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Kisan Kalyan Yojana: यूपी सरकार का लक्ष्य 2022 तक दोगुनी हो अन्नदाता की आमदनी, आत्मनिर्भर हो किसान

Kisan Kalyan Yojana यूपी का किसान अब देश की किसी भी मंडी में उत्पाद बेच सकता है। मंडी अधिनियम में इस तरह का संशोधन करने वाला यूपी पहला राज्य है। कृषि निवेशों पर किसानों को देय अनुदान डीबीटी के माध्यम से भुगतान करने वाला यूपी पहला राज्य बन चुका है।

By Amit SinghEdited By: Published: Fri, 08 Jan 2021 07:17 PM (IST)Updated: Fri, 08 Jan 2021 07:17 PM (IST)
Kisan Kalyan Yojana: यूपी सरकार का लक्ष्य 2022 तक दोगुनी हो अन्नदाता की आमदनी, आत्मनिर्भर हो किसान
चीनी के अलावा दुग्ध उत्पादन में भी उत्तर प्रदेश, देश में प्रथम स्थान पर है।

लखनऊ। हर खेत को उन्नतशील बीज, उर्वरक व पानी उपलब्ध कराना और किसानों को फसल का उचित मूल्य दिलाना उत्तर प्रदेश सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। योगी सरकार ने वर्ष 2022 तक अन्नदाताओं की आय दोगुनी करने की कार्ययोजना तैयार कर किसानों के हित में कई परिवर्तनकारी कार्यक्रमों, योजनाओं और नीतियों को लागू किया है।

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राज्य सरकार ने लॉकडाउन के दौरान कृषि कार्य को प्रभावित नहीं होने दिया। किसानों को अपनी फसलों की कटाई के लिये सुरक्षित वातावरण उपलब्ध कराया। देश में कृषि निवेशों पर किसानों को देय अनुदान डीबीटी के माध्यम से भुगतान करने वाला उत्तर प्रदेश पहला राज्य बना है। इतना ही नहीं किसानों के लिये बाजार को व्यापक बनाने के दृष्टिकोण से मंडी अधिनियम में संशोधन करने वाला भी उत्तर प्रदेश, देश का प्रथम राज्य है।

मंडी अधिनियम में संशोधन के बाद अब यूपी का किसान अपना उत्पाद देश की किसी भी मंडी में बेचने के लिये स्वतंत्र है। तो वहीं देश में चीनी और दुग्ध उत्पादन में भी उत्तर प्रदेश प्रथम स्थान पर है। यह संभव हुआ है कर्मयोग की साधना से, व्यापक लोक कल्याण को सर्वोच्च स्थान देने वाले उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की नेतृत्व क्षमता और कार्य संस्कृति से...

• 2.13 करोड़ किसान प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना से लाभान्वित

• 36.000 करोड़ रु. से 86 लाख किसानों का ऋण मोचन

• 500 करोड़ रु. का प्रावधान मुख्यमंत्री कृषक योजना के तहत

• 4 करोड़ से अधिक मृदा स्वास्थ्य कार्ड वितरित

• 1.56 करोड़ से अधिक किसान क्रेडिट कार्ड वितरित

• रु. 1.925 प्रति क्विंटल गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य डेढ़ गुने की बढ़ोत्तरी

किसान कल्याण के लिए प्रतिबद्ध

नये और खुशहाल भारत के निर्माण का रास्ता किसानों के खेतों से ही होकर जाता है। उत्तर प्रदेश में कृषि आजीविका का प्रमुख आधार है। इसे ध्यान में रखते हुये वर्ष 2022 तक किसानों की आमदनी दोगुनी करने का लक्ष्य है। प्रधानमंत्री के ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान‘ के अन्तर्गत घोषित 20 लाख करोड़ रुपये के विशेष आर्थिक पैकेज से देश की अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ बनाने तथा किसानों की आय दोगुनी करने के लिये न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि का निर्णय लिया गया। प्रदेश सरकार किसानों के हितों को ध्यान में रखकर कार्य कर रही है। दुर्घटना की स्थिति में ‘मुख्यमंत्री कृषक दुर्घटना कल्याण योजना‘ से किसानों को राहत उपलब्ध कराई जा रही है।

