Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Interview: 'मुंबई डायरीज़ 26/11' का किरदार मेरी पर्सनैलिटी से काफ़ी मिलता-जुलता है- कोंकणा सेन शर्मा

    By Manoj VashisthEdited By:
    Updated: Tue, 07 Sep 2021 07:43 AM (IST)

    Konkona Sen Sharma Interview डॉली किट्टी और वो चमकते सितारे और अजीब दास्तांस के ज़रिए कोंकणा ओटीटी प्लेटफॉर्म पर अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज़ करवाती रही हैं मगर पहली बार किसी वेब सीरीज़ में नज़र आएंगी। जागरण डॉटकॉम से साथ कोंकणा की एक्सक्लूसिव बातचीत।

    Hero Image
    Konkona Sen Sharma and in Mumbai Diaries 26/11. Photo- Instagram

    मनोज वशिष्ठ, नई दिल्ली। 26 नवम्बर 2008 को मुंबई पर हुए आतंकी हमलों की पृष्ठभूमि पर बनी वेब सीरीज़ 'मुंबई डायरीज़26/11' में कोंकणा सेन शर्मा एक अस्पताल में अधिकारी के किरदार में नज़र आएंगी। 'डॉली किट्टी और वो चमकते सितारे' और 'अजीब दास्तांस' के ज़रिए कोंकणा ओटीटी प्लेटफॉर्म पर अपनी उपस्थिति दर्ज़ करवाती रही हैं, मगर पहली बार किसी वेब सीरीज़ में नज़र आएंगी। अपने किरदारों में ढल जाने के लिए जानी जाने वाली कोंकणा ने 'मुंबई डायरीज़ 26/11' को लेकर जागरण डॉट कॉम के डिप्टी एडिटर मनोज वशिष्ठ से ख़ास बातचीत की। पेश हैं इस बातचीत के अंश। 

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    मुंबई डायरीज़ 26/11, आतंकी हमलों की पृष्ठभूमि पर बनी है। आपका इसमें क्या किरदार है? 

    • इस सीरीज़ में मेरे किरदार का नाम चित्रा दास है। वो मुंबई शहर के एक सरकारी अस्पताल में सोशल सर्विसेज़ डायरेक्टर है। उसका अपना एक अतीत है, जिससे वो जूझ रही है और इससे उबरने की कोशिश कर रही है। ऐसी असाधारण परिस्थितियों के मद्देनज़र वो कोई ऐसी महिला नहीं है, जो लीड कर सके। वो बहुत मजबूत इरादों वाली महिला नहीं है। वो अति संवेदनशील महिला है। सीरीज़ की स्क्रिप्ट पढ़कर मुझे बहुत अच्छा लगा। यह बड़ी कास्ट वाली सीरीज़ है। मुख्य रूप से यह एक मेडिकल ड्रामा है, एक थ्रिलर है। 26/11 हमलों की बैकग्राउंड में एक अस्पताल के लोगों की ज़िंदगी के बारे में यह सीरीज़ है। संदर्भ के लिए आतंकी हमला एक बैकड्राप है, मगर असल में अस्पताल के डॉक्टरों, नर्सिंग स्टाफ, पैरामेडिकल स्टाफ, वार्ड बॉय, मरीज़ों के बारे में है।

    26/11 मुंबई अटैक्स पर सुरक्षा बलों और पुलिस के नज़रिए से पहले भी फ़िल्में और वेब सीरीज़ आयी हैं, मगर डॉक्टरों के नज़रिए से पहली वेब सीरीज़ है। यह सीरीज़ चुुनने के पीछे सबसे बड़ी वजह क्या रही?

