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    Fact Check: सुप्रीम कोर्ट द्वारा ब्राह्मणों के खिलाफ अपशब्द कहने पर एट्रोसिटी एक्ट लागू होने का दावा गलत

    By Monika MinalEdited By:
    Updated: Tue, 12 Jul 2022 04:52 PM (IST)

    सोशल मीडिया यूजर्स एक पोस्ट में दावा कर रहे हैं कि सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिका की सुनवाई करते हुए फैसला सुनाया है कि ब्राह्मणों के खिलाफ अपशब्द कहने पर अब एट्रोसिटी एक्ट लागू होगा। दैनिक जागरण की फैक्ट चेकिंग वेबसाइट विश्वास न्यूज की पड़ताल में वायरल दावा गलत निकला।

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    सुप्रीम कोर्ट द्वारा ब्राह्मणों के खिलाफ अपशब्द कहने पर एट्रोसिटी एक्ट लागू होने का दावा गलत

    नई दिल्ली (विश्वास टीम)। सुप्रीम कोर्ट में ऐसा कोई फैसला नहीं सुनाया गया है जिसमें ब्राह्मणों के खिलाफ अपशब्द कहे जाने पर एट्रोसिटी एक्ट लागू किया जाने की बात कही गई है। सोशल मीडिया यूजर्स एक पोस्ट शेयर कर दावा कर रहे हैं कि सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिका की सुनवाई करते हुए ये फैसला सुनाया है कि ब्राह्मणों के खिलाफ अपशब्द कहने पर अब एट्रोसिटी एक्ट लागू होगा। दैनिक जागरण की फैक्ट चेकिंग वेबसाइट विश्वास न्यूज की पड़ताल में वायरल दावा गलत निकला। सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस तरह का कोई फैसला नहीं सुनाया गया है।

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    वायरल दावे की सच्चाई 

    वायरल दावे की सच्चाई जानने के लिए विश्वास न्यूज ने गूगल पर कई कीवर्ड्स के जरिए सर्च किया, लेकिन विश्वास न्यूज को वायरल दावे से जुड़ी कोई विश्वसनीय मीडिया रिपोर्ट प्राप्त नहीं हुई। पड़ताल को आगे बढ़ाते हुए हमने कानूनी मुद्दों पर लेख प्रकाशित करने वाली वेबसाइट ‘Live Law‘ और ‘BarandBench‘ को खंगालना शुरू किया। हमें यहां पर भी दावे से जुड़ी कोई जानकारी प्राप्त नहीं हुई। जांच को आगे बढ़ाते हुए विश्वास न्यूज ने सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर जाकर इस बारे में सर्च करना शुरू किया। हमें यहां पर भी ऐसा कोई जजमेंट नहीं मिला, जैसा कि वायरल पोस्ट में दावा किया जा रहा है।

    सुप्रीम कोर्ट से भी किया संपर्क

    अधिक जानकारी के लिए विश्वास न्यूज ने सुप्रीम कोर्ट के वकील मोहित त्यागी से संपर्क किया। उन्होंने विश्वास न्यूज को बताया कि वायरल दावा गलत है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस तरह का कोई फैसला नहीं सुनाया गया है और ना ही इस तरह की कोई याचिका दायर हुई है। ब्राह्मणों के खिलाफ अपशब्द कहने पर अब एट्रोसिटी एक्ट लागू नहीं हो सकता है। एससी/एसटी (SC/ST) एट्रोसिटी एक्ट को 1989 में पारित किया गया था। यह एक विशेष तरह का कानून है, जो संविधान के अनुच्छेद 15 (4) के तहत बनाया गया था। यह समाज के दलित वर्ग के लिए विशेष प्रावधान करने की छूट देता है।