Mirzapur 2 एक्ट्रेस श्वेता त्रिपाठी दोबारा घर पर शूट क्यों नहीं करना चाहतीं, बताई दिलचस्प वजह
Shweta Tripathi on The Gone Game इस शो को सभी कलाकारों ने अपने-अपने घर पर शूट किया। इस शो की कहानी को कोरोना वायरस को आधार बनाकर मर्डर मिस्ट्री के जॉनर में डाला गया है।
नई दिल्ली, जेएनएन। वेब सीरीज और फिल्मों में संतुलन बनाकर चलने वाली श्वेता त्रिपाठी हाल ही में वूट सेलेक्ट की वेब सीरीज 'द गॉन गेम' में नजर आईं। खास बात यह है कि इस शो को सभी कलाकारों ने अपने-अपने घर पर शूट किया। इस शो की कहानी को कोरोना वायरस को आधार बनाकर मर्डर मिस्ट्री के जॉनर में डाला गया है। श्वेता से हुई बातचीत के अंश...
घर पर शूटिंग करने का अनुभव कैसा रहा?
घर पर शूटिंग करने से बहुत कुछ सीखने को मिला है। शूट करना चुनौतीपूर्ण था, क्योंकि कपड़े, घर, सारा सामान मेरा अपना था। मेरे लिए उन चीजों के बीच फर्क करना मुश्किल था। मैंने अपने कमरे का नक्शा काफी बदल दिया था। मेरे पति चैतन्य शर्मा उर्फ चीता, जो अभिनेता और रैपर हैं, मेरे कैमरामैन बने थे। हमने ऐसा काम साथ में पहले कभी नहीं किया था।
हर कलाकार के लिए उसका घर एक सीक्रेट जगह होती है। ऐसे में अपने घर को कैमरे पर दिखाने में कितनी सहज थीं?
बिल्कुल घर सीक्रेट जगह होता है। घर पर आकर हम जैसे चाहें, वैसे रहना चाहते हैं। मैं नहीं चाहूंगी कि पूरी दुनिया देखे कि मेरे घर का कोना-कोना कैसा है। शूट जैसे ही खत्म हुआ, हमने अपना पूरा हॉल, कमरा फिर से बदल दिया। मैं दोबारा इस तरह से काम करना नहीं चाहूंगी।
इस शो के दौरान नई तकनीक और फोन पर शूट करने से क्या क्राफ्ट पर कोई असर होता है?
क्राफ्ट को लेकर तो नहीं, लेकिन बाकी चीजों को लेकर दिक्कत होती है। सेट का माहौल अलग होता है। सेट पर जैसे ही आप अपने कॉस्ट्यूम में आते हैं, तो तुरंत किरदार बन जाते हैं। सेट पर किरदार के लिए जो दुनिया बनाई गई होती है, उसमें यकीन करना आसान हो जाता है। मैंने और मेरे पति ने भी निर्णय लिया था कि हम प्रोफेशनल स्पेस में काम कर रहे हैं, ऐसे में हमारी जो भी समस्याएं हैं, उसे बगल में रखकर काम करेंगे।
आपके पति ने इस शो को शूट करने में आपकी काफी मदद की थी। क्या आपने भी उनके काम में किसी तरह की मदद की थी?
अब उनके सामने मेरे नखरे नहीं चलते हैं। मैं अब शिकायत नहीं करती हूं। इस शो के निर्देशक और कैमरामैन मुझसे ज्यादा चीता के काम से खुश थे। पहले हम फोन पर शूट कर रहे थे। फिर उन्होंने घर पर डीएसएलआर कैमरा भेज दिया था। मैं चीता के संगीत की फैन हूं। हमेशा अपनी प्रतिक्रिया देती हूं। जो उन्होंने किया है, मैं उसका 20 प्रतिशत भी नहीं कर पाई हूं, लेकिन अपनी बातों और कहानियों से उनका मनोरंजन करने की कोशिश करती हूं।
कंटेंट को जब वास्तविक घटनाओं से जोड़ा जाता है, तो उससे दर्शक क्या ज्यादा कनेक्ट होते हैं?
कहानी कहने का हक हर किसी को है। सोशल मीडिया पर आजकल हर कोई अपने विचार व्यक्त करता है। किसी को कुछ पसंद आता है, किसी को कुछ। अगर आप दर्शकों का चार से पांच घंटा ले रहे हैं, तो कलाकार होने के नाते आपको अपना सौ प्रतिशत देना चाहिए। कलाकार को उसी कहानी का हिस्सा बनना चाहिए, जिसमें उन्हें यकीन हो।
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सोशल मीडिया पर लोगों की बातों का कितना असर आप पर पड़ता है?
कोशिश करती हूं कि दूसरों की बातों को गंभीरता से न लूं। मुझे कई बार ऐसा लगता है कि किसी को ट्रोल करके लोग खुश कैसे रह लेते हैं। इन चीजों को नजरअंदाज करना सीख गई हूं, क्योंकि यह दलदल है। मैं इसमें फंसना नहीं चाहती हूं। मैं अपने बारे में न अच्छी चीजें पढ़ती हूं, न बुरी।
आपके लिए वेब प्लेटफॉर्म के जरिए ज्यादा लोगों तक पहुंचना ज्यादा मायने रखता है या फिर बड़े पर्दे पर दिखना?
मेरे लिए संतुष्टि ज्यादा मायने रखती है। वेब सीरीज कई घंटों की होती है। आपको अपने किरदार को जीने का मौका मिलता है। फीचर फिल्म डेढ़ दो घंटे की ही होती है। मैं दोनों में संतुलन बनाकर रखना चाहती हूं। मैं अच्छा काम करना चाहती हूं। मुझे कोई रेडियो पर अच्छा काम दे देगा, तो मैं वह भी कर लूंगी। प्लेटफॉर्म से ज्यादा अहम कहानी और मेरा किरदार है। (प्रियंका सिंह से बातचीत पर आधारित)

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