पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट को बड़ी राहत, हिरासत में यातना मामले में कोर्ट ने किया बरी
पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट को गुजरात की एक कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। गुजरात के पोरबंदर की एक कोर्ट ने पूर्व आईपीएस अधिकारी हिरासत में यातना मामले में बरी कर दिया है। अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष उचित संदेह से परे मामले को साबित नहीं कर सका। कोर्ट ने भट्ट को साल 1990 में हिरासत में हुई मौत के मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। Former IPS officer Sanjiv Bhatt: पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट को 1997 के हिरासत में यातना मामले में बड़ी राहत मिली है। गुजरात के पोरबंदर की एक कोर्ट ने पूर्व आईपीएस अधिकारी को बरी कर दिया है। अदालत का कहना है कि अभियोजन पक्ष उचित संदेह से परे मामले को साबित नहीं कर सका।
बरी हुए पूर्व आईपीएस अधिकारी
इस मामले में अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट मुकेश पंड्या ने विगत शनिवार तत्कालीन पुलिस अधीक्षक संजीव भट्ट को साक्ष्य के अभाव में संदेह का लाभ देते हुए आईपीसी की धाराओं के तहत दर्ज मामले में बरी कर दिया। इससे पहले पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट को साल 1990 में हिरासत में हुई मौत के मामले में आजीवन जेल कारावास की सजा सुनाई थी।
वहीं, इसके अतिरिक्त पालनपुर में भी राजस्थान के एक वकील को फंसाने के लिए ड्रग्स रखने के साल 1996 के मामले में 20 साल की सजा सुनाई थी। पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट वर्तमान में राजकोट के सेंट्रल जेल में बंद हैं।
कोर्ट ने दिए ये आदेश
मामले की सुनवाई के दौरान अदालत ने माना की अभियोजन पक्ष उस उचित संदेह से परे मामले को साबित करने में सफल नहीं हुआ, जिसमें शिकायतकर्ता को अपराध कबूल करने के लिए मजबूर किया गया था। वहीं, इसके अलावा खतरनाक हथियारों और स्वेच्छा से दर्द देकर आत्मसमर्पण करने के लिए मजबूर किया गया था। कोर्ट ने आदेश सुनाते हुए कहा कि आरोपी पर मुकदमा चलाने के लिए आवश्यक मंजूरी प्राप्त नहीं की गई थी। पूर्व आईपीएस अधिकारी अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर रहे थे।
संजीव भट्ट पर लगे थे ये आरोप
बता दें कि तत्कानील आईपीएस अधिकारी पर ये आरोप नारन जादव नामक व्यक्ति की शिकायत पर लगाए गए थे। जादव 1994 के हथियार बरामदगी मामले में 22 आरोपियों में से एक थे। अभियोजन पक्ष के अनुसार पुलिस की एक टीम ने 5 जुलाई, 1997 को अहमदाबाद की साबरमती सेंट्रल जेल से ट्रासफर वारंट जादव को पोरबंदर में भट्ट के घर ले गई थी। इस दौरान जादव को यातना दी गई थी।
शिकायत में यह भी कहा गया था कि जादव को बिजली के झटके दिए गए थे। इसके बाद शिकायतकर्ता ने न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत को इस शारीरिक यातना के बारे में बताया। इसे बाद कोर्ट ने जांच के आदेश दिए थे। बाद में साक्ष्यों के आधार पर कोर्ट ने 31 दिसंबर, 1998 को मामला दर्ज किया और भट्ट और वजुभाई चाऊ को समन जारी किया था।
इसके बाद 6 जुलाई, 1997 को मजिस्ट्रेट कोर्ट के समक्ष जादव की शिकायत पर कोर्ट के निर्देश के बाद 15 अप्रैल, 2013 को पोरबंदर के बी-डिवीजन पुलिस थाना में संजीव भट्ट और कांस्टेबल वजुभाई चाऊ के विरुद्ध एफआईआर दर्ज की गई थी।
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