    • भारत में बहुत कम मेडिकल ड्रामा बने हैं। एक बड़ा जॉनर है। नाटकीय जॉनर है। दिलचस्प जॉनर है। इसलिए इसका हिस्सा बनकर मैं बहुत ख़ुश हुई। यह मेरी पहली वेब सीरीज़ है। एक तेज़ रफ़्तार सीरीज़ है। इसकी स्क्रिप्ट पढ़ने पर वाकई मज़ा आया था। एक असामान्य दुनिया की कहानी है, जिसमें बहुत सारा रोमांच है। जैसा कि आपने कहा कि सरकारी अस्पतालों के अंदर के दृश्य बहुत अधिक नज़र नहीं आते।

    चित्रा दास के किरदार और कोंकणा में आप क्या समानताएं पाती हैं?

    • मुझे लगता है कि यह मेरी पर्सनैलिटी से मिलता-जुलता है, क्योंकि कभी-कभी किसी काम को लेकर मुझे लगता है कि मुझसे नहीं हो पाएगा, मैं नहीं कर पाऊंगी। जब भी कोई नई फ़िल्म करने वाली होती हूं, हर दफ़ा मुझे नर्वसनेस महसूस होती है। ऐसी चीज़ें हम सबके साथ होती हैं, लेकिन सबसे अच्छी बात क्या है कि ऐसे सारे अनुभव हमें आगे बढ़ने में मदद करते हैं। 

     

     

     

     

     

     

     

     

    View this post on Instagram

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

    A post shared by amazon prime video IN (@primevideoin)

    सीरीज़ के ट्रेलर में कई भाव-प्रधान दृश्य हैं। ऐसा कोई दृश्य, जो आपके लिए भावनात्मक रूप से मुश्किल रहा हो? 

    • वास्तव में ऐसे काफ़ी सींस हैं, क्योंकि यह तो बेहद असाधारण परिस्थिति के बारे में है। हम जीवन में अक्सर ऐसी परिस्थितियों का सामना करते हैं कि किसी अपने की मौत हो गयी हो या कोई दुर्घटना हो गयी हो, लेकिन आतंकवादी हमले तो बहुत कम लोगों ने देखे हैं, तो यह कल्पना करना भी मुश्किल है। इसकी तैयारी के लिए हमने बहुत रिहर्सल की, विमर्श किये, जिनसे दृश्य के दौरान मदद मिली। हमने मेडिकल वर्कशॉप भी कीं। हम सब तो एक्टर्स हैं। अनुभव है, मगर किसी की बैकग्राउंड मेडिकल वाली नहीं है, तो हम सबके लिए बिल्कुल नया अनुभव था।

    किरदार की तैयारी के लिए क्या ऐसे लोगों से आप मिलीं, जो इस घटना के चश्मदीद रहे हों?

    • असल में, जो डॉक्टर हमारी वर्कशॉप ले रहे थे, उन्होंने इस घटना के दौरान लोगों का इलाज किया था। उनसे बात हुई। इस घटना को हुए 12 साल बीत चुके हैं। इतने सारे लोगों के अनुभव हम सब लोगों ने सुने हैं कि हमें फौरी तौर पर तो आइडिया था, लेकिन इस सीरीज़ की स्क्रिप्टिंग में बहुत रिसर्च की गयी है, जो सभी एक्टर्स के लिए काफ़ी मददगार रहा।

    26/11 मुंबई हमलों ने पूरे देश को हिला दिया था। उस दौरान आपकी कोई याद?

    • मैं उस वक़्त मुंबई में नहीं थी। अलीबाग गयी हुई थी। किसी का बर्थडे था शायद। वहां हमें पता चला था। धीरे-धीरे परत खुल रही थी। शुरू में पता भी नहीं था कि क्या हुआ, कैसे हुआ और कितना होने वाला है, क्योंकि मल्टीपल लोकेशंस पर अटैक हो रहे थे। वाकई में असमंजस, डर और दहशत का माहौल था। फिर कुछ दिन बाद जब हम मुंबई लौटकर आये तो पूरे शहर में एक ख़ामोश-सी छायी हुई थी। एक बेचैनी और वातावरण में भारीपन का एहसास था। सदमा था और बेयक़ीनी का आलम था। मगर, सब एकजुट होकर इसका सामना कर रहे थे।

    इस घटना को इतने साल बीत चुके हैं। क्या आपको लगता है कि इस पर मेडिकल ड्रामा सीरीज़ आज भी उतनी ही प्रासंगिक है?

