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मरम्मत के बाद भी मोरबी पुल की केबल में लगी थी जंग, एफएसएल की प्रारंभिक रिपोर्ट में तथ्य आए सामने

मोरबी में मच्छू नदी पर बने केबल पुल पर मरम्मत के समय जंग लगी केबल टूटे लंगर पिन और ढीले बोल्टों सहित अन्य खामियों को दूर नहीं किया गया था। फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (एफएसएल) की शुरुआती जांच से यह तथ्य उजागर हुआ है।

By AgencyEdited By: Amit SinghPublished: Tue, 22 Nov 2022 11:13 PM (IST)Updated: Tue, 22 Nov 2022 11:13 PM (IST)
मरम्मत के बाद भी मोरबी पुल की केबल में लगी थी जंग, एफएसएल की प्रारंभिक रिपोर्ट में तथ्य आए सामने
मरम्मत के बाद भी मोरबी पुल की केबल में लगी थी जंग

मोरबी (गुजरात), प्रेट्र: गुजरात के मोरबी में मच्छू नदी पर बने केबल पुल पर मरम्मत के समय जंग लगी केबल, टूटे लंगर पिन और ढीले बोल्टों सहित अन्य खामियों को दूर नहीं किया गया था। फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (एफएसएल) की शुरुआती जांच से यह तथ्य उजागर हुआ है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि धातु के नए फर्श ने पुल का वजन बढ़ा दिया था। पिछले महीने यह पुल टूटने से 135 लोगों की मौत हो गई थी।

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पुल की मरम्मत करने योग्य नहीं थे ठेकेदार

अभियोजन पक्ष के अनुसार, मरम्मत करने वाले दोनों ठेकेदार भी इस तरह की मरम्मत और नवीनीकरण कार्य करने के लिए योग्य नहीं थे। पुलिस ने 30 अक्टूबर को हुए हादसे के लिए अब तक नौ लोगों को गिरफ्तार किया है, जिनमें चार ओरेवा समूह के हैं। ओरेवा समूह ही इस ब्रिटिशकालीन केबल पुल का प्रबंधन कर रहा था। अभियोजन ने सोमवार को प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश पीसी जोशी की अदालत में साक्ष्य के तौर पर एफएसएल की प्रारंभिक रिपोर्ट दाखिल की। अदालत आरोपितों की जमानत याचिका पर सुनवाई कर रही थी। जिला प्रशासन के वकील विजय जानी ने बताया, 'रिपोर्ट से उजागर होता है कि जिन केबलों पर पूरा पुल लटका हुआ था, उनमें जंग लगी हुई थी। धरातल पर केबलों को थामने वाली एंकर पिनें टूटी हुई थीं, जबकि एंकर के बोल्ट भी तीन इंच तक ढीले थे। अभियोजन ने अदालत से कहा कि इसे निश्चित रूप से लापरवाही माना गया है।'

नहीं जांची गई थी पुल की लोड क्षमता

गिरफ्तार किए गए लोगों में ओरेवा के प्रबंधक दीपक पारेख व दिनेश दवे, मरम्मत करने वाले ठेकेदार प्रकाश परमार व देवांग परमार, ओरेवा समूह द्वारा पुल की मरम्मत के लिए हायर किए गए देव प्रकाश सोल्यूशंस के मालिक शामिल हैं। सुनवाई के दौरान दीपक पारेख ने ओरेवा समूह द्वारा देव प्रकाश सोल्यूशंस को जारी एक पर्चेज आर्डर भी संलग्न किया, इसके मुताबिक, 'पुल को तोड़कर उसका जीर्णोद्वार किया जाएगा।' एफएसएल की रिपोर्ट में यह भी उजागर हुआ है कि ओरेवा समूह ने लोगों के लिए खोलने से पहले पुल की लोड क्षमता जांचने के लिए किसी विशेषज्ञ समिति को हायर नहीं किया था।

बुधवार को जमानत याचिका पर आ सकता है फैसला

विजय जानी ने कहा, 'ओवेरा समूह ने 30 अक्टूबर को ही 3,165 टिकट बेचे थे और पुल के दोनों ओर बने टिकट बुकिंग आफिसों के बीच कोई समन्वय नहीं था।' उन्होंने बताया कि बुकिंग क्लर्कों को एक सीमा के बाद टिकटों की बिक्री बंद कर देनी चाहिए थी, लेकिन उन्होंने टिकटों की बिक्री जारी रखी और लोगों को पुल पर जाने दिया। बचाव पक्ष ने अदालत को जानकारी दी कि हादसे वाले दिन तीन सुरक्षा गार्ड ड्यूटी पर थे। उनमें से दो पुल के दोनों किनारों पर और एक बीच में तैनात था। तीसरा गार्ड हादसे के दौरान नदी में गिर गया था और वह जीवित बच गया है। इस बारे में जानी ने कहा, 'भीड़ बढ़ने पर उन्हें लोगों को पुल पर जाने से रोकना चाहिए था, लेकिन उनमें से किसी को भी भीड़ प्रबंधन के बारे में नहीं पता था। जब अदालत ने गिरफ्तार किए गए दोनों गार्डों से पूछा कि क्या उन्हें भीड़ प्रबंधन के बारे में पता है तो उनके पास कोई जवाब नहीं था। ये गार्ड लेबर कांट्रैक्टर थे जिन्हें उसी दिन गार्ड के रूप में रखा गया था।' अदालत जमानत याचिकाओं पर बुधवार को आदेश जारी कर सकती है।

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