॉडल का आविष्कार नेत्रहीनों के लिए एक वरदान की तरह है। 

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प्रोफेसर निकिशा ने कहा कि इंटरनेट पर कई डिजिटल दस्तावेज हैं, जिन्हें ये छात्र नहीं पढ़ सकते हैं, लेकिन अब वे उनके माध्यम से इन्हें पढ़ कर ज्ञान प्राप्त कर सकेंगे। उन्होंने कहा, मुझे अपनी पीएचडी पूरी करने में साढ़े चार साल लगे। मैंने ब्रेल भी सीखा। इंटरनेट पर कई डिजिटल दस्तावेज हैं, जिन्हें ये छात्र नहीं पढ़ सकते हैं, लेकिन अब वे इनके माध्यम से भी ज्ञान प्राप्त कर सकेंगे।

 

निकिशा के मॉडल को उन छात्रों से प्रशंसा मिली है जो पुष्टि करते हैं कि आविष्कार उनके लिए बहुत उपयोगी होगा। एक छात्र जील राठौर ने अपनी खुशी जाहिर करते हुए कहा कि पहले हमारे शिक्षक हमारे लिए समाचार पत्र पढ़ते थे, लेकिन अब हम इस मॉडल के अविष्कार के बाद खुद उन्हें पढ़ पाएंगे। 

क्या होती है ब्रेल लिपि?

ब्रेल पद्धति एक तरह की लिपि है, जिसको विश्व भर में नेत्रहीनों को पढऩे और लिखने में छूकर व्यवहार में लाया जाता है। इस पद्धति का आविष्कार 1821 में एक नेत्रहीन फ्र्रांसीसी लेखक लुई ब्रेल ने किया था। यह अलग-अलग अक्षरों, संख्याओं और विराम चिन्हों को दर्शाते हैं। यह लिपि कागज पर अक्षरों को उभारकर बनाई जाती थी और इसमें 12 बिंदुओं को 6-6 की दो पंक्तियों को रखा जाता था, पर इसमें विराम चिह्न, संख्या, गणितीय चिह्न आदि नहीं होते थे। लुई ने जब यह लिपि बनाई तब वे मात्र 15 वर्ष के थे। सन् 1824 में पूर्ण हुई यह लिपि दुनिया के लगभग सभी देशों में उपयोग में लाई जाती है।

कैसे लिखी जाती है ब्रेल

ब्रेल को लिखने के लिए विशेष तरह के प्लास्टिक के छेद नुमा बॉक्स बना होता है। उसके अंदर कागज फंसा कर, ब्रेल पेन यानी छेद करने लिखा जाता है। खास बात ये होती है कि लिखा दाएं से बाएं जाता है, लेकिन पढ़ा बाएं से दाएं जाता है। उसके साथ ही पेज को पलट ही खुरदुरे भाग को पढ़ा जाता है।

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