सुनीता विलियम्स के पैतृक गांव में दीवाली जैसा माहौल, बेटी के धरती पर लौटने का रात भर रहा इंतजार
नासा की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स की धरती पर सुरक्षित वापसी हो गई है। उनकी वापसी का इंतजार उनके पैतृक गांव में उत्साह के साथ इंतजार था। वापसी के समय उनके पैतृक गांव झूलासन में जोरदार आतिशबाजी हवन पूजा के साथ अखंड ज्योति जलाई गई और हर-हर महादेव के नारे गूंजे। लोगों ने जमकर आतिशबाजी भी की। गांव में दीपावली जैसा माहौल देखने को मिला।

जेएनएन, मेहसाणा। भारत की बेटी अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स की धरती पर सुरक्षित वापसी के बाद जहां देश व दुनिया में खुशी का माहौल है। वहीं, गुजरात में उनके पैतृक गांव झूलासन में जोरदार आतिशबाजी, हवन, पूजा के साथ अखंड ज्योति जलाई गई और हर-हर महादेव के नारे गूंजे। उनके चचेरे भाई दिनेश रावल बताते हैं कि सुनीता एक बहादुर लड़की हैं, उनके मन में मानवता के लिए कुछ कर गुजरने का जज्बा है।
उत्तर गुजरात के मेहसाणा जिले की कड़ी तहसील के छोटे से गांव झूलासन में जन्में डॉ. दीपक भाई पंड्या उच्च शिक्षा के लिए अमेरिका जाकर बस गये थे, लेकिन पुत्री सुनीता को अपने गांव, गुजरात व यहां के लोगों के साथ खास लगाव है।
सुनीता विलियम्स के पैतृक गांव में हुई आतिशबाजी
सुनीता के धरती पर कदम रखते ही गांव में जोरदार आतिशबाजी की गई, मंदिरों में हर-हर महादेव के नारे गूंजने लगे। सुनीता की सुरक्षित धरती पर वापसी के इंतजार में रात भर लोगों ने मंदिरों में पूजा, भजन, कीर्तन किया और अखंड ज्योति जलाई। कहीं हवन हो रहा था तो कहीं मिठाई बांटी गई।
गांव के लोगों ने तो यहां तक कहा कि जो खुशी उन्हें राम मंदिर के निर्माण हो हुई थी आज भी वैसी ही खुशी हो रही है। मंदिर के पुजारी विट्ठल आचार्य कहते हैं मंदिरों में लगातार पूजा व प्रार्थना की गई और खुशी के मारे दीप जलाए और आतिशबाजी की जिससे दीपावली जैसा आनंद अनुभव होने लगा।
सुनीता विलियम्स के वापस लौटने पर गांव ही खुशी की लहर
सुनीता के चचेरे भाई दिनेश रावल अहमदाबाद में रहते हैं तथा उनका कहना है कि पिछली बार अंतरिक्ष में जाने से पहले वे अमेरिका गए और सुनीता से उनके स्पेश मिशन के बारे में चिंता के साथ बात की तो वो बोलीं दुनिया के लिए कुछ कर गुजरने की इच्छा रखती हूं। करीब 9 माह बाद सुनीता के सुरक्षित धरती पर वापसी की जानकारी मिली तो अहमदाबाद में उनका परिवार खुशी से झूम उठा, खुशी के मारे तालियां बजाने लगे, घर में फूल बरसाऐ और एक दूसरे को मिठाई खिलाकर आपस में खुशियां बांटी।
दिनेश रावल बताते हैं कि सुनीता जब छोटी थी तो पिता के साथ गांव आई थी, तब वो परिवार के सभी बच्चों के साथ खेत पर गई तो वहां की मिट्टी, पशुओं व फसलों को देखकर बहुत गदगद हुई थी। आज वैसी ही खुशी उसके चेहरे पर नजर आई।
ग्रामीमों ने क्या कहा?
सुनीता के अंतरिक्ष में जाने के बाद जब उनके वहां फंस जाने के समाचार आए तो उनके परिवार व गांव में उदासी छा गई थी, सब लोग ईश्वर से उनकी सुरक्षित वापसी की दुआ करने लगे थे और जब उसके कदम धरती पर पड़े तो लोगों ने हर-हर महादेव के नारों के साथ उनका स्वागत किया। ग्रामीण कहते हैं, गांव की बेटी है हमें खुशी तो होगी है। दिनेश भाई बताते हैं कि सुनीता कोई सामान्य महिला नहीं है। वह एक वैज्ञानिक महिला हैं और उसकी हर सोच दुनिया के भले के लिए कुछ करने की है। सुनीता के स्वागत के लिए घर में आसोपालव का तोरण बांधा गया, विशेष प्रार्थना की गई।
दिनेश भाई बताते हैं कि वो सुनीता व पूरे परिवार के साथ सोमनाथ, द्वारका, दिल्ली, आगरा, मुंबई आदि शहरों में घूमने निकले थे। उदयपुर में एक रात जब सुनीता अकेले बाहर निकलने लगी तो दिनेश भाई ने उसे टोकते हुए कहा कि अकेले जाना सुरक्षित नहीं है, तो सुनीता बोली आप चिंता ना करें। दो- चार क्या, 15 से 20 लोग भी सामने आ जाएं तो वे उन पर भारी पड़ेंगी। दिनेश भाई कहते हैं जब तक सुनीता नहीं लौटी तब तक परिवार में चिंता और दुख का माहौल था, सब लोग उदास थे और अनहोनी की चिंता लगी रहती थी, लेकिन अंततः भगवान ने सब ठीक कर दिया।
सुनीता दीदी एक बार गांव जरूर आएं
गांव की मासूम बच्चियों ने भी सुनीता के लिए प्रार्थना की, वो कहती हैं सुनीता दीदी को देखकर उन्हें काफी हौसला मिलता है और कुछ कर गुजरने की प्रेरणा मिलती है। अब उनकी यही इच्छा है कि सुनीता दीदी एक बार और अपने गांव जरूर आए।

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