उत्तर प्रदेश सरकार के संजीदा प्रयासों का ही नतीजा है कि उत्तर प्रदेश चीनी उत्पादन के मामले में देश में लगातार प्रथम स्थान पर है। योगी सरकार ने गन्ना किसानों को रिकॉर्ड 1.12 लाख करोड़ रुपये से अधिक गन्ना मूल्य का भुकतान किया है। उत्तर प्रदेश सरकार ने किसानों के हित में लगातार अनेकों कदम उठाये हैं। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत दिसम्बर 2020 तक कुल 2.13 करोड़ किसानों को 28,443 करोड़ रुपये की धनराशि डीबीटी के माध्यम से हस्तांतरित की गई।

मिला उपज का सही मूल्य

किसानों को उनकी उपज का सही मूल्य मिले। अन्नदाता की आमदनी दोगुनी हो और किसान आत्मनिर्भर हो, इसके लिए योगी सरकार प्रतिबद्ध है। पहली बार डेढ़ गुने न्यूनतम समर्थन मूल्य पर योगी सरकार ने रिकॉर्ड गेंहू और धान की सरकारी खरीद की है। निष्पक्ष और पारदर्शी व्यवस्था के तहत बीते 3.5 वर्षों में गेंहू और धान की रिकॉर्ड 347.96 लाख मीट्रिक टन सरकारी खरीद से किसानों की आय बढ़ी है। वर्ष 2012-17 के मध्य हुई गेंहू और धान की कुल 219.99 लाख मीट्रिक टन खरीद की तुलना में योगी सरकार ने 127.97 लाख मीट्रिक टन अधिक गेंहू और धान क्रय किया है। वहीं वर्ष 2007-12 की तुलना में योगी आदित्यनाथ सरकार ने 106.39 लाख मीट्रिक टन अधिक खरीद की गई है। बीते 3.5 वर्ष में 185.28 लाख मीट्रिक टन धान और 162.71 लाख मीट्रिक टन गेंहू सहित खाद्यान्न की सरकारी खरीद कर निर्धारित समय में 60,000 करोड़ रुपये से अधिक किसानों के बैंक खातों में हस्तांतरित किये। एमएसपी पर धान खरीद की जा रही है। निर्धारित 72 घण्टों में किसानों को धान का मूल्य बैंक खातों में हस्तांतरित किया जा रहा है। पहली बार न्यूनतम समर्थन मूल्य पर 11,663 मीट्रिक टन चना और 11,882 मीट्रिक टन सरसों की सरकारी खरीद भी की गई है।

देश में सबसे पहले किया मंडी अधिनियम में संशोधन

कृषि क्षेत्र में सुधार लाने के लिये केन्द्र सरकार द्वारा लाये गये अध्यादेशों के तत्काल बाद किसानों के लिये बाजार को व्यापकता देने के उद्देश्य से उत्तर प्रदेश सरकार ने मण्डी अधिनियम में संशोधन कर देश के प्रथम राज्य का गौरव प्राप्त किया। इस संशोधन के बाद अब किसान अपनी उपज अधिसूचित मण्डियों के अलावा भी अन्य मण्डियों में बेचने को स्वतंत्र हैं। इससे किसान को उपज का सही मूल्य मिलेगा। इसमें 4 बड़े सुधार किये गये हैं।

पहला, अब तक कृषि उत्पादों को केवल स्थानीय अधिसूचित मण्डियों के माध्यम से ही बेचने की व्यवस्था थी। पर, इस संशोधन के बाद अब किसान किसी भी मण्डी, बाजार, संग्रह केन्द्र, गोदाम, कोल्ड स्टोरेज और कारखाने आदि में अपनी फसलों को बेच सकते हैं। इससे किसानों को फसल की कीमत अच्छी मिलेगी। अब किसानों के लिये पूरा देश एक बाजार है। दूसरा, किसान पहले मण्डियों में लाइसेंस धारक व्यापारियों के माध्यम से ही किसान अपनी फसल बेच सकते थे, अब नई व्यवस्था के तहत मण्डी के बाहर के व्यापारियों के माध्यम से भी किसान अपनी फसल बेच सकते हैं।

इससे अधिक संख्या में व्यापारी किसानों की फसल खरीद सकेंगे। तीसरा, मण्डी के बाहर फसलों का व्यापार वैध होने के कारण मण्डी व्यवस्था के बाहर भी फसलों के व्यापार और भण्डार संबंधित आधारभूत संरचना में निवेश बढ़ेगा। चैथा, अब अन्य राज्यों में कृषि उपज की मांग, आपूर्ति और कीमतों का आर्थिक लाभ किसान या किसान उत्पादक संगठन स्वयं उठा सकते हैं। किसानों के हित में राज्य सरकार ने बाजार को व्यापक एवं बहुउपयोगी बनाया है।

