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    Fact Check Story: भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को फांसी की सजा की तारीख के नाम पर फर्जी पोस्‍ट वायरल

    By Jagran NewsEdited By: Babli Kumari
    Updated: Wed, 15 Feb 2023 03:56 PM (IST)

    पड़ताल में पता चला कि भगत सिंह सुखदेव और राजगुरु को फांसी की सजा 7 अक्टूबर 1930 को सुनाई गई थी। इन तीनों क्रांतिकारियों को मार्च 1931 को फांसी दी गई थी। विश्‍वास न्‍यूज ने वायरल पोस्‍ट की जांच के लिए सबसे पहले गूगल ओपन सर्च टूल की मदद ली।

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    भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को फांसी की सजा की तारीख के नाम पर फर्जी पोस्‍ट वायरल

    नई दिल्‍ली (विश्‍वास न्‍यूज)। वैलेंटाइन डे के दिन एक बार फिर से भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को लेकर एक पोस्‍ट वायरल हुई। इस पोस्‍ट में दावा किया गया कि 14 फरवरी को इन तीनों को फांसी की सजा सुनाई गई थी। दैनिक जागरण की फैक्‍ट चेकिंग टीम विश्‍वास न्‍यूज ने वायरल पोस्‍ट की जांच की। दावा पूरी तरह फर्जी साबित हुआ। पड़ताल में पता चला कि भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को फांसी की सजा 7 अक्टूबर 1930 को सुनाई गई थी। इन तीनों क्रांतिकारियों को मार्च 1931 को फांसी दी गई थी।

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    आइए सबसे पहले जानते हैं कि 14 फरवरी के नाम पर क्‍या वायरल किया गया। कई फेसबुक यूजर्स ने लिखा कि आज के ही दिन माँ भारती के सपूत भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु जी को अंग्रेजों की न्यायपालिका नें फांसी की सजा सुनाई थी। आज ही वेलनटाइन डे भी है। इतिहास से समझों सनातनियों।

    विश्‍वास न्‍यूज ने वायरल पोस्‍ट की जांच के लिए सबसे पहले गूगल ओपन सर्च टूल की मदद ली। संबंधित कीवर्ड से सर्च करने पर बीबीसी हिंदी की एक रिपोर्ट मिली। इसमें एम एस गिल की किताब 'ट्रायल्स दैट चेन्ज्ड हिस्ट्री: फ्रॉम सेक्रेट्स टू सद्दाम हुसैन' के हवाला से लिखा गया, "स्पेशल ट्राइब्यूनल कोर्ट ने 7 अक्तूबर 1930 को भारतीय दंड संहिता की धारा 121 और 302 और एक्सप्लोसिव सबस्टैंस एक्ट 1908 की धारा 4(बी) और 6(एफ़) के तहत बेहद ठंडी और संजीदा आवाज में जहर उगला और भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव की मौत की सजा का एलान किया।"

    विश्‍वास न्‍यूज ने भगत सिंह पर एजी नूरानी की चर्चित किताब द ट्रायल ऑफ भगत सिंह : पॉलिटिक्स ऑफ जस्टिस को खंगालना शुरू किया। इसके पेज नंबर 21 में भी बताया गया कि इन तीनों को 7 अक्‍टूबर, 1930 को फांसी की सजा सुनाई गई, जबकि 23 मार्च 1931 को फांसी दे दी गई।

    जांच को आगे बढ़ाते हुए भगत सिंह आर्काइव एंड रिसोर्स सेंटर के प्रोफेसर चमन लाल से संपर्क किया गया। उनके साथ वायरल पोस्‍ट को शेयर किया। उन्‍होंने बताया कि हर साल वैलेंटाइन डे पर ऐसी पोस्‍ट वायरल होने लगती है। कुछ लोग जानबूझकर 14 फरवरी को भगत सिंह की फांसी की तारीख बनाने की कोशिश कर रहे हैं। यह पूरी तरह बकवास है। 7 अक्‍टूबर 1930 को उन्‍हें फांसी की सजा सुनाई गई थी।

    वायरल पोस्‍ट को लेकर शहीद भगत सिंह सेन्टेनरी फाउंडेशन के चेयरमैन और भगत सिंह की छोटी बहन अमर कौर के पुत्र प्रोफेसर जगमोहन सिंह का कहना है, "यह दावा हर साल वायरल होता है और इसमें कोई सच्चाई नहीं है। लोगों को गुमराह करने के लिए ऐसे पोस्ट शेयर किए जाते हैं। भगत सिंह को फांसी की सज़ा 14 फरवरी 1931 को नहीं, 7 अक्टूबर 1930 को सुनाई गई थी।''

    पूरी पड़ताल को विस्‍तार से यहां पढ़ा जा सकता है।