अहमदाबाद प्लेन हादसे के बाद अब भी मलबे में तलाशे जा रहे शव, DNA जांच में हो रही परेशानी
अहमदाबाद विमान दुर्घटना के बाद घटनास्थल पर अफरातफरी मची रही। पुलिस आयुक्त विधि चौधरी ने बताया कि दुर्घटना के बाद स्थिति को संभालना चुनौतीपूर्ण था। पीड़ितों के स्वजन की सहायता के लिए पीएसआई रैंक के अधिकारियों को तैनात किया गया। डीएनए जांच के लिए ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया ताकि शवों को शीघ्रता से एफएसएल प्रयोगशालाओं में पहुंचाया जा सके।

जेएनएन, अहमदाबाद। अहमदाबाद विमान हादसे के बाद धू-धू कर जलता विमान का मलबा, चौतरफा अफरातफरी और अफवाहों के बीच फौरी तौर पर राहत और बचाव कार्य करना स्थानीय प्रशासन के लिए काफी चुनौती पूर्ण रहा। खासकर मलबे से अधजले शवों को निकालकर उसे डीएनए जांच के लिए सुरक्षित रखना कुछ ज्यादा ही चुनौती पूर्ण था।
इस संबंध में अहमदाबाद की अतिरिक्त पुलिस आयुक्त विधि चौधरी ने कहा कि दुर्घटना के बाद की स्थिति को संभालने के लिए हमें कड़ी मशक्कत करनी पड़ी। उन्होंने कहा कि हमने पीड़ितों के स्वजन की सहायता के लिए पीएसआई रैंक के अधिकारियों को तैनात किया है। प्रत्येक पीएसआइ को डीएनए जांच के बाद शवों को स्वजन को सौंपने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। शवों को निर्धारित प्रोटोकाल के तहत स्वजन को सौंपा जा रहा है।
डीएनए जांच के लिए ग्रीन कॉरिडोर बनाया
डीएनए जांच के लिए शवों को एफएसएल प्रयोगशालाओं में जल्द पहुंचाने के लिए ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया। डीएनए का मिलान होने पर इसकी सूचना तुरंत स्वजन को दी जा रही है। यही नहीं, सरकार ने पहचान केंद्रों के पास पीड़ित परिवारों के लिए रहने की व्यवस्था भी की है। कहा कि पहले घंटे में हमने दुर्घटना स्थल के एक किलोमीटर के दायरे में बचाव टीमों के लिए दोहरा ग्रीन कॉरिडोर बनाया। इसमें कुल लगभग 600 पुलिसकर्मियों की मदद ली गई।
लोगों को रोकने के लिए उठाए गए प्रभावी कदम चौधरी ने कहा कि हमें 12 जून को दोपहर 1:43 बजे घटना की जानकारी मिली। हमारी टीम 1:48 बजे दुघर्टना स्थल पर पहुंच गई। इसमें बड़ी संख्या में डीसीपी और एसीपी शामिल थे। हमने तुरंत रेडियो जाकी से समन्वय किया ताकि लोगों को इस मार्ग पर आने से रोका जा सके।
दुर्घटना स्थल का तापमान 1000 डिग्री सेल्सियस
- पीड़ितों के स्वजन को जानकारी देने के लिए एक आपातकालीन हेल्पलाइन भी स्थापित की गई। हमें उस समय 129 आपातकालीन काल प्राप्त हुई। काल करने वालों को पूरे विवरण के साथ सिविल अस्पताल का पता उपलब्ध कराया गया।
- अतिरिक्त पुलिस आयुक्त ने कहा कि जब हम सभी दुर्घटना स्थल पर पहुंचे तो भीषण आग के कारण वहां का तापमान बहुत ज्यादा था। यह तापमान लगभग 1000 डिग्री सेल्सियस का रहा होगा। ऐसे में तुरंत राहत एवं बचाव कार्य में बाधा आई। चौधरी ने कहा कि दुर्घटना के बाद तुरंत एक किलोमीटर के दायरे की बैरिकेडिंग की गई। केवल पुलिसकर्मियों, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, नगर निगम के कर्मचारियों और अन्य आपातकालीन कर्मियों को बैरिकेडेड क्षेत्र के अंदर जाने की अनुमति है।
मलबे से शवों की खोज अभी भी जारी
अधिकांश शवों को किया जा चुका है बरामद विधि चौधरी ने कहा कि हम दुर्घटना स्थल से शवों को फोरेंसिक प्रयोगशालाओं में ले जाने में सहायता कर रहे हैं। यह सुनिश्चित करते हुए कि उन्हें सम्मान और गरिमा के साथ संभाला जाए। अधिकांश शवों को अब तक बरामद कर लिया गया है। हालांकि, मलबे से शवों की खोज अभी भी जारी है।
चौधरी ने बताया कि घटना के बाद कई लोगों ने दुर्घटना स्थल पर जाने की कोशिश की, लेकिन हम किसी को भी बैरिकेडेड क्षेत्र में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दे रहे हैं। प्रारंभ में कुछ अफवाहें थीं, जिसमें यह झूठा दावा किया गया कि यह एक आतंकी हमला था। हमारी साइबर क्राइम यूनिट ने जल्द ही इस गलत जानकारी को इंटरनेट मीडिया से हटा दिया।

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