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    Fact Check: सन् 1882 में हुआ था नैनीताल की जामा मस्जिद का निर्माण, भ्रामक दावा हो रहा वायरल

    By TilakrajEdited By:
    Updated: Sat, 30 Apr 2022 11:49 AM (IST)

    विश्वास न्यूज ने नैनीताल के रंगकर्मी जहूर आलम से बात की। उनका कहना है जामा मस्जिद 25-30 साल पुरानी नहीं बल्कि अंग्रेजों के जमाने की है। वहां केवल एक लाउडस्पीकर लगा है जिस पर हाईकोर्ट के निर्देशानुसार तय मानक के आधार पर आवाज आती है।

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    1882 में अंग्रेजों के शासनकाल में मस्जिद का निर्माण हुआ था

    नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। उत्तर प्रदेश समेत पूरे देश में लाउडस्पीकर विवाद चल रहा है। इस बीच सोशल मीडिया पर एक पोस्ट वायरल हो रही है। इसमें यूजर्स एक इमारत की फोटो लगाकर दावा कर रहे हैं कि यह मस्जिद नैनीताल में है। 20-25 साल पहले इस मस्जिद का कोई अस्तित्व नहीं था। तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने सैकड़ों मीटर बेशकीमती जमीन मुसलमानों को देकर इसका निर्माण कराया है। सुबह साढ़े 4 बजे से इस मस्जिद में लगे 16 बड़े-बड़े लाउडस्पीकर पर काफी तेज आवाज होती है।

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    दैनिक जागरण की फैक्ट चेकिंग वेबसाइट 'विश्वास न्यूज' ने अपनी पड़ताल में पाया कि वायरल दावा गलत है। नैनीताल की जामा मस्जिद का निर्माण अंग्रेजों के जमाने में हुआ था। मतलब कांग्रेस सरकार से इसके निर्माण का कोई संबंध नहीं है। मस्जिद में केवल एक लाउडस्पीकर लगा है, जिस पर तय मानक के अनुसार आवाज होती है।

    सबसे पहले 'विश्वास न्यूज' ने फोटो की पड़ताल के लिए उसे गूगल रिवर्स इमेज से सर्च किया। इसमें हमें Jama Masjid Mosque Nainital फेसबुक पेज पर यह फोटो मिल गई। 10 फरवरी 2018 को की गई इस पोस्ट में लिखा है कि जामा मस्जिद नैनीताल को ब्रिटिश सेना में मुस्लिम सैनिकों के लिए बनाया गया था। इसको 1882 में ब्रिटिश काल के दौरान नैनीताल के आसपास के मुसलमानों के लिए बनाया गया था। मुख्य प्रवेश द्वार पर अरबी शिलालेख देखे जा सकते हैं। वर्ष 2004-05 में इसका पुनर्निर्माण किया गया था। इसी फेसबुक पेज पर मौजूद एक पोस्ट में अपलोड फोटो में मस्जिद के निर्माण का वर्ष अंकित है।

    nainital.info के अनुसार, 1882 में अंग्रेजों के शासनकाल में इस मस्जिद का निर्माण हुआ था। इसको नैनीताल के आसपास स्थित मिलिट्री कैंप के मुस्लिमों के लिए बनाया गया था।

    अब बात करे जामा मस्जिद के लाउडस्पीकर की तो 'विश्वास न्यूज' ने कीवर्ड से इस बारे में सर्च किया। इसमें 9 जुलाई 2018 को jagran में छपी खबर का लिंक मिला। इसके मुताबिक, नैनीताल हाईकोर्ट का आदेश आने के बाद शहर के धार्मिक स्थलों पर लगे लाउडस्पीकरों पर अगर 5 डेसीबल से अधिक आवाज आती है तो पुलिस कार्रवाई करेगी। इसको लेकर पुलिस की ओर से सर्वधर्म सम्मेलन का आयोजन हुआ था, जिसमें सभी धर्मों के प्रतिनिधियों ने आदेश के अनुपालन की अपनी सहमति दे दी है। स्थानीय मस्जिद ने अपनी आवाज कम कर दी है।

    20 मई 2020 को jagran में ही छपी एक अन्य खबर के अनुसार, राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में कहा है कि मस्जिद के पास आवासीय भवन और सरकारी अस्पताल हैं, इसलिए लाउडस्पीकर की अनुमति नहीं दे सकते।

    20 मई 2020 को awaaz24x7 वेबसाइट में भी इस संबंध में खबर छपी है। इसके अनुसार, हाईकोर्ट ने डीएम और एसएसपी को तीन दिन में मस्जिदों को नियमानुसार आवाज चेक कराने को कहा है। इसके तहत त्योहारों के समय 10 डेसिबल और वैसे 5 डेसिबल की आवाज निर्धारित की गई थी। कोर्ट ने याचिकाकर्ता से यह लिखित में देने को कहा कि तय लिमिट के हिसाब से लाउडस्पीकर का इस्तेमाल किया जाएगा।

    इस बारे में 'विश्वास न्यूज' ने नैनीताल के रंगकर्मी जहूर आलम से बात की। उनका कहना है, जामा मस्जिद 25-30 साल पुरानी नहीं, बल्कि अंग्रेजों के जमाने की है। वहां केवल एक लाउडस्पीकर लगा है, जिस पर हाईकोर्ट के निर्देशानुसार तय मानक के आधार पर आवाज आती है।

    दैनिक जागरण नैनीताल के रिपोर्टर किशोर जोशी का कहना है, सोशल मीडिया पर वायरल पोस्ट गलत है। नैनीताल की जामा मस्जिद काफी पुरानी है। इसका निर्माण 1882 में हुआ था। 16 लाउडस्पीकर पर तेज आवाज की बात भी गलत है।

    इस पड़ताल को विस्‍तार से यहां पढ़ें।

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