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    Gujarat Election 2022: गुजरात को गाली देने और अपमान करने वालों को सिखाएं सबक : पीएम मोदी

    Gujarat Election 2022 पीएम मोदी ने सभा में बोलते हुए कहा कि कई लोग गुजरात और गुजरातियों को गाली देते हैं। पीएम ने अपने भाषण में कहा कि आप लोग ऐसे लोगों को आगामी चुनाव में सबक सिखाएं।

    By Jagran NewsEdited By: Mohammed AmmarUpdated: Thu, 20 Oct 2022 01:54 AM (IST)
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    Gujarat Election 2022: पीएम मोदी ने कहा कि गुजरात को गाली देने और अपमान करने वालों को सबक सिखाएं।

    अहमदाबाद, एजेंसी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुजरात को लगातार गाली देने और अपमान करने वालों पर निशाना साधा। साथ ही लोगों से उन्हें सबक सिखाने को कहा। बता दें कि दिसंबर के अंत तक राज्य में विधानसभा चुनाव होने हैं।मोदी ने 4,155 करोड़ रुपये के विकास कार्यों की शुरुआत करने के बाद सौराष्ट्र क्षेत्र के जूनागढ़ में रैली को संबोधित करते हुए कहा कि कुछ राजनीतिक दलों का मानना है कि अगर उन्होंने गुजरात और गुजराती लोगों को गाली नहीं दी तो उनकी विचारधारा अधूरी है। किसी का नाम लिए बिना उन्होंने राज्य के लोगों से कहा कि ऐसे निराशावादियों से दूर रहें।

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    गुजरात का अपमान किया जाता है: पीएम

    पीएम ने लोगों से पूछा अगर भारत में कोई कुछ हासिल करता है तो बतौर भारतीय आप गौरवान्वित होंगे या नहीं? अगर दक्षिण भारत के वैज्ञानिक इसरो में सफल होते हैं तो आप खुश होते हैं या नहीं? अगर हरियाणा का कोई युवा ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतता है तुम खुश होगे या नहीं?

    उन्होंने कहा कि जाहिर सी बात है कि कोई भी भारतीय देश में कहीं भी रहने वाले किसी भी अन्य भारतीय की उपलब्धियों से खुश होगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले दो दशकों से हमने देखा है कि विकृत मानसिकता वाले लोग इसे पसंद नहीं करते हैं। जब गुजरात के लिए कुछ अच्छा होता है या कोई गुजराती कुछ हासिल करता है तो वे गुजरात का अपमान करते हैं और गुजराती लोगों को गाली देते हैं। ऐसे लोगों को सबक सिखाएं।

    'अंग्रेजी भाषा की गुलामी से बाहर लाएगी नई नीति'

    गांधीनगर के अडालज में स्कूल आफ एक्सीलेंस सेंटर का शुभारंभ करने के बाद मोदी ने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) देश को अंग्रेजी भाषा की ''गुलाम मानसिकता'' से बाहर निकालेगी। अंग्रेजी भाषा केवल बातचीत का माध्यम है, लेकिन इसके ज्ञान को बौद्धिक होने की निशानी मान लिया गया।

    उन्होंने कहा कि गांवों के कई युवा प्रतिभावान होने के बाद भी डाक्टर और इंजीनियर इसलिए नहीं बन सके, क्योंकि वे अंग्रेजी भाषा में पारंगत नहीं थे। युवाओं के पास अब स्थानीय भाषाओं में पढ़ाई करने का विकल्प है। हमारा उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि गरीब माता-पिता के बच्चे डाक्टर और इंजीनियर बन सकें, भले ही वे अंग्रेजी माध्यम से शिक्षित न हों। 

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