Guilty Review: कियारा आडवाणी की 'गिल्टी' देखकर नहीं होगी गिल्टी, जानें- कैसी है फ़िल्म
Guilty Review जानिए नेटफ्लिक्स की ओरिजिनल फ़िल्म में कियारा आडवाणी के अलावा और क्या है जिसके लिए आप इसे देख सकते है?
नई दिल्ली, (रजत सिंह)। Guilty Review: नेटफ्लिक्स पर कियारा आडवाणी स्टारर फ़िल्म 'गिल्टी' रिलीज़ हो गई है। करण जौहर के नए प्रोडेक्शन हाउस धर्मेटिक का यह पहला प्रोजेक्ट है। इस वेब सीरीज़ में मीटू को लेकर बातें की गई हैं। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के ठीक पहले रिलीज़ हुइ इस फ़िल्म में क्लास, समाज और हिंसा पर बखूबी काम किया गया है। एक बार फिर 'नो मींस नो' का संदेश देने की कोशिश की गई है।
कहानी
फ़िल्म की कहानी सेंट मार्टिन कॉलेज के इर्द-गिर्द बुनी गई है। इसमें स्टूडेंट्स का बैंड ग्रुप है। इस बैंड का चेहरा विजय प्रताप सिंह है, जो ख़ुद को वीजे कहलाना पसंद करता है। उसकी एक गर्लफ्रैंड है नानकी, जो इस ग्रुप के लिए गाने लिखती है। ग्रुप में ऐसे स्टूडेंट्स शामिल हैं, जो बड़े घरों से आते हैं। वहीं दूसरी ओर स्कॉलरशिप के जरिए एडमिशन लेनी वाली लड़की है तन्नू कुमार। वह वीजे को हद से ज्यादा पसंद करती है और लोगों के सामने ही वीजे के करीब आने की कोशिश करती है। हालांकि, वीजे अक्सर उसे इंग्नोर करता है। इसके बाद वेलैनटाइन डे के दिन वह अपने दो दोस्तों के साथ तन्नू को लेकर कमरे पर जाता है।
हालांकि, एक साल बाद मीटू मूवमेंट के समय तन्नू ट्वीट कर वीजे के ऊपर यौन उत्पीड़न का आरोप लगा देती है। इसके बाद वीजे के पिता, जो एक बड़े नेता हैं, वकीलों की बड़ी फौज़ हायर करते हैं। इसके साथ एंट्री होती है वकील दानिश बेग की, जो इस केस की जांच करते हैं। वह वीजे के दोस्तों से बात करते हैं। नानकी उसे बताती है कि वीजे उस रात तन्नू के साथ संबंध बनाता है, लेकिन यह यौन उत्पीडन नहीं है। दानिश से बात के बाद नानकी के दिमाग में वीजे को लेकर सवाल उठते हैं और वह तलाश में निकल जाती है। इसके बाद क्या वीजे 'गिल्टी' साबित होता है या नहीं? इसके लिए आपको फ़िल्म देखनी होगी।
क्या है ख़ास
फ़िल्म में दिया गया संदेश काफी ख़ास है। नानकी के किरदार में कियारा की एक्टिंग भी लाजवाब है। वहीं, दानिश बेग का किरदार निभाने वाले ताहिर शब्बीर ने अपने पार्ट को काफी शानदार तरीके से निभाया है। गुरफतेह सिंह पीरजादा भी विजय प्रताप के किरदार में अच्छे लगते हैं। कहानी में थ्रिल को पूरा रखा गया है। आपको आखिरी सीन तक रोमांच देखने को मिलेगा। फ़िल्म की कहानी में जो ट्विस्ट दिया गया है, वह इसे देखने लायक बनाता है।
यहां हुई निराशा
फ़िल्म जिस मुद्दे पर बनाई गई है, उस हिसाब से इसे और संवेदनशील बनाया जा सकता था। दर्शकों के सामने 'पिंक' जैसी फ़िल्म का उदाहरण बरकरार है। कहानी में इतनी अंग्रेजी का इस्तेमाल किया गया है कि कभी लगता है कि यह उसी भाषा की फ़िल्म है। तन्नू कुमार का किरदार काफी मजबूत हो सकता था, लेकिन इस पर पूरा काम नहीं किया गया है। वहीं, तन्नू का किरदार निभा रहीं अकांक्षा रंजन कपूर औसत नजर आईं। फ़िल्म में नानकी के किरदार को काफी मजबूत किया गया है। हालांकि, कई ऐसे और भी किरदार हैं, जिन पर ध्यान दिया जा सकता था।