    • मुझे लगता है कि यह अब और अधिक प्रासंगिक हो गयी है। कोविड-19 की वजह से हम लोगों ने फ्रंटलाइन वर्कर्स के बारे में अधिक जाना है। वो किस तरह के चैलेंज फेस कर रहे हैं। इस दौरान डॉक्टर्स के ऊपर हमला हुआ या पीपीई किट्स की शॉर्टेज रही। अपने परिवारों को छोड़कर लगातार 24 घंटे या 36 घंटे काम करके उनकी क्या हालत है। फ्रंटलाइन वर्कर्स के लिए कितना मुश्किल रहता है, हम इस बात के लिए उनकी प्रशंसा कर सकते हैं। इसलिए मुझे लगता है कि यह आज ज़्यादा प्रासंगिक है।

    ओटीटी स्पेस में इस समय काफ़ी कंटेंट आ रहा है। भारतीय मनोरंजन इंडस्ट्री में इस परिदृश्य पर आपकी क्या टिप्पणी है?

    • कोविड की वजह से हम सब आजकल ओटीटी ही देख रहे हैं। ओटीटी पर अलग तरह का कंटेंट हम पा रहे हैं। पहले हम सिर्फ़ दो-ढाई घंटे की फ़िल्म देख पाते थे। अभी तो शॉर्ट फ़िल्म भी देख रहे हैं। डॉक्यू-सीरीज़ देख रहे हैं। लिमिटेड सीरीज़ देख रहे हैं। सीज़न-दर-सीज़न देख रहे हैं। बतौर दर्शक हमें बहुत कुछ मिल रहा है। ऐसे कई कलाकार हैं, जिन्हें मेनस्ट्रीम सिनेमा में क्रेडिट नहीं मिला, उन्हें पहचान मिल रही है। तमाम टेक्नीशियंस, मेकर्स को काम मिल रहा है, क्योंकि इतना कंटेंट बन रहा है।

    आप निर्देशन में उतर चुकी हैं। क्या किसी प्रोजेक्ट पर काम कर रही हैं, जिसका निर्देशन करेंगी?

    • अभी मैं काफ़ी बिज़ी हूं। ख़ुशक़िस्मत हूं कि अच्छे रोल्स मिल रहे हैं। पिछले कुछ सालों में बड़े अच्छे रोल्स मिले हैं। चाहे वो 'डॉली किट्टी' हो या 'राम प्रसाद की तेरहवीं' या गीली पुच्ची (अजीब दास्तांस)। मुख्य रूप से मैं एक एक्टर हूं। निर्देशन के बारे में इतना ज़्यादा सोचा नहीं है। शायद आगे जाकर करेंगे, लेकिन तब ही, जब विषय सच में मुझे प्रेरित करेगा।

    हाल ही में आपकी फ़िल्म 'कुत्ते' का एलान हुआ है...

    • अभी कुछ कहना बहुत जल्दबाज़ी होगी। अभी तो पिक्चर शूट भी नहीं हुई है। हां, मैं 'कुत्ते' में कैमियो कर रही हूं। मैं बहुत उत्साहित हूं। आसमान भारद्वाज (विशाल भारद्वाज के बेटे और डेब्यूटेंट डायरेक्टर) ने बढ़िया स्क्रिप्ट लिखी है। मुझे शूट का इंतज़ार है।

    निखिल आडवाणी और निखिल गोंसाल्विस लिखित-निर्देशित मुंबई डायरीज़ 26/11 प्राइम पर 9 सितम्बर को रिलीज़ हो रही है। सीरीज़ में कोंकणा के अलावा मोहित रैना, श्रेया धन्वंतरि, टीना देसाई, सत्यजीत दुबे अहम किरदारों में नज़र आएंगे।