Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    गुजरात के पूर्व आईपीएस संजीव भट्ट पालनपुर ड्रग प्लांटिंग केस में गिरफ्तार

    By BabitaEdited By:
    Updated: Thu, 06 Sep 2018 12:40 PM (IST)

    गुजरात के पूर्व आईपीएस संजीव भट्ट को सीआइडी क्राइम ने 1998 के पालनपुर ड्रग प्लांटिंग केस में गिरफ्तार किया है।

    गुजरात के पूर्व आईपीएस संजीव भट्ट पालनपुर ड्रग प्लांटिंग केस में गिरफ्तार

    अहमदाबाद, जेएनएन। गुजरात दंगे के लिए मोदी को दोषी ठहरा चुके पूर्व आईपीएस संजीव भट्ट को 1998 के पालनपुर ड्रग प्लांटिंग केस में सीआइडी क्राइम ने बुधवार को गिरफ्तार किया है। संजीव भट्ट ने पाली के एक वकील के खिलाफ झूठा केस दर्ज किया था। वकील को गिरफ्तार करने गए पुलिस निरीक्षक व कांस्टेबलों को भी इस मामले में पकड़ गया है। सीआईडी क्राइम इस मामले में पूछताछ कर रही है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    गुजरात उच्च न्यायालय के आदेश पर सीआईडी क्राइम इस मामले में पुन: जांच कर रही थी। इस मामले में सबूत हाथ लगने के बाद सीआईडी क्राइम ने बुधवार सुबह ही पूर्व आईपीएस संजीव भट्ट को गिरफ्तार किया गया है। भट्ट तब बनासकांठा के पुलिस अधीक्षक थे तथा संपत्ति खाली कराने को लेकर पाली के वकील का मामला उनके समक्ष आया था। भट्ट ने पुलिस निरीक्षक व्यास सहित पांच अन्य पुलिसकर्मियों की एक टीम वकील को पकड़ने के लिए पाली भेजी थी। वर्ष 1998 में यह मामला काफी चर्चित रहा था तथा अदालत ने सीआईडी क्राइम को इसकी पुन: जांच के आदेश किए थे।

    गौरतलब है कि गत दिनों संजीव भट्ट पाटीदार नेता हार्दिक पटेल से मिलकर सरकार से उनकी आरक्षण व किसानों की कर्ज माफी की मांग का समर्थन किया था। इससे पहले वर्ष 2012 में उनकी पत्नी श्वेता भट्ट अहमदाबाद की मणिनगर विधानसभा सीट से गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री एवं वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ चुनाव भी लड़ चुकी हैं।

    गुजरात दंगे के लिए मोदी को दोषी ठहरा चुके हैं संजीव भट्ट 
    1988 बैच के आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट को सेवा से अनधिकृत रूप से अनुपस्थित रहने के आधार पर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने अगस्त 2015 में बर्खास्त कर दिया था। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर किया था कि वह गांधीनगर स्थित नरेंद्र मोदी के आवास पर 27 फरवरी, 2002 को आयोजित बैठक में शामिल थे।

    इसमें उन्होंने दावा किया था कि बैठक में मुख्यमंत्री ने सभी शीर्ष पुलिस अधिकारियों को निर्देश दिया था कि गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस में आग लगाने की घटना के बाद आक्रोशित हिंदुओं को अपना बदला पूरा करने दें। हालांकि शीर्ष अदालत ने उनके दावे को खारिज कर गोधरा के बाद हुए दंगों की जांच के लिए विशेष जांच टीम गठित कर दी थी।