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    Gujarat: मां की जाति से भी बनेगा जाति प्रमाण पत्र, तलाकशुदा व सिंगल मदर के मामलों पर फैसला

    केंद्र की अधिसूचना के आधार पर गुजरात सरकार ने एससी एसटी वर्ग की विधवा परित्‍यक्‍ता के बच्‍चों का प्रमाण पत्र मां की जाति के आधार पर बनाने का निर्देश जारी किया है।

    By Preeti jhaEdited By: Updated: Fri, 31 Jan 2020 11:55 AM (IST)
    Gujarat: मां की जाति से भी बनेगा जाति प्रमाण पत्र, तलाकशुदा व सिंगल मदर के मामलों पर फैसला

    अहमदाबाद, शत्रुघ्‍न शर्मा। केंद्र की अधिसूचना के आधार पर गुजरात सरकार ने एससी एसटी वर्ग की विधवा, परित्‍यक्‍ता के बच्‍चों का प्रमाण पत्र मां की जाति के आधार पर बनाने का निर्देश जारी किया है। गुजरात में ऐसे ही एक मामले में विधायक भूपेंद्र सिंह खांट की विधानसभा की सदस्‍यता रद्द की जा चुकी है।

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    गुजरात सरकार ने राज्‍य के सभी जिला कलेक्‍टर व सामाजिक न्‍याय विभाग के निदेशकों को केंद्र सरकार के केंद्रीय सामाजिक न्‍याय विभाग की अधिसूचना जारी करते हुए कहा है कि विधवा, तलाकशुदा व अकेली रहने वाली माता की संतान का प्रमाण पत्र उसकी माता के जाति के अनुसार बनाया जाएगा। अभी तक आमतौर पर जाति प्रमाण पत्र पिता की जाति के आधार पर ही बनाए जाते रहे हैं लेकिन केंद्र सरकार ने अब यह स्‍पष्‍ट किया है कि विशेष परिस्थिति, तलाकशुदा, परिक्‍यक्‍ता व विधवा महिला के बच्‍चों के जाति प्रमाण उसकी माता की जाति समुदाय के आधार पर ही बनाए जाने चाहिए, यदि बच्‍चों का लालन पालन मां के सानिध्‍य में ही हुआ हो। केंद्रीय सामाजिक न्‍याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने सभी राज्‍यों के मुख्‍य सचिव तथा केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासकों को भी यह परिपत्र जारी कर इसकी अनुपालन करने के निर्देश जारी किए थे।

    सरकार ने दो अदालतों के फैसलों को भी इसके साथ भेजा है जिसमें से एक उच्‍चतम न्‍यायालय में महेश भाई नायक विरुद्ध स्‍टेट ऑफ गुजरात तथा दूसरा दिल्‍ली हाईकोर्ट का रुमी चौधरी विरुद्ध राजस्‍व विभाग एनसीटी- दिल्‍ली का है। जिनमें पिता की जाति के अलावा मां की जाति के आधार पर बनने वाले जाति प्रमाण पत्र को स्‍वीकार्यता दी गई है।

    गौरतलब है कि पंचमहाल जिले की मोरवा हडफ विधानसभा से 2017 में विधायक चुने गए भूपेंद्र सिंह खांट की विधानसभा की सदस्‍यता मई 2019 में विधानसभा अध्‍यक्ष राजेंद्र त्रिवेदी ने यह कहते हुए खारिज कर दी थी कि उनका प्रमाण पत्र मान्‍य नहीं है। राज्‍य के आदिवासी विकास आयुक्‍त ने बताया कि खांट की माता अनुसूचित जनजाति से आती हैं जबकि पिता ओबीसी समुदाय के हैं। इसलिए भूपेंद्र खांट का अनुसूचित जनजाति का प्रमाण पत्र मानय नहीं है।

    भूपेंद्र सिंह बताते हैं कि पिता ने मां को छोड दिया था, उनका जन्‍म मां के पीहर में हुआ तथा लालन पालन व स्‍कूली शिक्षा भी वहीं पर पूरी की थी। सरकार के नए परिपत्र ने भूपेंद्र की उम्‍मीद को जगा दिया है, ि‍फलहाल उनका मामला गुजरात उच्‍च न्‍यायालय में विचाराधरी है तथा 5 फरवरी को इस पर सुनवाई होनी है।