Web Series Inside Edge 2 : क्रिकेट फिक्सिंग से आगे की कहानी, 8 प्वॉइंट्स में जानें कैसी है वेब सीरीज़
Web Series Inside Edge 2 इंसाइड एज के पहले पार्ट में दिखाया गया था कि पीपीएल में कैसे स्पॉट फिक्सिंग होती है। इंसाइड एज 2 में इस बार कहानी आगे बढ़ी है।
नई दिल्ली, जेएनएन। Web Series Inside Edge 2 : इंसाइड एज के पहले पार्ट में दिखाया गया था कि पीपीएल (पॉवर प्रमियर लीग) कैसे खेला जाता है और उसमें कैसे स्पॉट फिक्सिंग होती है। इंसाइड एज 2 में इस बार कहानी आगे बढ़ी है। इसमें खिलाड़ियों की नीलामी से मैच खत्म होने तक की पूरी स्टोरी दिखाई गई है। इसे देखकर पता चलता है कि कैसे इंडियन क्रिकेट में राजनेता घुसे हुए हैं। बिजनेस मैन घुसे हैं। कैसे क्रिकेट में गैरकानूनी काम हो रहा है, जैसे ड्रग्स, स्पॉट फिक्सिंग और गैरकानूनी फंडिंग। इस सीरीज का तीसरा पार्ट आएगा क्योंकि दूसरे पार्ट में एंडिंग ओपेन है। अंत में दिखाया गया है कि जरीना मलिक (रिचा चड्डा) जेल से बाहर आकर विक्रांत धवन (विवेक ओबराय) से मिलती हैं और दोनों देश से बाहर चले जाते हैं। अब पूरी उम्मीद है कि वे क्रिकेट बोर्ड के चेयरमैन यशवर्धन पाटिल (आमिर बशीर) को हटाने की पूरी कोशिश करेंगे। अब आइए 8 प्वाइंड में समझते हैं, कैसी है इंसाइड एज 2।
1, रिचा चड्ढा (जरीना मलिक) ने काफी शानदार एक्टिंग की है। वह पॉवर के लिए भूखी महिला लग रही हैं।
2. गली बॉय के एक्टर सिद्धांत चतुर्वेदी (प्रशांत कन्नौजिया) की एक्टिंग भी बढ़िया है। उन्होंने एक परेशान तेज गेंदबाज की भूमिका अदा की है। दर्शक सिद्धांत को कम स्पेस मिलने से नाराज हैं।
3. मिस्टर मनोहर लाल हांडा (ऋषि चड्डा) का करैक्टर ह्यूमरस है। अंगद बेदी (अरविंद वशिष्ठ) ने भी अच्छी एक्टिंग की है।
4. आमिर बशीर (यशवर्धन भाई साहब पाटिल) की एक्टिंग औसत है। उनका रोल काफी लंबा है। वहीं मंत्रा यानी यशवर्धन की बेटी (सपना बब्बी) का किरदार भी काफी अहम है। सपना की एक्टिंग भी औसत है।
5. पिछली बार दिखाया गया था कि विक्रांत धवन (विवेक ओबरॉय) की मौत हो चुकी है, लेकिन इस बार वह लौट आए हैं। सीजन 2 में उनका रोल छोटा, लेकिन अहम है। एंडिंग देखकर लगता है कि तीसरे सीजन में वह फिर से उभर कर आएंगे।
6. इस वेब सीरीज में कई लंबे सीन हैं, जो बोर कर सकते हैं। वहीं कहानी में कई ऐसे प्लाट हैं जो समझ में नहीं आता है कि क्यों हैं। जैसे, चीयर लीडर सैंडी (एली अवराम) का किरदार और डोपिंग का प्लाट। कहानी में डोपिंग की बात शुरू होती है और बगैर किसी नतीजे पर पहुंचे खत्म हो जाती है।
7- कई किरदार अपने निजी जीवन की बातें करते हैं। इसे ज्यादा जगह दी गई है। यह भी बोर करता है क्योंकि दर्शक खेल के पीछे का खेल देखना चाहते हैं। प्यार और मोहब्बत नहीं। इसे जबरदस्ती खींचा गया है।
8- किरदार बेहद ज्यादा संख्या में हैं। इससे आप कंफ्यूज होते हैं। कुछ किरदारों के बिना भी काम चल सकता था। निर्देशन ठीक-ठाक है। स्क्रिन प्ले और अच्छा हो सकता था।