मंत्र में है भक्ति की शक्ति
सनातन धर्म में देवी-देवताओं को प्रसन्न करने के लिए अनेक विधानों का उल्लेख मिलता है, जैसे-षोडष उपचार से पूजन-अर्चन, यज्ञ, हवन, व्रत-उपवास, कल्पवास, तीर्थयात्रा आदि।

सनातन धर्म में देवी-देवताओं को प्रसन्न करने के लिए अनेक विधानों का उल्लेख मिलता है, जैसे-षोडष उपचार से पूजन-अर्चन, यज्ञ, हवन, व्रत-उपवास, कल्पवास, तीर्थयात्रा आदि। लेकिन आज की व्यस्त दिनचर्या में लोगों के पास समय का अभाव है। ऐसी स्थिति में मंत्रों के उच्चारण द्वारा ईश्वर को स्मरण करके उन्हें धन्यवाद देना, उनके प्रति भक्ति प्रदर्शन का सबसे सरल और प्रभावशाली माध्यम है। इसीलिए यहां आपको अर्थ सहित कुछ ऐसे मंत्र बताए जा रहे हैं, जिनका उच्चारण करके आपका मन शांत और प्रसन्न रहेगा।
कर दर्शन मंत्र
कराग्रे वसते लक्ष्मी: करमध्ये सरस्वती।
करमूले च शक्ति: प्रभाते करदर्शनम्॥
अर्थ:उंगलियों के पोरों में लक्ष्मी जी निवास करती हैं, हथेली के मध्य भाग में सरस्वती जी और हथेली के मूल में देवी शक्ति। सवेरे-सवेरे इनका दर्शन करना पुण्यप्रद है।
विधि: प्रात:काल उठते ही दोनों हाथ खोलकर उनके दर्शन करने चाहिए।
लाभ: दिनभर चित्त प्रसन्न रहता है और कार्यो में सफलता मिलती है।
गायत्री मंत्र
ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं।
भर्गो देवस्य धीमहि धियो योन: प्रचोदयात्॥
अर्थ: हे प्राण, पवित्रता और आनंद देने वाले प्रभु! आप सर्वज्ञ और सकल जगत के उत्पादक हैं। हम आपके ज्ञान स्वरूप तेज का ध्यान करते हैं, जो हमारी बुद्धि में प्रकाशित रहता है। आप हमें अच्छे कर्म करने और सन्मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करें।
विधि: प्रात:काल स्नान कर, पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठें और इस मंत्र का 108, 28 या 11 बार जप करें।
लाभ: मन की एकाग्रता बढ़ती है। जीवन में आशा व उत्साह का संचार होता है।
महामृत्युंजय मंत्र
ॐ ˜यंम्बकं यजामहे सुगंधिम् पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बंधनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
अर्थ: त्रिनेत्र शिव जी को प्रणाम, जो सुगंध से परिपूर्ण हैं और मानव जाति का पालन करते हैं। वे मुझे माया और मृत्यु से बचाएं, जिस तरह पकी हुई ककड़ी अपनी बेल से स्वत: अलग हो जाती है, ठीक उसी तरह हमें संसार के दुखों और मोह-माया के बंधनों से मुक्ति प्रदान करे। विधि: संध्याकाल में दीपक जलाकर, पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके शांत भाव से 108, 28 या 11 बार जप करना चाहिए।
लाभ: शरीर स्वस्थ रहता है और दुर्घटनाओं से बचाव होता है।
गणपति वंदन
वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ:।
निर्विध्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥ अर्थ: हे गणेश जी! आप महाकाय हैं। आपकी सूंड वक्र है। आपके शरीर से करोड़ों सूर्यो का तेज निकलता है। आपसे प्रार्थना है कि आप मेरे सारे कार्य निर्विध्न पूरे करें।
विधि: घर से बाहर निकलते समय इस मंत्र का उच्चारण करना चाहिए।
लाभ: जिस कार्य के लिए घर से निकलते हैं, वह पूरा होता है और यश मिलता है।
लोक कल्याण मंत्र
ॐ सर्वे भवन्तु सुखिन:, सर्वे सन्तु निरामया:।
सर्वे भ्रदाणि पश्यन्तु, मा कश्चित् दु:खभाग् भवेत॥ ॐ शांति: शांति: शांति:।।
अर्थ:सभी सुखी-स्वस्थ हों, शुभ देखें और कोई दुखी न हो।
विधि: परिवार के सभी सदस्यों को दिन में एक बार कभी भी पूर्व या उत्तर दिशा की ओर खड़े होकर इस मंत्र का उच्चारण करना चाहिए।
लाभ: परिवार की उन्नति होती है और सभी सदस्यों के परस्पर सद्भाव में वृद्धि होती है।
शयन प्रार्थना
करचरणकृतं वाक्-कायजं कर्मजं वा
श्रवणनयनजं वा मानसं वापराधम्।
विहितमविहितं वा सर्वमेतत् क्षमस्व
जय जय करुणाब्धे श्रीमहादेव शंभो।
अर्थ: हे! महादेव मेरे ज्ञात-अज्ञात पापों को नष्ट करें, जिन्हें मैंने हाथ, पैर वाणी, कान आंखों या मन से किए हों। हे! करुणा के सागर, आप की जय हो।
विधि: सोने से पहले बिस्तर पर ही बैठकर हाथ जोड़कर प्रार्थना करनी चाहिए।
लाभ: मानसिक तनाव दूर होता है और अच्छी नींद भी आती है।
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