किसान समृद्धि आयोग गठित

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संकल्प ‘वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुना करने‘ की विशेषताओं को पूरा करने के लिये उत्तर प्रदेश सरकार ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में 37 सदस्यीय किसान समृद्धि आयोग का गठन किया है। आयोग के गठन से किसानों की लंबे समय से चली आ रही मांग भी पूरी हो गई है। मुख्यमंत्री चार अन्य सदस्यों को भी आयोग में नामित कर सकते हैं। आयोग में कृषि मंडी के साथ नीति आयोग के सदस्य उपाध्यक्ष बनाये गये हैं, जबकि सचिव प्रमुख सचिव हैं। कृषि क्षेत्र के विशेषज्ञों को भी आयोग में शामिल किया गया है, ताकि उनके अनुभव व सुझावों का लाभ लिया जा सके। आयोग में 11 विभागों के प्रमुख सचिव सहित 13 विशेष आमंत्रित सदस्य हैं। इनमें सहकारिता विभाग, पशुधन विभाग, मत्स्य विभाग, उद्यान विभाग, रेशम विभाग, ऊर्जा विभाग, चीनी उद्योग विभाग, सिंचाई विभाग, लघु सिंचाई विभाग, वन विभाग व खाद्य एवं रसद विभाग के प्रमुख सचिव, उप्र राज्य कृषि उत्पादन मंडी परिषद के निदेशक तथा कृषि निदेशक शामिल हैं।

अन्नदाता की खुशहाली सर्वोच्च प्राथमिकता

योगी सरकार ने पहली कैबिनेट बैठक में सीमित संसाधनों से 86 लाख किसानों का 36,000 करोड़ रुपये के ऋण मोचन का ऐतिहासिक निर्णय लिया। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत 2.13 करोड़ किसानों के बैंक खातों में 28,443 करोड़ रुपये हस्तांतरित किये गये। प्रधानमंत्री मानधन योजना के तहत लाभार्थियों को कार्ड उपलब्ध कराना हो या फिर प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत 1.62 करोड़ किसानों को खरीफ एवं रबी में फसल बीमा के तहत 1,389 करोड़ की क्षतिपूर्ति उपलब्ध कराना, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में इन योजनाओं का शत-प्रतिशत लाभ किसानों तक पहुंच रहा है। रिकॉर्ड 227.62 लाख मीट्रिक टन उर्वरक वितरण कराया गया। किसानहित में 4 करोड़ से अधिक मृदा स्वास्थ्य कार्ड और 1.11 करोड़ किसान क्रेडिट कार्ड वितरित किये गये हैं।

डीबीटी से कृषि अनुदान देने वाला पहला राज्य ‘उत्तर प्रदेश’

राज्य सरकार किसानों के हित में लगातार काम कर रही है और इसी का परिणाम है कि उत्तर प्रदेश प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) के माध्यम से किसानों को भुगतान करने वाला देश का पहला राज्य बना है। उत्तर प्रदेश के किसानों को पिछले 3.5 वर्षों में विभिन्न योजनाओं के तहत 2.53 लाख करोड़ रुपये से अधिक की धनराशि डीबीटी के माध्यम से सीधे उनके खातों में हस्तांतरित की गई है। उत्तर प्रदेश कृषि निवेश पर देय अनुदान को डीबीटी के माध्यम से भुगतान करने वाला देश का पहला राज्य है।

इसके अलावा किसान कल्याण के अन्य बिन्दुओं पर भी योगी सरकार ने विशेष ध्यान दिया है। किसानों को कृषि की नवीनतम तकनीक से प्रशिक्षित करने के लिए किसान पाठशाला का आयोजन किया जा रहा है, जिसके तहत अब तक करीब 53.65 लाख से अधिक किसान लाभान्वित हुए हैं। इस वर्ष 10 लाख से अधिक किसानों को पाठशाला लाने का लक्ष्य है।

उत्तर प्रदेश में पहली बार अंतरराष्ट्रीय स्तर के ‘कृषि कुम्भ’ का आयोजन किया गया, जिसमें देश के विभिन्न राज्यों के एक लाख से अधिक कृषकों ने हिस्सा लिया। राज्य के बुन्देलखण्ड में सिंचाई क्षमता बढ़ाने के लिए 2017 से अब तक 13,645 से अधिक खेत-तालाबों का निर्माण कराया गया है। इस वर्ष 6,558 खेत-तालाबों के निर्माण का लक्ष्य है।


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