The Family Man 2 में काम करने बाद बदली इस एक्टर की किस्मत, पांच फिल्मों के मिले ऑफर
कहीं न कहीं यह बात पता होती है कि बैकअप में काम है और कुछ दिन बाद दर्शकों के सामने अच्छा काम आएगा। हालांकि मेरी कोशिश यही होती है कि हर प्रोजेक्ट पर मेहनत एक जैसी ही करूं। अपने काम में कमी या कंजूसी नहीं करता हूं।
प्रियंका सिंह, मुंबई। 'द फैमिली मैन' और 'आश्रम' वेब सीरीज के बाद दर्शन कुमार के पास फिल्मों में मुख्य किरदार के कई आफर हैं। दर्शन का मानना है कि वेब सीरीज के सीजन्स जब बनते हैं तो कलाकारों के पास विकल्प बढ़ जाते हैं। उनसे बातचीत के अंश:
वेब सीरीज के लगातार सीजन्स बन रहे हैं। ऐसे में बतौर एक्टर एक सिक्योरिटी होती है कि आगे और काम है?
हां, बिल्कुल। कहीं न कहीं यह बात पता होती है कि बैकअप में काम है और कुछ दिन बाद दर्शकों के सामने अच्छा काम आएगा। हालांकि मेरी कोशिश यही होती है कि हर प्रोजेक्ट पर मेहनत एक जैसी ही करूं। अपने काम में कमी या कंजूसी नहीं करता हूं। मैंने जीवन में कभी कोई और काम करने के बारे में सोचा भी नहीं। बचपन से पता था कि एक्टिंग ही करनी है। मुझे इसके अलावा कोई और काम नहीं आता है।
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पहले और अब के मुकाबले आपके प्रति फिल्म इंडस्ट्री की अप्रोच कितनी बदली है?
सच कहूं तो बहुत बदलाव आया है। यह बदलाव मुझे अपनी पहली वेब सीरीज 'अवरोध-द सीज विदइन' से ही नजर आया था। उसके बाद 'आश्रम' वेब सीरीज ने नई पहचान दिलाई। मुझे उसके बाद दो फिल्में बतौर मुख्य किरदार आफर हुईं, जो अब रिलीज के लिए तैयार हैं। 'द फैमिली मैन 2' के बाद मेरे पास पांच फिल्मों के आफर अब तक आ चुके हैं। डिजिटल प्लेटफार्म की वजह से अच्छे एक्टर और लेखकों की डिमांड काफी बढ़ गई है।
काम के लिए मिलने वाली तारीफों और आलोचनाओं को कैसे लेते हैं?
मैं हर बार बेस्ट नहीं हो सकता हूं। मेरे भीतर जो कमियां हैं, उसके बारे में कोई बता रहा है तो इसका मतलब यह है कि वह इंसान मेरे बारे में अच्छा सोचता है। मैं गलतियां सुधारने की कोशिश करता हूं, लेकिन अगर मुझे लगता है कि मैंने ठीक काम किया है तो मैं अपनी बात भी भी रखता हूं।
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रंगमंच आपके दिल के करीब रहा है। कोरोना काल में रंगमंच की क्या मुश्किलें रही हैं?
पिछले डेढ़ साल से तो मैं रंगमंच बिल्कुल नहीं कर पाया हूं। मैं एक कहानी पर काम कर रहा हूं। नसीरुद्दीन शाह के साथ उस नाटक में काम करूंगा, लेकिन अब तय नहीं है कि हम वह नाटक कब तक कर पाएंगे। थिएटर में हर दिन अपने ही किरदार को निखारने का मौका मिलता है, जो फिल्मों में नहीं मिल पाता है। मेरे खून में रंगमंच बसा हुआ है। उसे मैं कभी नहीं छोड़ सकता।
नसीरुद्दीन शाह के साथ आपने रंगमंच पर करियर की शुरुआत की थी। उनके साथ रिश्ते पहले से कितने बदल गए हैं?
नसीर साहब मेरे गुरु हैं और मैं उनका चेला हूं। वह रिश्ता कभी नहीं बदल सकता है। उनसे जितना सीख सकूं उतना कम है। दुनिया के सर्वश्रेष्ठ अभिनेताओं में उनका जिक्र होता है। वह आज भी अपने किरदार पर उतनी ही मेहनत करते हैं, जितना एक नया कलाकार करता है। उनके बारे में यही बात मुझे बहुत प्रेरित करती है।
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'द फैमिली मैन' के तीसरे सीजन को लेकर क्या तैयारियां हैं?
इसके बारे में फिलहाल हमारे लेखक और निर्देशक को भी नहीं पता है। शो पर काम अगर शुरू हुआ तो भी उसे दर्शकों तक पहुंचने में डेढ़ साल लग जाएंगे। डेढ़ साल बाद दर्शकों की क्या सोच होगी, किस तरह का कंटेंट उन्हें पसंद आएगा, फिलहाल मेकर्स उस पर काम कर रहे हैं। इसके नतीजे मिलने के बाद स्क्रिप्ट पर काम शुरू हो पाएगा।
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