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    Web Series Review: Tripling Season 2 के रोड ट्रिप पर न रखें उम्मीदों का बैग

    By Shikha SharmaEdited By:
    Updated: Tue, 09 Apr 2019 05:13 PM (IST)

    पहले एपिसोड से दूसरे एपिसोड तक ये ट्रिप आपके एक्साइटमेंट को धीरे-धीरे कम कर देगी क्योंकि आने वाले एपिसोड इस ट्रिप से आपके उम्मीदों का बैग उतार कर फेंक देंगे।

    Web Series Review: Tripling Season 2 के रोड ट्रिप पर न रखें उम्मीदों का बैग

    शो का नाम: ट्रिपलिंग सीज़न 2

    कलाकार: सुमित व्यास, अमोल पराशर, मानवी गागरू

    चैनल: TVF (द वायरल फीवर)

    निर्देशक: समीर सक्सेना

    रेटिंग: 2 स्टार

    तीन साल पहले चंदन, चंचल और चितवन हम सभीं को एक बेहतरीन रोड ट्रिप पर ले गए थे। यह ट्रिप एडवेंचर के गड्ढों से गुज़रते हुए हंसी-मज़ाक और इमोशंस के रास्ते एक खूबसूरत कहानी तक पहुंची और अंत ऐसा हुआ कि सालों से इन तीनों के साथ एक और ट्रिप करने का मन करता रहा। साल 2016 से सीधे साल 2019 में TVF (The Viral Fever) के इस शो का दूसरा सीज़न शुरू हुआ। 18 से 37 मिनट लम्बे कुछ 5 एपिसोड को एक साथ रिलीज़ किया गया। इस सीजन को चंदन यानि खुद सुमित व्यास ने आकर्ष खुराना के साथ लिखा है। इस शो को डायरेक्ट किया है समीर सक्सेना ने।

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    शो की शुरुआत होती है छह महीने की लीप से, अब चंदन (सुमीत व्यास) ने पिछले सीजन की सारी कहानी एक बुक में उतार ली और अब वो फेमस राइटर हैं। चितवन (अमोल पराशर) एक बच्चे के पिता है और बहन चंचल ( मानवी गागरू) अब पॉलिटिक्स में कदम रख चुकी हैं। एक दूसरे से महीनों तक टच में ना रहने वाले ये सिब्लिंग्स को सिचुएशन एक बार फिर रोड ट्रिप करने में मजबूर कर देती है। मगर पहले एपिसोड से दूसरे एपिसोड तक ये ट्रिप आपके एक्साइटमेंट को धीरे-धीरे कम कर देगी, क्योंकि आने वाले एपिसोड इस ट्रिप से आपके उम्मीदों का बैग उतार कर फेंक देंगे। ऐसे में आप पहले सीज़न को ध्यान में तो रखिये मगर उससे इस सीज़न की तुलना करना गलत होगा। हालांकि पहले सीज़न से कई कड़ियों को बहुत ही अच्छी तरह और मजेदार तरीके से जोड़ा गया है। मगर इस चक्कर में कहानी बहुत ही कमज़ोर हो गई । फन का डोज़ भी इस बार कम था।

    सुमीत और मानवी अपने किरदार के अनुसार ठीक- ठाक और काम चलाऊ अभिनय ही कर रहे थे, मगर चितवन यानि अमोल का कैरेक्टर पहले सीज़न की ही तरह बड़ा मजेदार था। यह कहना गलत नहीं होगा कि अमोल ने इस शो में जान डाली है। कहानी में एक दिलचस्प मोड़ चंदन द्वारा अपनी किताब में लिखी गई बात से आएगा। दरअसल, चंदन ने अपनी किताब में कुछ ऐसा लिख दिया है कि ये तीनों सिब्लिंग्स मुश्किल में पड़ गए।एपिसोड दर एपिसोड आप देखेंगे कि दिल्ली से जयपुर, जयपुर से लखनऊ, फिर कोलकाता और फिर सिक्किम जाकर यह ट्रिप ख़त्म होती है। इस बार शो में कई बेहतरीन कलाकारों ने गेस्ट अपीयरेंस भी दिया है, जिनमें सबसे बेहतरीन काम किया 'बधाई हो' फेम गजराज राव ने। नवाब सिकंदर खान उर्फ़ प्रिंस अलेग्ज़ेन्डर के किरदार में गजराज ने एक बार फिर साबित कर दिया कि वो वर्सेटाइल एक्टर्स में से एक हैं। इस कहानी में उनकी लखनऊ में एंट्री होती है। इसी क्रम में श्वेता त्रिपाठी ने एक छोटी सी भूमिका निभाई है। वह गजराज राव की पत्नी के किरदार में हैं। बहुत थोड़े से समय में यहां यह दिखाया जाता है कि प्यार किसी उम्र का मोहताज नहीं होता। कोलकाता में इन्हें डिटेक्टिव के किरदार में मिलते हैं रजीत कपूर जो इन्हें पहुंचाते हैं गैंगटोक जहाँ होता है इस शो का क्लाइमेक्स!

    कुणाल रॉय कपूर जो चंचल के पति प्रणव का किरदार निभाते हैं, उन्होंने भी अपने किरदार के साथ इन्साफ किया है। हालांकि, इनका रोल आख़िरी एपिसोड में कुछ ही मिनटों का है। अन्य किरदारों की बात की जाए तो कुबरा सायत (चितवन की गर्लफ्रेंड शीतल), निधि बिष्त (प्रणव की बहन निर्मला) ने भी अपने अपने किरदारों को बखूबी से निभाया है।

    इस सीज़न में पहले जैसा ह्यूमर और फन एलिमेंट भी मिसिंग था। डायलॉग्स और फनी पंचेज़ भी सटीक जगह पर फिट नहीं बैठते नज़र आये। चन्दन, चंचल और चितवन की सिबलिंग बॉन्डिंग ही है जो हमें पांचवे एपिसोड तक ले जाती है। वेब शो के लेखक और मेकर्स को यह बात ध्यान में रखनी ही चाहिए कि वेब की दुनिया में स्किप का बटन दर्शकों के हाथ होता है। इसलिए कहानी का स्ट्रांग होना काफी जरूरी है। इस शो को सम्पूर्ण रूप से देखा जाए तो एक्टिंग, लोकेशन और कैमरा वर्क शानदार होने के बावजूद कहानी निराश करती है।

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